नयी दिल्ली। केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठनों का आंदोलन नौ महीने से जारी है। हालांकि किसान संगठनों ने अपने आंदोलन को मजबूत करने के लिए जंतर-मंतर में किसान संसद का आयोजन किया था। जो सोमवार को समाप्त हो गई। किसान संसद के समाप्त होने से सरकार को कहीं-न-कहीं कुछ राहत जरूर मिली होगी क्योंकि किसानों ने जंतर-मंतर पर किसान संसद का आयोजन किया था जो संसद भवन से कुछ दूरी पर ही स्थित है।
किसानों ने पारित किया अविश्वास प्रस्ताव
राष्ट्रीय राजधानी में जंतर-मंतर पर किसानों का आंदोलन केंद्र के खिलाफ एक ‘अविश्वास प्रस्ताव’ पारित करने के बाद समाप्त हो गया। क्योंकि इसे बढ़ाने के लिए पुलिस से कोई अनुमति नहीं मांगी गई है। भारतीय किसान यूनियन के एक पदाधिकारी ने कहा कि केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ नौ महीने पहले शुरू हुआ किसान आंदोलन हालांकि दिल्ली की सीमाओं पर जारी रहेगा।आपको बता दें कि किसान संसद में प्रतिदिन 200 किसानों ने हिस्सा लिया। इसके लिए बकायदा किसानों के आईडी कार्ड जारी किए जाते थे। शांति पूर्वक दिल्ली की सीमाओं से बसों में बैठकर किसान जंतर-मंतर पहुंचते थे और वहां पर किसान संसद का आयोजन होता था। इसमें बकायदा स्पीकर की भी नियुक्त की जाती थी। एक दिन ऐसा भी था जब कृषि कानूनों को लेकर वहां पर नियुक्त किए गए मंत्री ने इस्तीफा भी दिया।दिल्ली पुलिस ने किसानों को जंतर-मंतर पर 22 जुलाई से 9 अगस्त तक अधिकतम 200 लोगों के साथ प्रदर्शन करने की अनुमति दी थी। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि किसानों ने शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन किया है और वो आज शाम में अपने प्रदर्शन के बाद जंतर-मंतर से चले जाएंगे।गौरतलब है कि कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर किसान संगठनों के लोग पिछले साल नवंबर से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। सरकार किसान नेताओं के साथ 11 दौर की औपचारिक वार्ता कर चुकी है, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला है। किसानों की मांग है कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लें और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) कानून बनाए।