By अनन्या मिश्रा | Sep 08, 2024
आज ही के दिन यानी की 08 सितंबर को फिरोज गांधी का निधन हो गया था। फिरोज गांधी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पति थे। वह पारसी राजनेता तथा पत्रकार थे। इसके अलावा वह लोकसभा के सांसद भी रहे। फिरोज ने राजनीति का कहहरा प्रयागराज से सीखा था। उनका असली नाम फिरोज घांदी था। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर फिरोज गांधी के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और परिवार
मुंबई के पारसी परिवार में 12 सितंबर 1912 को फिरोज जहांगीर गांधी का जन्म हुआ था। साल 1920 में पिता की मृत्यु के बाद फिरोज अपनी मां रतिमाई के साथ मुंबई से प्रयागराज आ गए। प्रयागराज में वह अपनी मौसी शिरिन कमिसारीट के पास रहने लगे थे। फिरोज की मौसी डफरिन अस्पताल में सर्जन थीं। साल 1930 में जब फिरोज गांधी ईसीसी में पढ़ते थे, तब कांग्रेस के स्वतंत्रता सेनानियों की ओर से गठित वानर सेना ने कॉलेज के बाहर प्रदर्शन किया था।
फिरोज-इंदिरा की मुलाकात
इस प्रदर्शन के दौरान पहली बार यहीं पर फिरोज इंदिरा गांधी और कमला नेहरु से मिले थे। अत्यधिक गर्मी के कारण कमला नेहरु बेहोश हो गईं, जिस पर फिरोज ने उनकी मदद की थी। इस प्रदर्शन के अगले दिन फिरोज ने पढ़ाई छोड़कर भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जुड़ने की प्रेरणा ली। जिसके बाद वह अक्सर आनंद भवन जाते रहते थे, इस दौरान उनकी इंदिरा गांधी से नजदीकियां बढ़ने लगीं। जब साल 1933 में फिरोज ने कमला नेहरु के सामने इंदिरा से शादी करने की इच्छा जाहिर की। जबकि उस दौरान इंदिरा की उम्र 16 साल थी।
शादी से खुश नहीं थे पं. नेहरू
इंदिरा और फिरोज की शादी से पंडित नेहरु खुश नहीं थे। पंडित नेहरु के इस रिश्ते से खुश न होने का कारण था कि फिरोज पारसी थे और इंदिरा गांधी कश्मीरी ब्राह्मण। वहीं दोनों की उम्र में भी काफी अंतर था। हालांकि महात्मा गांधी के हस्तक्षेप के बाद पं. नेहरु की इजाजत के साथ 26 मार्च 1942 को आनंद भवन में शादी हुई। इंदिरा और फिरोज की शादी में महात्मा गांधी भी शामिल हुए थे।
जेल में थे फिरोज-इंदिरा
विवाह के बाद भारत छोड़ो आंदोलन के समय इंदिरा और फिरोज एक साथ जेल गए। इंदिरा और फिरोज को नैनी जेल में बंद किया गया था। वहीं अगले 5 सालों में राजीव और संजय गांधी का जन्म हुआ। देश की आजादी के बाद इंदिरा और फिरोज अपने दोनों बच्चों के साथ प्रयागराज में रहने लगे। फिर वह पं. नेहरु द्वारा स्थापित नेशनल हेराल्ड के निदेशक के रूप में काम करने लगे।
मृत्यु
बता दें कि साल 1952 और 1957 में फिरोज गांधी रायबरेली से चुनाव जीते। लेकिन साल 1958 में दिल का दौरा पड़ने के कारण वह बीमार रहने लगे। वहीं 08 सितंबर 1960 को फिरोज गांधी का निधन हो गया था। वहीं अंतिम संस्कार के बाद फिरोज गांधी की अस्थियां मम्फोर्डगंज स्थित पारसी कब्रिस्तान में पारसी रीति से दफनाई गई थी।