Hanumanji Ka Vrat: मंगलवार का व्रत करने से दूर होती है नकारात्मक ऊर्जा, बढ़ता है साहस, बल और सम्मान

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By अनन्या मिश्रा | Feb 08, 2025

Hanumanji Ka Vrat: मंगलवार का व्रत करने से दूर होती है नकारात्मक ऊर्जा, बढ़ता है साहस, बल और सम्मान
मंगलवार का व्रत बल, साहस, सम्मान और पुरुषार्थ को बढ़ाने वाला माना जाता है। मंगलवार का व्रत करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और हमारे जीवन के सभी संकट दूर करते हैं। साथ ही यह भी माना जाता है कि इस व्रत को करने से सभी प्रकार की बुरी शक्तियां और नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मंगलवार को ही हनुमान जी का व्रत क्यों किया जाता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको मंगलवार व्रत विधि के बारे में बताने जा रहे हैं और साथ ही यह भी जानेंगे कि मंगलवार को हनुमान जी की पूजा क्यों की जाती है।


मंगलवार माना जाता है बजरंगबली का दिन

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार और स्कंदपुराण में बताया गया है कि मंगलवार को हनुमान जी का जन्म हुआ था। इस वजह से मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित होता है। मंगलवार का व्रत करने से सभी तरह के कष्ट और संकट दूर होते हैं। इसी वजह से हनुमान जी को संकटमोचन भी कहा जाता है। हनुमान जी का मंगल ग्रह से भी संबंध होता है। ऐसे में मंगलवार का व्रत करने से और सुंदरकांड का पाठ करने से मंगल के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं।

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व्रत में करें इन नियमों का पालन

मंगलवार का व्रत करने के दौरान सबसे ज्यादा पवित्रता का ध्यान रखा जाता है।

पूजा के दौरान मन को इधर-उधर न भटकने दें और शांत मन से प्रभु का स्मरण करें।

मंगलवार को व्रत के दौरान नमक का सेवन न करें।

अगर आप इस दिन मीठी वस्तुओं का दान करते हैं, तो स्वयं उसको ग्रहण न करें।

मंगलवार के व्रत में भूलकर भी काले या सफेद कपड़े पहनकर बजरंगबली की पूजा न करें। इस दिन लाल कपड़े पहनना शुभ माना जाता है।

व्रत रखने वाले जातक को सिर्फ दिनभर में एक बार भोजन करना चाहिए।


कब से करें व्रत की शुरूआत

अगर आप मंगलवार का व्रत शुरूकर रहे हैं, तो किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के मंगलवार से शुरूकर सकते हैं। वहीं अगर आप किसी मनोकामना के साथ व्रत शुरूकर रहे हैं, तो 21 या 45 मंगलवार व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए। आप 21 या 45 मंगलवार व्रत करने का संकल्प कर सकते हैं। ऐसा करने से आपकी मनोकामना पूरी होती है। वहीं 21 या 45 व्रत करने के बाद उद्यापन कर देना चाहिए। इस दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाने के साथ दान-पुण्य भी करें।

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