फारुक अब्दुल्ला 6 महीने से नजरबंद, विपक्ष ने सरकार के इरादों पर उठाया सवाल

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Feb 05, 2020

नयी दिल्ली। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारुक अब्दुल्ला को हिरासत में रखे जाने पर चिंता जाहिर करते हुए राज्यसभा में बुधवार को विपक्षी दलों ने सरकार पर सीएए तथा एनआरसी को लेकर हमला बोला और कहा कि इससे देश का सामाजिक ताना-बाना छिन्नभिन्न हो रहा है। राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा ले रहे विपक्षी दलों द्वारा जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने का मुद्दा उठाने पर भाजपा ने सरकार के फैसले का बचाव किया।

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सत्तारूढ़ पार्टी की ओर से कहा गया कि इस फैसले से लोकतंत्र और देश को मजबूती मिली है। साथ ही भाजपा ने शाहीन बाग और अन्य जगहों पर सीएए तथा एनआरसी के विरोध में प्रदर्शनों को समर्थन देने के लिए विपक्ष को आड़े हाथ लिया। इस बीच राकांपा, द्रमुक,तेदेपा और राजद सदस्यों ने कहा कि संविधान खतरे में है और सीएए के खिलाफ प्रदर्शन ‘‘स्वत: स्फूर्त’’ हैं। इन दलों के सदस्यों ने जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला को पिछले साल पांच अगस्त से हिरासत में रखे जाने को लेकर सरकार के इरादों पर सवाल भी उठाया।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के माजिद मेमन ने कहा कि नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला संसद में श्रीनगर सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने सरकार से पूछा कि उन्हें किस कारण से जन सुरक्षा कानून के तहत नजरबंद किया गया, जिसे दो साल तक बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने सवाल किया कि अब्दुल्ला को संसद सत्र में भाग लेने और श्रीनगर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने क्यों नहीं दिया जा रहा है? राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार झा ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त करने के बाद वहां के लोगों पर तमाम पाबंदियों, तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को नजरबंद किए जाने का जिक्र करते हुए पूछा कि वहां किससे पूछ कर सरकार यह दावा कर रही है कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद राज्य के लोग खुश हैं। 

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झा ने भी कहा कि फारूक अब्दुल्ला को नजरबंदी से रिहा किया जाना चाहिए। एमडीएमके के वाइको ने अनुच्छेद 370 समाप्त किये जाने के बाद जम्मू कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को नजरबंद किये जाने को एक ‘‘सुनियोजित षड्यंत्र’’ बताया। गौरतलब है कि पांच अगस्त 2019 को सरकार ने, जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटा दिए और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया।

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