By सुयश भट्ट | Feb 28, 2022
भोपाल। मध्य प्रदेश के किसानों के पास जहर खाने के भी पैसे नहीं हैं। यह बात सूबे की शिवराज सरकार के मंत्री कर रहे हैं। एमपी के अशोकनगर जिले में एक सरकारी बैठक के दौरान पीएचई मंत्री बृजेंद्र सिंह यादव ने ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन तोमर के सामने यह बात कही है। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
दरअसल अशोकनगर में ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन तोमर और पीएचई मंत्री बृजेंद्र सिंह यादव एक बैठक ले रहे थे। इस बैठक में बिजली कंपनियों के अधिकारी भी मौजूद थे। इस दौरान यादव ने बिजली बिलों की बकाया राशि वसूलने के लिए चलाए जा रहे अभियान को रुकवाने की बात कही। उन्होंने कहा कि मैं बिजली कंपनी वालों से तो कुछ नहीं कहूंगा क्योंकि आप उस विभाग के मंत्री हैं। इसलिए मेरा अनुरोध है कि बिल जमा न करने पर गांवों की लाइट काटी जा रही है जिसे तत्काल रुकवा दीजिए।
इसे भी पढ़ें:हाइकोर्ट ने घरेलू हिंसा को लेकर सुनाई सजा, पत्नी को पीटने वाले पति को बनकर रहना होगा घरजमाई
मंत्री यादव आगे कहते हैं कि आज स्थिति यह है कि किसी भी किसान के पास जहर खाने तक को रुपए नहीं हैं। क्योंकि ओलावृष्टि और अतिवृष्टि की मार किसान पर पड़ चुकी है। हालांकि अभी फसल काफी अच्छी है, जब यह फसल आ जाएगी, तो 100 में से 90 प्रतिशत किसान तो बिल जमा कर ही देंगे।
इसी के साथ ही पीएचई मंत्री ने बिजली कटौती को लेकर भी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि अभी परीक्षाएं चल रही है। हम लोगों को जवाब देते-देते पागल हो जाते हैं। इस पर मंत्री तोमर ने पूछा कि 24 घंटे दी जाने वाली बिजली क्यों काट रहे हो?
इसे भी पढ़ें:बोरवेल में गिरने से हुई बच्चे की मौत, 6 घंटे तक चला रेस्क्यू ऑपरेशन
वहीं इस बैठक के दौरान मंत्री यादव बिजली कंपनी के एसइ राजेश सक्सेना पर भी फोन न उठाने को लेकर भड़क गए। उन्होंने कहा कि अब आपसे बात कराने के लिए एक आदमी अलग से रखना पड़ेगा। मैंने आपको 36 काल किए, मगर फोन नहीं उठाया। आप ध्यान रखिए, मंत्री का फोन उठना चाहिए। अगर फोन नहीं उठा पाए, तो रिटर्न करते। इस पर एसइ सक्सेना ने अपनी गलती मानते हुए तत्काल क्षमा मांगी।
आपको बता दें कि किसानों के पास जहर खाने के पैसे नहीं है वाला मंत्री का बयान तेजी से वायरल हो रहा है। कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलुजा ने कहा की इससे खुद ही शिवराज जी के 22 माह में किसानो के खाते में 1.72 लाख करोड़ डालने के दावे की हकीकत समझी जा सकती है। मुआवज़े, फसल बीमा की राशि मिलने की वास्तविकता समझी जा सकती है।