गुना। मध्य प्रदेश में खाद को लेकर किसानों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है। रबी सीजन के समय इस समय सबसे ज्यादा जरुरत किसान की खेतों में है, पर किसानों के एक-एक कट्टे खाद के लिए कतार में लगना पड़ रहा है। गुना जिले में तो कलेक्ट्रेट के पास स्थित एमपी स्टेट एग्रो इण्डस्ट्रीज डेव्हलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड रसायनिक खाद विक्रय केन्द्र पर अलसुबह से ही किसानों की कतार लगनी शुरु हो जाती है। वही दिन चढ़ते यहां कतार काफी लंबी हो जाती है। किसान घंटों कतार में लगकर अपनी बारी का इंतजार करते देखे गए। यह स्थिति अन्य केन्द्रों पर भी थी।
गुना में कारखाना, फिर भी किसान परेशान
मध्य प्रदेश के गुना जिले में खाद कारखाना एनएफएल है। इसके बाद भी यहां के किसानों को खाद के लिए परेशान होना पड़ता है। शहर के केन्द्रों के साथ ही अंचल में समितियों पर खाद की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं हो पा रही है। समितियों पर सिर्फ खाताधारक किसान को ही खाद दिया जा रहा है। ऐसे में अन्य खाद वितरण केंद्रों पर किसानों की भीड़ लग रही है। वही पीओएस मशीन से वितरण में काफी समय लग रहा है। हालांकि इस परेशानी को कम करने हाल ही में प्रशासन ने सभी वितरण केंद्रों पर कृषि विभाग के अलावा पटवारियों की ड्यूटी लगा दी है। जो खाद वितरण से पहले तकनीकी प्रक्रिया में सहायता कर रहे है। किसानों के समक्ष बड़ी समस्या आधार कार्ड अपडेट न होना तथा ओटीपी न मिलने की आ रही है।
43 हजार मीट्रिक टन होना है खाद का वितरण
कृषि उपसंचालक अशोक उपाध्याय ने किसानों को भरोसा दिलाते हुए कहा कि जिले में खाद की कोई कमी नहीं है। एनएफएल से लगातार खाद की आर्पूति हो रही है। जिले में खाद वितरण का लक्ष्य 43 हजार मीट्रिक टन रखा गया है। इसके विपरीत 22 हजार के मीट्रिक टन के लगभग खाद का वितरण किया जा चुका है। अभी भी स्टॅाक में खाद रखा हुआ है। 8 डबल लॉक गोदाम के साथ ही 86 समितियों के माध्यम से खाद का वितरण किया जा रहा है। किसानों के अनुसार एक बीघा भूमि के लिए एक कट्टा मिल रहा है।
वही किसान हरकिशन ने बताया कि अधिकांश किसान सहकारी समिति के सदस्य नहीं हैं, इसलिए उन्हें वहां से खाद नहीं मिल रहा। गांव में खाद की निजी दुकान भी नहीं है। कृषि मंडी व डबल लॉक गोदाम पर खाद लेने वालों की काफी भीड़ होने से बहुत दिक्कत आ रही है। इसके चलते मजबूरी में खाद के लिए शहर आना पड़ता है। यहां भी काफी समय लग जाता है। आने-जाने का किराया सहित खाना-पानी का खर्च होता है वह अलग से। रामकिशन ने बताया कि इस बार खाद वितरण पीओएस मशीन से किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में बहुत समय लग रहा है। एक किसान का नंबर कम से कम 15 मिनट बाद आ पाता है। खाद वितरण केंद्रों पर कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए ।