By Anoop Prajapati | Jan 07, 2025
हिंदी सिनेमा का सबसे नायाब हीरा यानी इरफान खान अब इस दुनिया में नहीं रहा है। इरफान खान बॉलीवुड में अपने दमदार अभिनय के लिए जाने जाते थे। उनकी एक्टिंग को दर्शक लंबे समय तक मिस करते रहेंगे। उन्होंने हॉलीवुड फिल्मों में काम किया है। इरफान खान को तीन बार फिल्मफेयर पुरस्कार और सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के तौर पर फिल्म 'पान सिंह तोमर' के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है। साथ ही उन्हें पद्मश्री सम्मान से भी नवाजना गया था। दर्शक ऐसा मानते हैं कि वे लीक से हटकर फिल्में करने की वजह से मशहूर थे। लगभग 4 साल पहले कोविड महामारी के दौरान उनका मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में निधन हो गया था।
जयपुर के पठान परिवार में हुआ था जन्म
जयपुर के मुस्लिम पठानी परिवार में 7 जनवरी 1967 को जन्मे इरफान खान बचपन से ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उनका पूरा और असली नाम था साहबजादे इरफान अली खान, जिसे बाद में बदलकर इरफान खान कर लिया। इरफान खान कभी भी ऐक्टिंग में नहीं आना चाहते थे। उनकी ख्वाहिश तो क्रिकेटर बनने की थी, लेकिन नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से स्कॉलरशिप मिली तो ऐक्टिंग का कीड़ा जाग गया। इरफान खान ऐक्टिंग का चस्का लेकर मुंबई आ गए और यहां उन्होंने एसी रिपेयर करने का काम शुरू कर दिया। माना जाता है कि जिस शख्स के घर वह सबसे पहले एसी ठीक करने गए थे, वह सुपरस्टार राजेश खन्ना का घर था।
टीवी की दुनिया मचाया था तहलका
काफी मुसीबतों के बाद इरफान खान की टीवी की दुनिया में बतौर ऐक्टर एंट्री हुई और उन्होंने अपना पहला कदम रखा। पहला टीवी शो 'श्रीकांत' था और इसके बाद उन्होंने 'भारत एक खोज', 'कहकशां' 'सारा जहां हमारा', 'बनेगी अपनी बात', 'चाणक्य', 'अंगूरी', 'स्पर्श' और 'चंद्र कांता' जैसे सीरियलों में काम किया और अपनी एक अलग पहचान बनाई। नीरजा गुलेरी के 'चंद्रकांता' में इरफान खान ने शिवदत्त के विश्वसनीय पात्र बद्रीनाथ का किरदार निभाया था। बद्रीनाथ के अलावा उन्होंने जुड़वां भाई सोमनाथ का किरदार भी प्ले किया। इस शो ने तो इरफान खान के करियर की दिशा ही बदल दी।
इसके बाद इरफान के पास फिल्म और टीवी के बड़े ऑफरों की लाइन ही लग गई। फिर इरफान ने दूरदर्शन पर 'लाल घास पर नीले घोड़े' नाम का एक टेलिप्ले किया था, जिसमें उन्होंने लेनिन का किरदार निभाया। इसके अलावा इरफान ने टीवी सीरीज 'डर' में भी काम किा, जिसमें उन्होंने साइको किलर का रोल किया था। इस सीरीज में ऐक्टर केके मेनन भी थे। इरफान थियेटर और टीवी की दुनिया में कमाल किए जा रहे थे कि तभी मीरा नायर की नजर उन पर पड़ी और साल 1988 में इरफान को अपनी फिल्म 'सलाम बॉम्बे' में काम दिया। यहीं से इरफान के लिए बॉलीवुड के दरवाजे खुल गए।
ऐक्टिंग छोड़ना चाहते थे इरफान
इरफान खान की जिंदगी में वह मोड़ भी आया था जब वह ऐक्टिंग छोड़ देना चाहते थे। यह तब की बात है जब वह टीवी के साथ फिल्मों में भी काम कर रहे थे। टीवी शोज हिट हो रहे थे, लेकिन इरफान को मलाल था कि एक भी फिल्म चल नहीं रही है। लेकिन 2001 में आई आसिफ कपाड़िया की फिल्म 'द वॉरियर' ने उनका मन बदल दिया।
दोस्ती सबसे पहले
उनके दोस्त हैदर अली ने बताया था कि इरफान और वो बचपन से साथ रहे। यहां तक कि उन्होंने पढ़ाई भी साथ ही की थी। एक बार का किस्सा बताते हुए उन्होंने कहा कि एक बार वह इरफान के साथ कॉलेज से घर आ रहे थे और रास्ते में उन्हें बिजली का करंट लग गया, उस दौरान वह काफी तड़प रहे था लेकिन वहां से गुजर रहे किसी व्यक्ति ने उनकी मदद नहीं की। ऐसे में इरफान ने उन्हें करंट से छुड़ाकर उनकी जान बचाई थी।
कई फिल्मों में निभाए दमदार किरदार
दिवंगत अभिनेता इरफान खान इंडस्ट्री में कई ऐसे किरदार निभाए जो शायद उनसे अच्छा कोई निभा ही नहीं सकता था। फिल्मों इरफान खान जब भी डायलॉग बोलते थे तो उनके अंदाज पर लोग फिदा हो जाते थे। अपने किरदारों केकाम के जरिए ही वह लोगों के दिलों पर राज किया करते थे। अपने एक्टिंग करियर में इरफान ने फिल्म मकबूल, पान सिंह तोमर, द लंच बॉक्स, डी डे, पीकू, हासिल, लाइफ ऑफ पाई, हिंदी मीडियम, मदारी ,स्लमडॉग मिलियनेयर और अंग्रेजी मीडियम जैसी कई ऐसी फिल्मों में काम किया जो शायद उनके किरदार के बिना अधूरी होती।