पहले निबंध की शुरूआत एक लाइन के जरिये हुआ करती थी ''भारत एक कृषि प्रधान देश है''। मोबाइल क्रांति के बाद से स्थिति थोड़ी बदल सी गई। अब भारत व्हाट्सएप प्रधान देश भी बन चुका है। If you are not paying for it, you become the product ये अंग्रेजी की एक कहावत है। जिसका मतलब है कि अगर आप कोई प्रोडक्ट मुफ्त में ले रहे है तो इसका मतलब है कि आप खुद ही प्रोडक्ट हैं। व्हाट्सएप पर आए एक नोटिफिकेशन से ये बात जरूर साबित हो गई है। पिछले कुछ दिनों में दुनियाभर के करीब दो सौ करोड़ लोगों को व्हाट्सएप पर एक नोटिफिकेशन मिला।
इस नोटिफिकेशन में कहा गया कि 8 फरवरी 2021 तक आपको जो शर्तें लिखीं हैं उसे स्वीकार करना होगा। अगर आप ये शर्तें स्वीकार नहीं करते तो आपका व्हाट्सएप एकाउंट बंद कर दिया जाएगा।
नोटिफेकेशन की शर्तें क्या थी- व्हाट्सएप आपके डेटा को फेसबुक के साथ शेयर करेगा। जिसके लिया वो ग्रीन बटन के जरिये आपसे एग्री यानी इजाजत की मांग कर रहा है। फेसबुक ही व्हाट्सएप की पैरेंट कंपनी है। डेटा का मतलब है आपका फोन नंबर, आपके कांन्ट्रैक्ट्स और आपको व्हाट्सएप स्टेटस जैसी तमाम जानकारियां। ये डेटा व्हाट्सएप लेकर फेसबुक के साथ शेयर करना चाह रहा है। मतलब व्हाट्सएप आपकी कुछ चीजों की निगरानी करेगा और उसे थर्ड पार्टी के साथ शेयर भी करेगा। व्हाट्सएप ये गौर करगेा कि आप कितनी देर आनलाइन रहते हैं, आनलाइन रहकर क्या करते हैं। कौन सा फोन इस्तेमाल करते हैं और किस तरह के कंटेट व्हाट्सएप पर पसंद करते हैं। क्या सबसे अधिक देखते हैं। सबसे अधिक जो कंटेट आप देखते होंगे वह बेसिक डेटा व्हाट्सएप थर्ड पार्टी यानी फेसबुक, इंस्टाग्राम को शेयर करेगा और फिर उसी से मिलता-जुलता कंटेट आपको दिखाया जाएगा।
दरअसल, व्हाट्सएप पर भेजे गए मैसेज इंड टू इंड इंक्रिप्शन की मदद से स्कियोर होते हैं। मान लीजिए कि दो लोग हैं जिन्होंने एक दूसरे को भेजा हो। जैसे ही आप मैसेज भेजते हैं एक प्रोग्राम आपके मैसेज को एक जटिल कोड में बदल देता है। जिसे मैसेज भेजा गया है उसके फोन में वो कोड जाता है दोबारा मैसेज में बदल जाता है और जिसने वो मैसेज पढ़ा उसे समझ में आ जाता है कि सामने वाले ने मैसेज क्या भेजा। इस दौरान कोई भी मैसेज कहीं भी स्टोर नहीं होता।
व्हाट्सएप की नई पाॅलिसी आने के बाद लोग खफा चल रहे थे और दूसरे प्लेफार्म पर जाना भी शुरू कर दिया। निगेटिव इम्पैक्ट देखकर व्हाट्सएप डैमेज कंट्रोल में जुट गया। ट्वीटर पर पोस्ट डालकर और अखबारों में पूरे पन्ने का विज्ञापन देकर व्हाट्सएप लोगों को समझा रहा है कि आपकी चैट अभी भी सुरक्षित हैं।
व्हाट्सएप के विज्ञापन के अनुसार उनकी पाॅलिसी में बदलाव आपकी निजी चैट को किसी भी तरह से प्रभावित नहीं करते हैं। ये अपडेट सिर्फ बिजनेस अकाउंट से बात करने को लेकर है और वो भी वैकल्पिक है। आप चाहे तो व्हाट्सएप पर किसी भी बिजनेस से बात न करे और अगर ऐसा करते हैं तो व्हाट्सएप इस बातचीत को फेसबुक से साझा कर सकता है। फिर इसे आपकी जानकारी से जोड़कर आपके हिसाब से विज्ञापन दिखा सकता है। व्हाट्सएप का कहना है कि बाकी सारी चीजें पहले जैसी हैं। व्हाट्सएप ने ट्वीटर और विज्ञापन के जरिये ये बाते भी कहीं। व्हाट्सएप और फेसबुक न तो आपके प्राइवेट मैसेज देख सकता है न ही आपकी काॅल सुन सकते हैं। व्हाट्सएप इस बात रिकाॅर्ड नहीं रखता कि आप किसी चैट या काॅल कर रहे हैं। आप व्हाट्सएप पर जो लोकेशन दूसरे के साथ साझा करते हैं उसे न तो व्हाट्सएप देख सकता है और न ही फेसबुक। व्हाट्सएप आपको फोन में मौजूद कांट्रैक्ट्स को फेसबुक के साथ शेयर नहीं करता है। व्हाट्सएप पर बने हुए ग्रुप प्राइवेट ही रहेंगे।
अब आते हैं प्राइवेट पाॅलिसी पर। व्हाट्सएप, फेसबुक और इंस्टाग्राम तीनों का प्रभुत्व मार्क जुकरबर्ग के पास है। वहीं उसके प्रतियोगी कहे या प्रतिद्वंद्वी गूगल के ही लोकेशन,क्लाउड, ड्राइव, जीमेल, यूट्यूब, गूगल एडसेंस हैं। गूगल को टक्कर देने या उसे पछाड़ने के लिए फेसबुक के द्वारा इस तरह की कवायदों को किया जा रहा है। साल 2009 में जब व्हाट्सएप मार्केट में आई तो उस वक्त किसी को भी टेक्सट मैसेज भेजने के लिए कम से कम एक रुपये की शुल्क देनी होती थी। उस वक्त फ्री मैसेज की सुविधा के साथ व्हाट्सएप आया। जिसकी मैसेज और काॅल को कोई रिकार्ड भी नहीं कर सकता तो प्राइवेसी के मामले में भी सही था। साल 2014 में फेसबुक ने 9 बिलियन डाॅलर में व्हाट्सएप को खरीद लिया। लेकिन जिस प्लानिंग के तहत व्हाट्सएप को फेसबुक ने खरीदा था वो मनचाहा रिजल्ट नहीं मिल पा रहा था। जिसके बाद व्हाट्सएप और फेसबुक का ये पाॅलिसी वाला चक्कर सामने आया।
यूट्यूब में विज्ञापन के जरिये जो भी पैसा आता है वो गूगल एडसेंस के जरिये। फेसबुक की भी चाहत इसी तरह के तरीके को अपनाने की है। मतलब विज्ञापन फेसबुक पर चलेगा लेकिन यूजर को व्हाट्सएप के जरिये लाया जाएगा। यूट्यूब पर कैटेगराइजेशन ज्य़ादा बेहतर है। जिस पर फेसबुक के रिसर्च किया। यूट्यूब ने टाइटल, डिस्क्रिप्शन, टैग, थंबनेल आदि के माध्यम से पहले ही वीडियो से संबंधित सारी जानकारी पा ली। फिर ये डेटा के आधार पर गूगल एड सेंस कौन सा विज्ञापन दिखाना है तय करती है। ऐसी ही कुछ सोच फेसबुक की भी है। आप जो भी व्हाट्सएप पर कर रहे हैं वो इसकी जानकारी फेसबुक को देगा और फिर फेसबुक उसी हिसाब से विज्ञापन दिखाएगा। ताकि फेसबुक का विज्ञापन भी रिलेवेंट हो सके।
यूजर्स के विरोध पर फैसला टला
व्हाट्सएप के पाॅलिसी अपडेट से जुड़े फैसले के बाद लोग इसका भारी विरोध देखने को मिला। जिसके बाद व्हाट्सएप ने अपनी अपडेट पाॅलिसी को मई तक पोस्टपोन करने का फैसला किया। व्हाट्सएप का कहना है कि इससे यूजर्स को पाॅलिसी को समझने, इससे जुड़े कन्फ्यूजन दूर करने और इसे स्वीकार करने का मौका मिलेगा। कंपनी की तरफ से ब्लाॅग पोस्ट में यह बात कही गई।
व्हाट्सएप की प्राइवेसी पॉलिसी पर हाईकोर्ट
व्हाट्सएप की प्राइवेट पाॅलिसी को लेकर याचिकाकर्ता द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की गई। याचिका में कहा गया कि पाॅलिसी पर सरकार को एक्शम लेना चाहिए। साथ ही याचिकाकर्ता ने इसे निजता का उल्लंघन बताया। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस पर विस्तृत सुनवाई की बात करे हुई कोई नोटिस जारी नहीं किया। इसके साथ ही हाईकोर्टने कहा कि व्हाट्सएप एक प्राइवेट एप है। अगर आपकी निजता प्रभावित हो रही है तो आप इसे डिलीट कर दें। कोर्ट ने कहा क्या आप मैप या ब्राउजर इस्तेमाल करते है? उसमें भी आपका डाटा शेयर किया जाता है।
गूगल सर्च में व्हाट्सएप यूजर्स के नंबर
तमाम तरह के विवाद चल ही रहे थे कि व्हाट्सएप को लेकर एक और विवाद सामने आया। कहा जा रहा है कि व्हाट्सएप यूजर्स के फोन नंबर इंडेक्सिंग के जरिये गूगल सर्च पर एक्सपोज कर दिए हैं। इससे पहले एक रिपोर्ट आई थी जिसमें कहा गया था कि व्हाट्सएप ग्रुप के लिंक भी गूगल पर सर्च किए गए थे। समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार गूगल सर्च में व्हाट्सएप यूजर्स के नंबर देखे गए हैं। गौरतलब है कि व्हाट्सएप को मोबाइल के अलावा लैपटाॅप और कंप्यूटर पर भी चलाया जाता है। यूजर्स के नंबर व्हाट्सएप वेब के जरिये लीक हुए हैं। मतलब साफ है कि अगर आप व्हाट्सएप को कंप्यूटर या लैपटाॅप पर इस्तेमाल करते हैं तो आपका कान्टैक्ट पब्लिकली गूगल सर्च स्क्राॅल में आ सकता है। जिससे यूजर्स के स्पैम और साइबर अटैक जैले जोखिम हो जाते हैं।
कोरोड़ों की संख्या में भारतीय फेसबुक, व्हाट्सएप जैसी प्लेटफार्म्स का यूज करते हैं। अगर ऐसे में अगर ऐसे ही चलता रहा तो लोगों का भरोसा व्हाट्सएप से घटता दिखाई देगा। प्राइवेसी वाले मसले के बाद तो कई लोगों ने व्हाट्सएर छोड़ टेलीग्राम और सिग्नल जैसे एप्स का भी रुख किया था। बीते कुछ दिनों से जो भी हुआ उससे साफ प्रतीत होता है कि यूजर्स ने व्हाट्सएप को ये बता दिया कि आपकी मोनोपाॅली नहीं चलेगी। - अभिनय आकाश