By अभिनय आकाश | Oct 10, 2024
रतन टाटा ने बीती रात दुनिया को अलविदा कह दिया। इससे पहले भी उनके गंभीर रूप से बीमार होने की खबर सामने आई थी। हालांकि उन्होंने एक पोस्ट में कहा था कि वो ठीक हैं और चिंता की कोई बात नहीं है। लेकिन 9 अक्टूबर की रात खबर आई कि रतन टाना नहीं रहे... रतन टाटा तो चले गए लेकिन अपने पीछे कई प्रेरणादायक किस्से और कहानियां छोड़ गए। ऐसा ही एक किस्सा साल 2008 का है जब 26/11 को ताज होटल पर हुए आतंकी गोलीबारी के बीच वो वहां पहुंच गए थे। 26 नवंबर 2008 को वो दिन था जब पूरा देश मुंबई में हुए आतंकी हमले की वजह से सहम गया था। हमले में मारे गए लोगों के परिवार और घायलों के जख्म अभी भी ताजा हैं। आज ही के दिन समुद्री रास्ते से आए लश्कर-ए-तयैबा के दस आतंकियों ने मुंबई को बम धमाकों और गोलीबारी से दहला दिया था।
मुंबई में हुए आतंकी हमले में 160 से ज्यादा लोग मारे गए थे और तीन सौ से ज्यादा लोग घायल हुए थे। मुंबई हमले को याद करके आज भी लोगों का दिल दहल उठता है। रतन टाटा ने एक इंटरव्यू में इस हमले को याद करते हुए बताया था कि आतंकी हमले वाले दिन उन्हें किसी का कॉल आया। उन्हें किसी ने बताया कि ताज होटल में गोलीबारी हो रही है। ये सुनकर रतन टाटा ने तुरंत अपने स्टॉफ को कॉल किया लेकिन फोन नहीं उठा।
रतन टाटा ने बताया कि आम तौर पर ऐसा नहीं होता था कि मेरा फोन न उठाया जाए। मुझे स्टॉफ कि फिक्र होने लगी। मैंने तुरंत कार निकाली औऱ ताज पहुंच गया। लेकिन वॉचमैन ने मुझे अंदर नहीं जाने दिया क्योंकि गोलीबारी हो रही थी। रत टाटा ताज होटल को अपनी विरासत के तौर पर देखते थे। उनके दादा जी का बनाया ये होटल उनके दिल के बहुत करीब था। रतन टाटा ने ताज में मौजूद सुरक्षाकर्मियों से कहा कि अगर जरूरत पड़े तो मेरी पूरी प्रॉपर्टी बम से उड़ा दो लेकिन बेकसूरों की जान लेने वाले एक भी आतंकवादी को जिंदा नहीं छोड़ना। पूरे तीन दिन-रात रतन टाटा अपनी जान जोखिम में डाल कर होटल के कर्मचारियों के साथ खड़े रहे। आतंकी हमले के खिलाफ आपरेशन चलाने की जिम्मेदारी एनएसजी को सौंपी गई थी। लगभग 60 घंटे तक आपरेशन चला था। 9 आतंकवादियों को मार गिराया गया था जबकि एक आतंकवादी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ लिया गया था। जिसे 21 नवंबर 2012 को फांसी दे दी गई। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने हमले में मारे गए अपने कर्मचारियों के परिवार को 36 लाख से लेकर 85 लाख तक की मदद की।