वित्त सचिव, गृह सचिव, CAG से अब अचार मेकर, देश के टॉप नौकरशाह का 'पिक्ली- टेस्ट ऑफ दादा' क्या चखा आपने?

By अभिनय आकाश | Jun 11, 2022

सत्ता के गलियारों का एक जाना-पहचाना नाम राजीव महर्षि, जिन्होंने सिविल सेवक के रूप में अपने चार दशक लंबे करियर के दौरान कई हाई-प्रोफाइल पदों पर काम किया। वित्त सचिव, गृह सचिव से लेकर भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) के पद पर महर्षि कार्यरत रह चुके हैं। हालांकि, एक बात जो इन कार्यकालों के दौरान उभर कर सामने नहीं आ पाई वो है उनका अचार बनाने का जुनू। जिसे अब "अचार - दादा का स्वाद" ब्रांड नाम से बेचा जा रहा है। अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए महर्षि ने कहा कि उन्होंने 1990 के दशक में एक संयुक्त सचिव के रूप में अचार बनाने को एक शौक के रूप में चुना।

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1978 बैच के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी ने कहा कि मैंने शौक के तौर पर अचार बनाना शुरू किया। मैंने किसी से कोई नुस्खा नहीं लिया। मैं अपने स्वाद के अनुसार अपनी खुद की रेसिपी बनाता हूं। मैंने किसी से नहीं सीखा। रेसिपी मेरे अपने हैं। महर्षि ने कहा कि मुझे नहीं पता कि अचार बनाते समय कितना नमक, मेथी दाना, सौंफ (सौंफ) मिलाया जाना चाहिए, लेकिन मैं मात्रा का अनुमान लगाता हूं, और यह अच्छी तरह से काम करता है। भगवान की देन है, वह अंदाज़ हमेशा सही बैठता है, गलत होता नहीं कभी।

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पुराने दिनों की याद ताजा करते हुए उन्होंने कहा कि जब वह छोटे थे, तो उनकी मां विनीता महर्षि उन्हें बताती थीं कि खाना बनाना पुरुषों का काम नहीं है। महर्षि ने पहली बार खाना पकाने में हाथ आजमाया जब उन्होंने 1977 में एक व्याख्याता के रूप में सेंट स्टीफन कॉलेज में प्रवेश लिया। उन्होंने आईएएस में शामिल होने तक लगभग एक साल तक कॉलेज में पढ़ाया। "मैं कॉलेज में अपने फ्लैट में खाना बनाता था। महर्षि ने बताया कि जब वो बाद में केंद्र सरकार में संयुक्त सचिव बने तो अचार बनाना शुरू किया। राजीव महर्षि ने बताया कि उन्हें इस काम में मजा आता था, बाद में उनके बनाए अचार को घरवालों की तारीफ मिली। बाद में उनके इसी शौक को देखते हुए उनकी बहू आस्था जैन ने अचार की मार्केटिंग की योजना बनाई। आज ‘पिक्ली- टेस्ट ऑफ दादा’ एक फेमस ब्रांड बन चुका है।

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