Prabhasakshi NewsRoom: मौसम भी खूब ले रहा है जान, इस साल पहले नौ महीनों में 3200 की जान गयी, केरल को हुआ सबसे ज्यादा नुकसान

By नीरज कुमार दुबे | Nov 09, 2024

तमाम तरह की बीमारियां और हादसे तो लोगों की जान लेते ही हैं साथ ही अब मौसम भी बड़ी संख्या में लोगों की जान लेने लग गया है। इस साल पहले सर्दी ने रिकॉर्ड तोड़ा फिर गर्मी ने नया रिकॉर्ड बनाया। कहीं बारिश और बाढ़ ने पिछले रिकॉर्ड तोड़े। इस सबके चलते जानमाल का काफी नुकसान हुआ। अब जो रिपोर्ट सामने आई है वह बताती है कि भारत में मौसम की चरम परिस्थितियों से जुड़ी घटनाओं के कारण इस साल के शुरुआती नौ महीने में 3,200 से अधिक लोगों की मौत हो गई और 2.3 लाख से अधिक मकान नष्ट हो गए। हम आपको बता दें कि दिल्ली स्थित थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट’ (सीएसई) की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को इस साल के शुरुआती नौ महीने में 93 प्रतिशत दिनों यानी 274 दिन में से 255 दिन में मौसम की चरम परिस्थितियों से जुड़ी घटनाओं का सामना करना पड़ा। रिपोर्ट में कहा गया है कि मौसम की चरम परिस्थितियों ने 3,238 लोगों की जान ले ली, 32 लाख हेक्टेयर (एमएचए) फसलें प्रभावित हुईं, 2,35,862 मकान एवं इमारतें नष्ट हो गईं और 9,457 पशु मारे गए।


इसकी तुलना में 2023 के शुरुआती नौ महीने में 273 दिनों में से 235 दिन मौसम की परिस्थितियां चरम दर्ज की गई थीं, जिसके कारण 2,923 लोगों की मौत हुई थी, 18 लाख 40 हजार हेक्टेयर फसलें प्रभावित हुई थीं, 80,293 मकान क्षतिग्रस्त हुए थे तथा 92,519 पशु मारे गए थे। रिपोर्ट तैयार करने वाले डेटा विश्लेषकों ने बताया कि रिपोर्ट में जो नुकसान दर्ज किया गया है, वह घटना-विशिष्ट नुकसानों का पूर्ण डेटा नहीं होने के कारण इससे भी अधिक हो सकता है।

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मध्य प्रदेश में देश में सर्वाधिक 176 दिन तक मौसम की परिस्थितियां चरम रहीं। केरल में सबसे अधिक 550 लोगों की मौत हुई। उसके बाद मध्य प्रदेश (353) और असम (256) का नंबर आता है। आंध्र प्रदेश में सबसे अधिक (85,806) मकान क्षतिग्रस्त हुए, जबकि मौसम की चरम परिस्थितियों के कारण देशभर में जो फसलें नष्ट हुई, उनकी 60 प्रतिशत से अधिक फसलें महाराष्ट्र में नष्ट हुईं। फसलों को नुकसान के मामले में महाराष्ट्र के बाद मध्य प्रदेश (25,170 हेक्टेयर) का नंबर आता है। महाराष्ट्र में 142 दिन तक मौसम की परिस्थितियां चरम रहीं। रिपोर्ट के मुताबिक इस साल 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चरम मौसम वाले दिनों में वृद्धि देखी गई जिनमें से कर्नाटक, केरल और उत्तर प्रदेश में ऐसी घटनाओं के 40 या उससे अधिक अतिरिक्त दिन रहे।


रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल जलवायु संबंधी कई रिकॉर्ड भी स्थापित हुए। जनवरी 1901 के बाद से भारत का नौवां सबसे सूखा महीना रहा। फरवरी में, देश ने पिछले 123 वर्ष में अपना दूसरा सबसे कम न्यूनतम तापमान दर्ज किया। मई में चौथा सबसे अधिक औसत तापमान दर्ज किया गया और जुलाई, अगस्त एवं सितंबर में 1901 के बाद से सबसे कम न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की महानिदेशक सुनीता नारायण ने कहा कि रिकॉर्ड तोड़ आंकड़े जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं पहले शताब्दी में एक बार होती थीं, वे अब हर पांच साल या उससे भी कम समय में हो रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार, बाढ़ के कारण 1,376 लोगों की मौत हुई, जबकि वज्रपात और तूफान के कारण 1,021 लोगों की जान गई।

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