By अनन्या मिश्रा | Apr 18, 2025
आज ही के दिन यानी की 18 अप्रैल को दुनिया के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन का निधन हो गया था। हालांकि बचपन में आइंस्टीन की गिनती कमजोर बुद्धि वाले बच्चों में होती थी। लेकिन बाद में दुनिया उनके दिमाग का लोहा मानने लगी थी। तो वहीं एक समय ऐसा भी आया था, जब आइंस्टीन को स्कूल से निकाल दिया गया था। स्कूल से निकाले जाने के बाद अल्बर्ट आइंस्टीन ने कभी अपने जीवन में पीछे मुड़कर नहीं देखा। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको अल्बर्ट आइंस्टीन के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में बताने जा रहे हैं।
जन्म और शिक्षा
जर्मनी में 14 अप्रैल 1879 को एक यहूदी इंजीनियर के घर पर अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म हुआ था। जन्म के करीब 4 सालों तक उन्होंने एक भी शब्द नहीं बोला था। वहीं जन्म के समय उनका सिर सामान्य बच्चों की तुलना में काफी बड़ा था। स्कूल में पढ़ाई के दौरान आइंस्टीन की गिनती बेवकूफ बच्चों में होती थी। वह सिर्फ गणित और विज्ञान में पास होते थे और अन्य सभी सब्जेक्ट्स में फेल हो जाते थे।
एक बार अल्बर्ट की अध्यापिका ने उनको एक पत्र दिया था और कहा कि यह पत्र अपनी मां को देना। अल्बर्ट ने अपनी मां को यह पत्र दिया और पढ़कर मन ही मन मुस्कुराने लगी। तब अल्बर्ट ने पूछा कि इसमें क्या लिखा है, तो उनकी मां ने बताया कि पत्र में लिखा कि बच्चा पढ़ने में बहुत होशियार है और स्कूल में ऐसे टीचर नहीं है, जो आपके बच्चे को पढ़ा सकें। इसलिए आप अपने बच्चे का दूसरी जगह एडमिशन करा दें।
जिसके बाद अल्बर्ट की मां ने उसका एडमिशन दूसरे स्कूल में करा दिया था। फिर अल्बर्ट में मन लगाकर पढ़ाई करना शुरूकर दिया। वह अपनी मेहनत के दम पर एक महान वैज्ञानिक बने और जब उनकी मां का निधन हो गया तो अल्बर्ट आइंस्टीन ने मां की अलमारी से वह पत्र निकालकर पढ़ा, जिसमें लिखा था कि आपका बेटा पढ़ाई में बहुत कमजोर है और जैसे-जैसे उसकी उम्र बढ़ रही है, उसकी बुद्धि का विकास नहीं हो रहा है। इसलिए हम उसको अपने स्कूल से निकाल रहे हैं।
अलबर्ट आइंस्टीन की मुख्य खोजें
बता दें कि अल्बर्ट आइंस्टीन ने एक वैज्ञानिक के तौर पर कई खोज की थी। लेकिन अल्बर्ट को सबसे ज्यादा सापेक्षता के सिद्धांत के लिए जाना जाता है। उनके इस सिद्धांत ने दुनिया को देखने के तरीके में बहुत बदलाव किया। उन्होंने परमाणु बम और परमाणु ऊर्जा सहित कई आधुनिक अविष्कारों की नींव रखी। साल 1905 में आइंस्टीन की इस अवधारणा के साथ आए कि प्रकाश कणों से बना है। लेकिन इस अवधारणा से अधिकतर वैज्ञानिक सहमत नहीं थे। लेकिन बाद में हुए प्रयोगों ने इस मामलों को दिखाया। साल 1921 में अल्बर्ट आइंस्टीन को भौतिकी में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।