वाशिंगटन। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि उनका देश बड़ी वैश्विक रक्षा कंपनियों को भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर भारत में विनिर्माण इकाइयां लगाने में मदद पहुंचाने के लिए नीति तैयार कर रहा है। अमेरिका में भारतीय राजदूत नवतेज सरना द्वारा आयोजित भोज में जेटली ने कहा, ‘‘परिवर्तित नीति के तहत हम भविष्य में दुनिया से केवल (रक्षा उपकरण) खरीदने पर ही ध्यान देने नहीं जा रहे हैं बल्कि बड़ी रक्षा कंपनियों को भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर भारत में विनिर्माण इकाइयां लगाने के लिए प्रोत्साहित भी करने जा रहे हैं।’’
जेटली वित्त मंत्रालय के साथ रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी संभाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने कुछ प्रारंभिक नीतिगत बदलाव किए हैं तथा कुछ और की योजना बन रही है। उन्होंने कहा, ‘‘उम्मीद है कि रक्षा विनिर्माण की जहां तक बात है, आने आने वाले सालों में इस बदलाव का असर भारत में नजर आएगा। उसके प्रति बड़े विनिर्माताओं की अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है।’’ मनोहर पर्रिकर को गोवा का मुख्यमंत्री बनाये जाने के बाद जेटली को रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया। वह कोरपोरेट मामले मंत्रालय का कामकाज भी देख रहे हैं।
जेटली ने रक्षा और कारपोरेट कार्य मंत्रालय के प्रभारी के तौर पर अपने को इनका ‘‘नाइट वॉचमैन’’ बताया। उन्होंने कहा, ‘‘मेरी प्रधान जिम्मेदारी भारत सरकार के वित्तीय कामकाज को देखने की है, लेकिन इसके साथ ही कुछ और जिम्मेदारियां भी आती रहती हैं।’’ जेटली एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल के साथ 20 अप्रैल को यहां पहुंचे हैं। वह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की बैठकों में भाग लेंगे।