लखनऊ। गोमती रिवरफ्रंट योजना में कथित घोटाले पर योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा सख्त रुख अपनाये जाने के बीच लखनऊ पुलिस ने सिंचाई विभाग के आठ अभियंताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। गोमतीनगर के पुलिस क्षेत्राधिकारी सत्यसेन ने आज यहां बताया कि गोमती रिवरफ्रंट परियोजना के क्रियान्वयन में गड़बड़ियों के आरोप में सोमवार देर रात सिंचाई विभाग के आठ अभियन्ताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। यह मुकदमा शारदा परियोजना के एक अधिशासी अभियन्ता की तहरीर पर गोमतीनगर थाने में दर्ज किया गया है। तहरीर में गबन का आरोप लगाया गया है।
उन्होंने बताया कि जिन अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है, वे मुख्य अभियन्ता तथा अधीक्षण अभियन्ता के पदों पर तैनात हैं। गोमतीनगर के इंस्पेक्टर सुजीत दुबे ने कहा कि आरोपी अभियन्ताओं के खिलाफ सुबूत जुटाये जा रहे हैं। उन्हें जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा। मालूम हो कि गोमती रिवरफ्रंट प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की स्वप्निल परियोजना थी। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद यह परियोजना उसके राडार पर है। प्रदेश के नगर विकास राज्य मंत्री गिरीश कुमार यादव ने सोमवार को कहा था कि अभी दो-तीन दिन पहले ही रिवर फ्रंट परियोजना की जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपी गयी है।
रिपोर्ट में मामले की सीबीआई जांच की जरूरत बताये जाने के बारे में पूछे जाने पर यादव ने कहा कि यह रिपोर्ट गोपनीय है। बहरहाल, मुख्यमंत्री जी जो भी निर्णय लेंगे, उसके अनुसार सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे और समुचित कार्यवाही की जाएगी। जरूरी हुआ तो मुकदमा भी दर्ज कराया जाएगा। किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।
प्रदेश के नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना की अगुवाई में चार सदस्यीय समिति ने गोमती रिवरफ्रंट मामले की जांच की थी। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक माना जा रहा है कि उसकी सिफारिश पर इस मामले में मुकदमा भी होगा। ज्ञातव्य है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वक्फ काउंसिल आफ इण्डिया की रिपोर्ट मिलने के बाद पिछले सप्ताह शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड में हुए सैंकड़ों करोड़ रुपये के कथित घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सपनों की परियोजना कहे जाने वाले गोमती रिवरफ्रंट पर भी शुरू से ही योगी सरकार की नजर टेढ़ी रही। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गत एक अप्रैल को इस मामले की उच्च न्यायालय के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच कराने के आदेश दिये थे। साथ ही उन्होंने एक समिति भी गठित करके उससे 45 दिन के अंदर रिपोर्ट मांगी थी।