By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 08, 2017
भोपाल। मध्य प्रदेश के गृहमंत्री भूपेन्द्र सिंह ने आज स्वीकार किया है कि मंगलवार को प्रदेश के मंदसौर जिला स्थित पिपलिया मंडी में किसानों के प्रदर्शन के दौरान पांच किसानों की मौत पुलिस फायरिंग से हुई है। इससे पहले पिछले दो दिनों से प्रदेश सरकार पुलिस फायरिंग से इनकार कर रही थी। इस पुलिस फायरिंग में पांच किसानों की मौत होने के साथ-साथ छह अन्य किसान घायल भी हुए थे। इसके चलते राज्य के पश्चिमी भाग में अपनी उपज का वाजिब दाम लेने सहित 20 मांगों को लेकर एक जून से आंदोलनरत किसान अब मध्य प्रदेश सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई करने पर उतर आये हैं।
जब भूपेंद्र सिंह से फोन पर पूछा गया कि किसानों के गोलियों से छलनी हुए शवों पर आपका क्या कहना है, तो सिंह ने कहा, ‘‘पांच लोगों की मौत पुलिस फायरिंग से हुई है।’’ पुलिस फायरिंग में इन किसानों के मारे जाने को लेकर सरकार की ओर से दिए गए इस बयान को अहम माना जा रहा है, क्योंकि अब तक अधिकारी दावा कर रहे थे कि पुलिस ने आंदोलनकारी किसानों पर गोलियां नहीं चलाईं। घटना के कुछ ही समय बाद मंदसौर के तत्कालीन कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया था कि पुलिस ने मुझे बताया, ‘‘न तो उन्होंने (पुलिस) फायरिंग की और न ही उन्होंने फायरिंग करने के आदेश दिये।’’
राज्य के गृहमंत्री से जब पूछा गया कि पुलिस को फायरिंग करने के लिए किसने भड़काया, तो उन्होंने कहा कि इसका पता लगाने के लिए न्यायिक जांच चल रही है। हालांकि, उन्होंने कहा कि अब पश्चिमी मध्य प्रदेश में स्थिति शांतिपूर्ण है।
इसी बीच, मध्य प्रदेश के हिंसा प्रभावित मंदसौर जिले में रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) की टुकड़ियों को तैनात किया गया है। जिले में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। पुलिस ने कहा कि मंदसौर के पिपलिया मंडी में आरएएफ की दो कंपनियों को भेजा गया है जहां मंगलवार को गोलीबारी में पांच किसानों की मौत हो गई थी। आरएएफ की एक कंपनी में करीब 100 कर्मी शामिल हैं। अधिकारियों ने बताया कि मंदसौर जिले के सभी उपमंडलों में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति की निगरानी करने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को भी तैनात किया गया है। पश्चिमी मध्य प्रदेश में निषेधात्मक उपायों के बावजूद किसानों ने बुधवार को हिंसा और आगज़नी की, जिसने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने एक बड़ी चुनौती पेश की है और विपक्षी पार्टियों को मौका दिया है। हालांकि, चौहान सरकार ने कुछ कदमों का ऐलान करके तनाव को कम करने की कोशिश की है जिसमें ऐसे किसानों के लिए कर्ज समझौता योजना शामिल है जिन्होंने फसल के वास्ते लिए गए कर्ज का भुगतान नहीं किया है। सरकार के मुताबिक, योजना करीब छह लाख किसानों को कवर करेगी, जिनका 6,000 करोड़ रूपये बकाया है।