चिल्ड्रन फिल्म सोसायटी ऑफ इंडिया के चेयरपर्सन रह चुके अमोल गुप्ते की इस सप्ताह प्रदर्शित फिल्म 'स्निफ' उनकी पिछली फिल्मों जैसी सशक्त तो नहीं बन पाई है लेकिन यह बच्चों को जरूर पसंद आएगी। अमोल अपनी फिल्मों में बच्चों के साथ ही अभिभावकों से भी संवाद करते रहे हैं लेकिन इस बार वह अभिभावकों को कोई संदेश देने में चूक गये लगते हैं। फिल्म का प्रचार नहीं किया गया इसलिए पहले ही सप्ताह में फिल्म को सिनेमाघरों में कोई खास रिस्पाँस नहीं मिला। उम्मीद की जानी चाहिए कि यह फिल्म अपनी लागत निकाल पाये।
फिल्म की कहानी एक ऐसे परिवार के इर्दगिर्द घूमती है जोकि पीढ़ी दर पीढ़ी अचार बनाने का काम कर रहा है। ऐसे में इस परिवार के सदस्यों की सूंघने की शक्ति ही उनके व्यापार को आगे बढ़ा रही है। मुश्किल तब होती है जब परिवार का एक बच्चा सनी (खुशमीत गिल) सूंघ नहीं पाता। परिवार वाले उसे डॉक्टर को दिखाते हैं तो पता चलता है कि उसकी नाक में ब्लॉक है इसलिए वह नहीं सूंघ पायेगा। नाक में इस ब्लॉक की वजह से सनी को स्कूल और घर पर रोजाना तमाम तरह की परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। सनी का दिमाग थोड़ा जासूसी किस्म का है और वह शहर में कार चोरी की बढ़ती वारदातों को सुलझाने की मंशा रखता है। इसी बीच स्कूल की लेबोरेट्री में वह एक ऐसे रसायन की चपेट में आ जाता है जिससे ना सिर्फ उसकी नाक का ब्लाक खुल जाता है बल्कि उसकी सूंघने की शक्ति और बढ़ जाती है। अब आगे की कहानी में दिखाया गया है कि अपनी इस शक्ति की बदौलत सनी कैसे कार चोरों को पकड़वाता है और कैसे तरह-तरह के कारनामे करता है।
अभिनय के मामले में खुशमीत गिल, सुरेखा सीकरी और मनमीत सिंह तथा अन्य सभी कलाकार ठीकठाक रहे। फिल्म की कहानी थोड़ी धीमी गति से आगे बढ़ती है इसलिए कई जगह बोरियत का अहसास होता है। फिल्म का बैकग्रांउड म्यूजिक ठीकठाक है। बतौर निर्देशक अमोल गुप्ते पिछली फिल्मों की तरह सफल नहीं हो पाये। फिर भी बच्चों को कुछ सार्थक दिखाना चाहें तो इस फिल्म को दिखा सकते हैं।
कलाकार- खुशमीत गिल, सुरेखा सीकरी, मनमीत सिंह और निर्देशक अमोल गुप्ते।
-प्रीटी