By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Mar 09, 2022
साथ ही हर केंद्र पर मीडिया सेंटर भी स्थापित किए जाएंगे। हर विधानसभा क्षेत्र में पर्याप्त संख्या में सहायक पीठासीन अधिकारियों की तैनाती की गई है, ताकि मतगणना का कार्य निर्बाध रूप से पूरा किया जा सके। अधिकारी ने बताया कि सभी मतगणना केंद्रों की त्रिस्तरीय सुरक्षा सुनिश्चित की गई है। इसमें केंद्रीय पुलिस बल, पीएसी तथा राज्य पुलिस बल शामिल हैं। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक तमाम मतगणना केंद्रों पर 250 कंपनी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल तैनात किये गये हैं। इनमें से 36 कंपनियों को ईवीएम की सुरक्षा में तैनात किया गया है जबकि 214 को मतगणना के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी दी गई है। मतगणना के दौरान कुल 61 कंपनी पीएसी बल भी तैनात किये गये हैं। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश पुलिस के 625 राजपत्रित अधिकारी, 1807 इंस्पेक्टर, 9598 दारोगा, 11627 हेड कांस्टेबल और 48649 कांस्टेबल को मतगणना के दौरान सुरक्षा में तैनात किया गया है। उत्तर प्रदेश के चुनावी घमासान के बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की निगरानी को लेकर भी विपक्षी दल काफी सतर्क हैं और उन्होंने विभिन्न जिलों में मशीनों के रखे जाने वाले स्थलों के बाहर बाकायदा अपने कैंप लगाकर निगरानी शुरू कर दी है।
मंगलवार को सपा अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने वाराणसी में मतगणना के दौरान धांधली करने के मकसद से तीन ट्रकों से ईवीएम ले जाए जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि सत्तारूढ़ भाजपा मतदाताओं के वोट चुराने की कोशिश कर रही है। हालांकि चुनाव आयोग ने इसे गलत और अफवाह बताते हुए स्पष्ट किया कि वे मशीन मतगणना ड्यूटी में लगाए गए कर्मियों को प्रशिक्षण देने के लिए ले जाई जा रही थी। वाराणसी के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा के मुताबिक मंगलवार को वाराणसी में सपा कार्यकर्ताओं द्वारा जो ट्रक रोका गया, उसमें रखी 20 ईवीएम मतगणना कर्मियों के प्रशिक्षण के लिए ले जाई जा रही थीं। इन सभी ईवीएम को विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों के सामने जांचा परखा गया। इस दौरान यह पाया गया कि इन मशीनों का मुख्य मतदान से कोई लेना-देना नहीं है। पिछले सोमवार को सातवें और अंतिम चरण के मतदान के बाद विभिन्न समाचार चैनलों द्वारा दिखाए गए एग्जिट पोल में उत्तर प्रदेश में एक बार फिर भाजपा की सरकार बनने का दावा किया गया है। हालांकि उनमें सपा की सीटों की संख्या पहले से अधिक होने की संभावना भी जताई गई है। इसके अलावा बसपा के दहाई के अंक तक सिमट जाने और कांग्रेस को 10 से कम सीटें मिलने का अनुमान व्यक्त किया गया है। हालांकि सपा और बसपा ने एग्जिट पोल को पूरी तरह से खारिज करते हुए पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने का दावा किया। योगी आदित्यनाथ अगर चुनाव के बाद दोबारा मुख्यमंत्री बनते हैं तो वह सामान्य निर्वाचन के बाद लगातार दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने वाले पहले व्यक्ति होंगे। भाजपा ने वर्ष 2017 में प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई थी।
पिछले विधानसभा चुनाव में इस पार्टी को 403 में से 312 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं, उसके सहयोगियों अपना दल (सोनेलाल) को नौ और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को चार सीटें मिली थी। भाजपा ने इस बार अपना दल (सोनेलाल) और निषाद पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा, जबकि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस बार राष्ट्रीय लोक दल तथा सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी समेत कई क्षेत्रीय दलों से गठबंधन किया है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिहाज से महत्वपूर्ण होने के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरे प्रदेश में जगह-जगह ताबड़तोड़ रैलियां कीं। वैसे तो उनके निशाने पर सभी विपक्षी दल रहे लेकिन उनका विशेष जोर सपा पर हमले बोलने पर ही रहा। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 131 चुनावी रैलियां और रोड शो किए। हालांकि बसपा अध्यक्ष मायावती देर से चुनाव मैदान में उतरीं, मगर उन्होंने प्रमुख स्थानों पर पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में रैलियां कीं। उधर, कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में पुनर्जीवित करने की जुगत में लगी पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने सबसे आगे आकर पार्टी के चुनाव प्रचार की कमान संभाली और अन्य पार्टियों के शीर्ष नेताओं के मुकाबले सबसे ज्यादा 209 रैलियां और रोड शो की हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रायबरेली में वर्चुअल रैली को संबोधित किया, जबकि पार्टी पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अमेठी तथा वाराणसी में आयोजित दो रैलियों में शिरकत की।