By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Oct 14, 2021
चंडीगढ़| पंजाब सरकार ने अंतरराष्ट्रीय सीमा से 50 किलोमीटर के दायरे में तलाशी लेने और गिरफ्तारी करने का सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को अधिकार देने के केंद्र के कथित कदम पर बुधवार को कड़ी आपत्ति जताई और इसे ‘संघवाद पर हमला करार दिया।
कुछ रिपोर्टों से पता चलता है कि केंद्र ने बीएसएफ को अंतरराष्ट्रीय सीमा से 50 किमी के भीतर क्षेत्र में तलाशी लेने, संदिग्धों को गिरफ्तार करने और जब्ती करने का अधिकार दिया है। इससे पहले, बीएसएफ को पंजाब में अंतरराष्ट्रीय सीमा से 15 किमी तक कार्रवाई करने का अधिकार था।
कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने इस कदम के पीछे भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाये हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को टैग करते हुए ट्वीट किया, ‘‘मैं अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के साथ 50 किमी के क्षेत्र में बीएसएफ को अतिरिक्त अधिकार देने के भारत सरकार के एकतरफा फैसले की कड़ी निंदा करता हूं, जो संघवाद पर सीधा हमला है। मैं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से इस असंगतनिर्णय को तुरंत वापस लेने का आग्रह करता हूं।’’
हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने इस कदम के समर्थन में कहा, ‘‘बीएसएफ की बढ़ी हुई उपस्थिति और शक्तियां ही हमें मजबूत बनाएगी। आइए केंद्रीय सशस्त्र बलों को राजनीति में न घसीटें।’’ उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने भी इस फैसले की निंदा की और केंद्र से इसे वापस लेने का आग्रह किया।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से इस कदम को वापस लेने का आग्रह करता हूं। मुझे समझ में नहीं आता कि सरकार के दिमाग में क्या है, लेकिन यह हस्तक्षेप और हमारे अधिकारों पर हमला है।’’ रंधावा ने कहा कि सीमा पार से आने वाले ड्रोन के मुद्दे के समाधान के बजाय, केंद्र ने बीएसएफ को सीमा के अंदर 50 किलोमीटर की दूरी तक कार्रवाई करने की अनुमति देने का फैसला किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि केंद्र को हमारी राष्ट्रीयता पर संदेह है। मैं कहना चाहता हूं कि पंजाबी देशभक्त हैं और देश से प्यार करते हैं।’’ बाद में, एक बयान में, रंधावा ने बीएसएफ अधिनियम की धारा 139 में हालिया संशोधन के लिए केंद्र पर बरसते हुये कहा कि यह ‘संघवाद पर हमले’ के समान है।
उन्होंने कहा कि राज्यों से परामर्श किए बिना या उनकी सहमति प्राप्त किए बिना बीएसएफ अधिकारियों को पुलिस अधिकारियों की शक्तियां प्रदान करके केंद्र सरकार संविधान के संघीय ढांचे को ध्वस्त करने का प्रयास कर रही है।