By अंकित सिंह | May 09, 2024
इटावा निर्वाचन क्षेत्र में 13 मई को चौथे चरण में मतदान होना है। इटावा लोकसभा सीट में इटावा, भरथना, औरैया, दिबियापुर और सिकंदरा विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं, जहां 18.23 लाख लोगों का बड़ा मतदाता आधार है, जिनमें से मुख्य रूप से अनुसूचित जाति समुदाय की आबादी है। यह सीट सुरक्षित है। लोकसभा चुनाव 2019 में इटावा लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के डॉ. राम शंकर कठेरिया विजयी उम्मीदवार रहे, उन्हें 522119 वोट मिले, जबकि सपा के कमलेश कुमार के पक्ष में 457682 वोट पड़े। कमलेश कुमार 64437 वोटों से हार गए।
वैसे इटावा को समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता रहा है। हालांकि कांग्रेस ने 3, समाजवादी पार्टी ने 4 और बीजेपी ने यहां से तीन बार चुनाव जीता है। 2014 से इस सीट पर लगातार भाजपा का कब्जा है। इस बार भाजपा के पास हैट्रिक लगाने का मौका है। दलित आबादी के साथ-साथ यहां ब्राह्मण मतदाताओं की भी संख्या अच्छी खासी है। समाजवादी पार्टी पिछले दो चुनाव में मिली हार को भुलाकर इस बार जीत दर्ज करने की इरादे से मैदान में उतरी है। सपा ने यहां से जितेंद्र दोहरी को मैदान में उतारा है। जबकि भाजपा ने मौजूदा सांसद रामशंकर कठेरिया पर अपना भरोसा भारत रखा है। बहुजन समाज पार्टी की ओर से पूर्व सांसद सारिका सिंह मैदान में हैं।
पहली बार इस सीट पर 1957 में वोटिंग हुई थी जब अर्जुन सिंह भदोरिया सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे। 1962 में कांग्रेस के जीएन दीक्षित विजई हुए। 1967 में भदोरिया की एक बार फिर से वापसी हुई। 1971 में कांग्रेस की श्री शंकर तिवारी सांसद बने। 1977 में अर्जुन सिंह भदोरिया की एक बार फिर से जनता पार्टी से वापसी हुई। 1980 में जनता पार्टी के राम सिंह शाक्य ने चुनाव जीता। 1984 में रघुराज सिंह चौधरी कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर विजई हुए। 1991 में इस सीट का प्रतिनिधित्व कांशी राम कर चुके हैं। जबकि 1996 में राम सिंह शाक्य के एक बार फिर से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतने में कामयाब हुए। 1998 में यह सीट बीजेपी की सुखदा मिश्रा ने जीता। 1999 और 2004 में समाजवादी पार्टी के रघुराज सिंह शाक्य के पास यह सेट गया जबकि 2009 में प्रेमदास कठेरिया समाजवादी पार्टी से जीतने में कामयाब रहे। 2014 में भाजपा के अशोक कुमार दोहरे ने चुनाव जीता था।