By अभिनय आकाश | Mar 10, 2023
इजराइल में बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ विरोध का तूफान आया हुआ है। जिसकी वजह से सत्ता में लौट कर भी नेतन्याहू पूरी तरह पकड़ नहीं बना पाए हैं। इजराइल में नेतन्याहू सरकार के खिलाफ हर गुजरते दिन के साथ प्रदर्शन तेज हो गया है। काफी संख्या में लोगों ने प्रधानमंत्री नेतन्याहू सरकार के न्यायिक सुधारों का विरोध किया है। इजराइल में पिछले कई दिनों से प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है। प्रधानमंत्री नेतन्याहू के न्यायिक सुधारों के खिलाफ हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर हैं और पाचवें हफ्ते में भी अपना आंदोलन जारी रखा है। प्रदर्शनकारियों ने नेतन्याहू की नई सरकार पर लोकतांत्रिक शासन को खतरे में डालने का आरोप लगाया है। वहीं इजराइल की बेंजामिन नेतन्याहू सरकार का कहना है कि जजों के दबदबे पर अंकुश लगाने के लिए अदालती सुधारों की जरूरत है।
नेतन्याहू सरकार के खिलाफ क्यों हो रहा विरोध प्रदर्शन
प्रदर्शनकारियों ने इजराइल की सरकार और इजराइल के जजों में संघर्ष के बीच लोकतांत्रिक शासन को खतरे में डालने का आरोप लगाया। बेंजामिन नेतन्याहू के फिर से सत्ता में लौटने के बाद प्रदर्शन हो रहा है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि नेतन्याहू पर भ्रष्टाचार के मुकदमें दर्ज हैं और वो जेल जाने से बचने के लिए जजों पर लगाम लगाने की कोशिश कर रहे हैं। कई प्रदर्शनकारियों का मानना है कि कानून मंत्री यारिन लेवन की ओर से लाए गए प्रस्तावों से अदालत की न्यायिक शक्ति कम होगी और जजों की नियुक्ति पर सियासी नियंत्रण होगा। जिससे ज्यूडिशरी को कमजोर किया जा सकता है। इजराइल में न्यायपालिका में आमूल-चूल परिवर्तन से संबंधित सरकार के एक विवादित प्रस्ताव के खिलाफ बृहस्पतिवार प्रदर्शनकारियों ने सड़कों को बंद कर दिया, जिसके चलते प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू हेलीकॉप्टर से हवाई अड्डा पहुंचे। हज़ारों की संख्या में प्रदर्शनकारी इजराइली संसद या नेसेट के बाहर एकट्ठा हो गए।
क्या है इस बिल में
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की दक्षिणपंथी गठबंधन सरकार नया बिल लेकर आई है, जिसके कारण बीते दो माह से विरोध हो रहा है। ऐसा कहा गया है कि सरकार, सुप्रीम कोर्ट पर अंकुश लगाने के लिए न्यायपालिका में बदलाव की कोशिशें कर रही है। यदि पारित हो जाता है, तो विवादास्पद प्रस्तावित न्यायिक सुधार इजरायल सरकार को देश की न्यायपालिका पर अधिक नियंत्रण देंगे, जिसमें न्यायाधीशों की नियुक्ति के साथ-साथ सर्वोच्च न्यायालय को कमजोर करना शामिल है। इन प्रस्तावित परिवर्तनों के कारण देश भर में कई सप्ताह तक विरोध भी हुआ।
सरकार का क्या कहना है?
नेतन्याहू ने लंबे सियासी गतिरोध के बाद दिसंबर के अंत में पद संभाला था और उनके सहयोगियों का कहना है कि इन उपायों का उद्देश्य अदालत पर लगाम लगाना है, जिसने अपनी हद पार की है। आलोचकों का कहना है कि प्रस्तावित बदलाव ‘जांच और संतुलन’ की व्यवस्था को पलट देगा और इजराइल को सत्तावाद की ओर धकेल देगा। आलोचकों का यह भी कहना है कि भ्रष्टाचार के आरोप झेल रहे नेतन्याहू व्यक्तिगत शिकायतों से व्यथित हैं और बदलाव के माध्यम से आरोपों से बचने का रास्ता खोज सकते हैं। प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने हालांकि कुछ भी गलत करने से इनकार किया और कहा कि कानूनी बदलावों का उनके मुकदमे से कुछ लेना देना नहीं है।
कहां दबाव बना रहा है?
विरोध के अलावा, नेतन्याहू की सरकार पर दबाव तब बना जब देश के अटॉर्नी जनरल ने नेतन्याहू को सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद एक प्रमुख कैबिनेट सहयोगी को बर्खास्त करने के लिए कहा, जिसने उन्हें कर अपराधों की सजा के कारण सरकारी पद संभालने से अयोग्य घोषित कर दिया था। स्वास्थ्य और आंतरिक मंत्री के रूप में आर्येह डेरी की नियुक्ति को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा "बेहद अनुचित" माना गया था, केवल कुछ महीने बाद ही उन पर जुर्माना लगाया गया था और उन्होंने अपनी संसदीय सीट छोड़ दी थी। इस हफ्ते की शुरुआत में, नेतन्याहू, जो खुद भ्रष्टाचार के मुकदमे में थे, ने विरोध के बावजूद न्यायिक परिवर्तन योजनाओं को जारी रखने की कसम खाई।