Fixed Deposit: लैडरिंग रणनीति अपनाएं, छोटी-छोटी एफडी से बड़ी धनराशि बनाएं

By कमलेश पांडे | Jan 16, 2024

भारतवर्ष में निवेश के सबसे लोकप्रिय तरीकों से एक सावधि जमा (एफडी) को माना जाता है। इसके तहत आपके बचत खातों पर मिलने वाले ब्याज के मुकाबले फिक्स्ड डिपॉजिट पर गारंटीयुक्त रिटर्न मिलता है और अव्वल ब्याज दर भी प्राप्त होता है। वहीं, इसका एक फायदा टैक्स से छूट का भी है। बहरहाल, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पांचवीं बार भी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है, जो अभी 6.5 फीसदी है। 


वहीं, अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने भी ब्याज दर यथावत रखी हैं। हालांकि, यह समझा जा रहा है कि अगले वित्त वर्ष में इन दरों में कम से कम तीन बार कटौती की जाएगी। मसलन, रेपो रेट में यदि कोई बदलाव होता है तो उसका सीधा असर सावधि जमाओं (फिक्स्ड डिपॉजिट्स) पर मिलने वाली ब्याज दरों पर पड़ता है। यानी जब रेपो रेट में कटौती होती है तो एफडी पर मिलने वाला ब्याज भी कम हो जाता है।

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ऐसे में यदि आप अपनी बचत से ज्यादा पैसा कमाना चाहते हैं, तो आप अपने निवेश को अलग-अलग मैच्योरिटी वाली तारीखों के साथ फिक्स्ड डिपॉजिट में बांट दें। साथ ही, लंबे समय के लिए एक ही एफडी में अपना सारा पैसा लगाने के बजाय इसे छोटी-छोटी धनराशियों में बांट सकते हैं और कई एफडी में निवेश कर सकते हैं।


मान लीजिए कि आपके बचत खाते में 5 लाख रुपए हैं। यदि आप इस रकम को एक ही एफडी में डालते हैं, तो आपको एक तय पीरियड और ब्याज दर का चुनाव करना होगा। इससे हो सकता है कि आपको। बेहतर रिटर्न न मिले। लेकिन, जब आप 'लैडरिंग' रणनीति का इस्तेमाल करते हैं, तो आप अपने पैसे को 5 अलग-अलग एफडी में अलग-अलग ब्याज दरों और समय अवधि के साथ बांट कर जमा कर सकते हैं।


उदाहरणतया, आप 4.5 प्रतिशत ब्याज दर पर एक साल के लिए एक एफडी, 5 फीसदी ब्याज दर पर दो साल के लिए एक और एफडी करवा सकते हैं। इसी तरह हर एफडी अलग-अलग समय पर रीन्यू या मैच्योर होगी। ऐसा करके आप अपने पैसे पर बेहतर औसत रिटर्न कमा सकते हैं। क्योंकि ऐसा करते ही कुछ एफडी में ब्याज दरें अधिक हो सकती हैं, जिससे आपको बदले में अधिक पैसा मिलता है। यह उस चॉकलेट्स की तरह है, जिनका आप अलग-अलग समय पर स्वाद का आनंद उठा सकते हैं। हर एफडी आपको अलग-अलग समय पर ब्याज सहित आपको बेहतरीन रिटर्न देगी।


विशेषज्ञ बताते हैं कि बाजार का नियम कहता है कि जब ब्याज दरें अधिक हों, तब आप अपनी जमा रकम को लंबी अवधि के लिए निवेश करें। वहीं, जब ब्याज दरें कम हों तो उन्हें बढ़ाएं और ऊंचे रिटर्न का इंतजार करें। चूंकि रेपो रेट में कटौती नहीं हो रही है। इसलिए यह आपके लिए अच्छा समय समझा जा सकता है।


जानकार बताते हैं कि जब भी रेपो रेट बढ़ते हैं तो एफडी पर ज्यादा ब्याज मिलता देखा गया है। कहने का मतलब यह कि यदि आप ऐसे समय में अपने पैसे को शॉर्ट टर्म से मिड टर्म तक के लिए लगाते हैं तो आपको काफी अच्छा रिटर्न मिल सकता है। ऐसे में आप शीघ्रातिशीघ्र एफडी में तीन वर्ष के लिए पैसे जमा कर सकते हैं। वहीं, यदि आपको लंबे समय के लिए एफडी में निवेश करना है तो लैडरिंग स्ट्रेटेजी अपनाएं, ताकि आपको अधिकाधिक रिटर्न मिल सके।


अपने देश में एफडी की लोकप्रियता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि 24.2 मिलियन डिपॉजिट्स में कुल 103 ट्रिलियन की रकम एफडी में जमा है। इसका आशय यह हुआ कि भारत में औसतन 4.25 लाख एफडी के रूप में जमा है। इसी साल बैंक बाजार के एक सर्वे में यह बात सामने आई है, जिसमें कहा गया है कि भारत में एफडी लोगों के लिए सबसे पसंंदीदा निवेश विकल्प है और भारत के लोग औसतन 4.26 लाख रुपए एफडी में जमा कर रहे हैं।


यूँ तो छोटी-छोटी बचत करने वालों के लिए एफडी बेहतर विकल्प है। फिर भी यह बात ध्यान में रखना जरूरी है कि अल्पावधि (शॉर्ट टर्म) वाली एफडी में आपको ब्याज कम मिलता है, जबकि दीर्घावधि (लॉन्ग टर्म) वाली एफडी में पैसे जमा करने पर यदि ब्याज दरें बढ़ीं तो उसका फायदा आपको नहीं मिल पाता है। वहीं, मिड टर्म की स्पेशल एफडी में आप 2 से 3 साल तक के लिए पैसे जमा कर सकते हैं। ऐसे में अगर रेपो रेट घटता भी है तो एफडी रेट घटने से भी आपको नुकसान नहीं होगा।


इसलिए सबसे अच्छा तरीका तो यही होता है कि मिड टर्म के लिए पैसे लगाएं। उसके बाद जैसा मार्केट हो, उसी के हिसाब से अपने पैसों को फिर से निवेश करें। इससे आपको दोहरा फायदा मिलेगा। पहला यह कि आपके पैसे लंबे वक्त के लिए लॉक नहीं होंगे। दूसरा यह कि आपसे बेहतर निवेश का कोई मौका भी नहीं छूटेगा।


आपको यह पता होना चाहिए कि एफडी पर ब्‍याज दरों में बदलाव का कोई असर नहीं होता है। क्योंकि एक बार जिस ब्‍याज दर पर आपने एफडी में निवेश कर दिया, उसी ब्याज दर पर आपको गारंटीड रिटर्न मिलेगा। इस दौरान, यदि ब्याज दर कम होती है तो भी तय ब्याज ही मिलेगा। वहीं, यदि बैंक अपनी ब्याज दर को बढ़ा देती है तो भी निवेशक को इसका फायदा नहीं मिलता है।


इसलिए एफडी को भारत देश में सबसे ज्यादा रिस्क फ्री निवेश का विकल्प माना जाता है। इसके दृष्टिगत सभी बैंकों पर आरबीआई अपनी नजर रखता है। ऐसे में निवेश के दूसरे विकल्पों से बेहतर एफडी को सुरक्षित और गारंटी रिटर्न देने वाला निवेश माना जाता है। चूंकि एफडी सरकारी गारंटी जैसा होता है। ऐसे में आपको एफडी पर लोन भी आसानी पूर्वक मिल सकता है। हां, यदि आप कर्ज नहीं चुका पाते हैं तो लोन के पैसे आपकी एफडी में जमा रकम से काट लिए जाएंगे।


कुछ बैंक तो अपने कस्टमर्स को लुभाने के लिए एफडी कराने पर मुफ्त जीवन बीमा का ऑफर भी देते हैं। यह जीवन बीमा कस्टमर की एफडी की रकम के बराबर होती है। इसमें उम्र की एक सीमा भी तय होती है। वहीं, कई बैंक आपकी एफडी पर इंश्योरेंस कवर देते हैं। कहने का मतलब यह कि यदि कोई बैंक दिवालिया हो जाए तो आपको बैंक एफडी पर इंश्योरेंस कवर मिलता है। ऐसे में यदि आपका बैंक डिफॉल्ट कर देता है या दिवालिया हो जाता है तो आपको इस इंश्योरेंस कवर के तहत 5 लाख रुपए तक मिल जाएंगे। इसमें मूलधन और ब्याज दोनों ही शामिल होंगे। इसका तातपर्य यह कि आपका पैसा न डूबने की गारंटी मिलेगी।


वहीं, यदि आप 5 साल या उससे अधिक समय के लिए एफडी करते हैं तो उस पर आयकर कानून-1961 की धारा 80सी के तहत टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं। इसके तहत आप साल भर में 1.5 लाख रुपए तक पर टैक्स छूट ले सकते हैं। हालांकि, 5 साल से कम अवधि की एफडी पर टैक्स चुकाना पड़ेगा। वहीं, यदि किसी वित्त वर्ष में बैंकों से मिला ब्याज 40 हजार रुपए से अधिक होता है तो उस पर भी टैक्स लगेगा।


लिहाजा, यदि आप 5 या 10 साल बाद रिटर्न की योजना बना रहे हैं तो एफडी में पता चल जाता है कि आपको मैच्योरिटी पर कितनी रकम मिलेगी, क्योंकि एफडी पर तय रिटर्न मिलता है। वहीं, म्यूचुअल फंड, एनपीएस, ईएलएलएस जैसे निवेश में रिटर्न हर साल कम या अधिक  होता रहता है, क्योंकि ऐसे निवेश बाजार के उतार-चढ़ाव के मुताबिक होते हैं। वहीं, एफडी में तय समय पर तय रिटर्न की गारंटी होती है। इसलिए ग्राहक इसे ही तवज्जो देते हैं।


- कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार

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