By अनन्या मिश्रा | Jun 22, 2024
हमारे देश में भगवान शिव के तमाम मंदिर हैं। भगवान शिव के मंदिर में नंदी जरूर विराजमान होते हैं। बताया जाता है कि जहां पर नंदी नहीं होते हैं, वहां पर भगवान शिव का भी निवास नहीं होता है। ऐसे में जब भी हम भगवान शंकर के मंदिर में दर्शन के लिए जाते हैं, तो अपनी मनोकामना नंदी जी के कान में करते हैं।
यह मान्यता सदियों से चली आ रही है। भगवान शिव-शंकर ने नंदी जी को यह वरदान दिया था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि नंदी जी के कौन ने कान में अपनी मनोकामना कहनी चाहिए। अगर आपका जवाब नहीं है, तो हम आपको इस बारे में बताने जा रहे हैं।
किस कान में कहें अपनी इच्छा
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, जब भी मंदिर में भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए जाएं, तो उस समय तक मौन रहें जब तक आप अपनी मनोकामना नंदी जी के कान में नहीं कह देते हैं।
वहीं अगर आप इसको सरल शब्दों में कहें, तो यदि आप महादेव की पूजा-अर्चना और नंदी के कान में अपनी इच्छा कहने से पहले किसी से बात करते हैं, तो यह अशुद्ध माना जाता है। क्योंकि ऐसा करने पर आपकी शुद्धता भंग हो जाती है।
शास्त्रों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि भगवान की पूजा के समय मौन रहना चाहिए। जिससे कि आपके शरीर में दिव्य ऊर्जा बनी रहे और वह ऊर्जा मुंह के जरिए बाहर न निकले।
भगवान शिव शंभू ने नंदी को वरदान दिया था, यदि कोई व्यक्ति शिव पूजन के बाद मौन रखते हुए अपनी मनोकामना नंदी के बाएं कान में कहेगा। उसकी हर मनोकामना जरूर पूरी होगी।
बता दें कि कई लोग अक्सर यह गलती करते हैं कि नंदी जी के सीधे कान में अपनी इच्छा बोलते हैं। वहीं बहुत सारे लोग नंदी के कान के पास न जाकर दूर से ही अपनी इच्छा बोल देते हैं। ऐसा करना गलत है।