By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Apr 17, 2021
नयी दिल्ली। भारत सरकार और पंजाब नेशल बैंक (बीएनबी) की ओर से कार्रवाई में की गई तत्परता से भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी को ब्रिटेन से भारत लाने की कानूनी लड़ाई में मदद मिली। सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को यह बात कही। अदालती प्रक्रियाओं के पूरा होने के बाद ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल ने शुक्रवार को नीरव मोदी को भारत के हवाले किए जाने के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए। उस पर पीएनबी के साथ दो अरब डालर की धोखाधड़ी और मनी लांडरिंग (अपराध की कमाई को वैधता प्रदान करने के हथकंडे अपनाने) के आरोप में भारत में मुकदमा चलाया जाना है।
अधिकारी ने कहा इतने बड़े पैमाने के घोटाले से बैंकिंग व्यवस्था के अस्थिर होने का खतरा होता है। लेकिन तत्परता से कदम उठा कर बैंकिंग क्षेत्र को इस खतरे से बचा लिया गया। उस समय के बैंकिंग सचिव राजीव कुमार ने पीएनबी को सीबीआई के समक्ष प्रथम सूचना रपट दाखिल करने का निर्देश दिया था। इससे जनवरी में यह पूरा मामला सामने आया। राजीव कुमार अब निर्वाचन आयुक्त हैं। इसके साथ ही ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी)मुंबई में एक मामला दर्ज किया गया। उसने में मुंबई डीआरटी ने 2019 में नीरव और अन्य से 7,300 करोड़ रुपये की वसूली के आदेश जारी किए।
इस घोटाले के बाद बैंकों को 50 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज लेने वाले ग्राहकों से उनके पासपोर्ट का विवरण मांगने की अनुमति दी गयी। वित्त मंत्रालय के इस अधिकारी के अनुसार यह निर्णय इस लिए किया गया ताकि कर्ज में धोखधड़ी करने वालों को देश से बाहर जाने से रोकने में तत्काल कार्रवाई की जा सके। सरकार ने सरकारी क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों को अक्टूबर 2019 में हवाई अड्डों और बंदरगाहों को निगरानी के परिपत्र (एलओसी) जारी करने के अधिकार प्रदान किए। वे संदेह होने पर एफआईआर से पहले भी एलओसी जारी कर सकते हैं। धोखेबाजों से निपटने के लिए सरकार ने भगोड़े आर्थिक अपराधी अधिनियम 2018 को पारित और लागू कराया।