By अंकित सिंह | Oct 17, 2022
जम्मू कश्मीर के शोपियां में हाल में ही आतंकवादियों ने एक कश्मीरी पंडित की हत्या कर दी थी। हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब कश्मीर में अल्पसंख्यकों को आतंकवादियों के द्वारा निशाना बनाया जा रहा है। इस साल देखें तो आतंकवादियों ने जम्मू कश्मीर में टारगेट किलिंग के जरिए कई अल्पसंख्यकों की हत्या की है। इसी को लेकर जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला से सवाल पूछा गया। इसके जवाब में फारूक अब्दुल्ला ने साफ तौर पर कहा कि यह तब तक नहीं रुकेगा, जब तक न्याय नहीं मिल जाता। भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि पहले वे कहते थे कि इस तरह की हत्या अनुच्छेद 370 के कारण हो रही है। लेकिन अब तो इसे समाप्त कर दिया गया तो ऐसी हत्याएँ क्यों नहीं रुकी हैं? कौन जिम्मेदार है?
आपको बता दें कि कश्मीरी पंडित पूरन कृष्ण भट्ट की हत्या की जिम्मेदारी आतंकी संगठन कश्मीर फ्रीडम फाइटर्स ने ली है। इस हत्या के बाद कश्मीरी पंडितों ने एक बार फिर से प्रशासन के खिलाफ आवाज बुलंद किए हैं। वही फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि अगर इन लोगों के हालत बेहतर कर दिए गए होते तो पंडित बेचारा नहीं मारा जाता। कुछ बेहतर नहीं हुआ है। जम्मू कश्मीर में अप्रैल-मई के दौरान भी टारगेट किलिंग की घटनाएं देखने को मिली थी। वहीं, सरकार का दावा है कि जम्मू कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ जो ऑपरेशन चलाया जा रहा है, उससे उनमें बौखलाहट है। यही कारण है कि वे आम लोगों को निशाना बना रहे हैं।
इस घटना पर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) घाटी में रह रहे कश्मीरी पंडितों को सुरक्षा मुहैया कराने में नाकाम रही है, लेकिन वह वोट की खातिर उनका रक्त बेच देगी। महबूबा ने कहा कि उन्होंने (कश्मीरी पंडितों ने) कश्मीर नहीं छोड़ने और यहां मुस्लिमों के साथ रुकने का फैसला किया। घाटी में आतंकवाद की शुरूआत होने के 30-35 साल बाद इतनी अधिक सुरक्षा रहने पर भी भट को निशाना बनाया गया। उन्होंने आगे कहा कि लोग हाइब्रिड आतंकवादियों के नाम पर जेल में डाले जा रहे हैं, संदेह के आधार पर बर्खास्त किये जा रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी भाजपा कश्मीरी पंडितों को सुरक्षा मुहैया कराने में नाकाम रही है।