By अनुराग गुप्ता | Aug 08, 2021
नयी दिल्ली। टोक्यो ओलंपिक में भारत का सपना साकार करने वाले भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा का मानना है कि चोट खिलाड़ी की ज़िंदगी का एक हिस्सा है। दरअसल, टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर नीरज चोपड़ा ने इतिहास रच दिया। एथलेटिक्स में पिछले 100 वर्षों से अधिक समय में भारत का यह पहला ओलंपिक पदक है। नीरज भारत की तरफ से व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी हैं इससे पहले निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने बीजिंग ओलंपिक 2008 में पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल में स्वर्ण पदक जीता था।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक स्वर्ण पदक जीतने वाले नीरज चोपड़ा ने बताया कि मेरे दिमाग में था कि ओलंपिक में अपना बेस्ट करने की कोशिश करनी है लेकिन जब तक आखिरी थ्रो तक स्वर्ण फाइनल नहीं हो गया तब तक मैंने दिमाग को रिलैक्स नहीं किया। बाकी थ्रोअर काफी अच्छे थे। उन्होंने कहा कि मेरे सबसे छोटे अंकल मुझे स्टेडियम में लेकर गए थे, वो चाहते थे कि मैं खिलाड़ी बनूं। जब मैंने पहले दिन जैवलिन खेलना शुरू किया तो मुझे जैवलिन से अजीब सा लगाव हो गया था, मैंने उसी दिन से जैवलिन को अपना प्रोफेशन चुन लिया था।
मिल्खा सिंह का सपना हुआ साकार नीरज ने कहा कि मिल्खा सिंह ने भारतीय खेल और एथलेटिक्स के लिए बहुत बड़ा योगदान किया, उनका सपना था कि भारत से कोई स्वर्ण पदक जीते और राष्ट्रगान बजे। उनका वो सपना पूरा हुआ लेकिन आज वो हमारे बीच नहीं हैं, मुझे लगता है कि वो आज जहां भी हैं वहां से देखकर गर्व महसूस कर रहे होंगे। उन्होंने कहा कि चोट खिलाड़ी की ज़िंदगी का एक हिस्सा है, उस समय ये मानना थोड़ा मुश्किल होता है लेकिन हम इसे बदल नहीं सकते। मैंने कोशिश की थी कि आने वाली प्रतियोगिताओं पर ध्यान दूं और अपने आप को तैयार करना शुरू करूं। सभी ने साथ दिया और मैं अच्छे से रिकवर हो पाया।आपको बता दें कि कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से मिल्खा सिंह की तबियत बिगड़ गई थी। जिसके बाद 91 साल की उम्र में उन्होंने चंडीगढ़ के पीजीआई हॉस्पिटल में आखिरी सांस ली। उनके निधन के 50 दिन के भीतर ही नीरज चोपड़ा ने उनके सपने को पूरा कर दिया।
गौरतलब है कि भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा द्वारा स्वर्ण पदक जीतने के साथ इस बार के ओलंपिक में भारत को सात पदक हासिल हुए हैं। जिसमें एक स्वर्ण, दो रजत और चार कांस्य पदक शामिल हैं। इससे पहले भारत ने लंदन ओलंपिक 2012 में छह पदक जीते थे।