By अनन्या मिश्रा | Apr 22, 2023
ईद-उल-फितर मुस्लिमों का सबसे बड़ा त्योहार है। यह त्योहार रमजान महीने के पूरा होने पर मनाया जाता है। इसको ईद-उल-फितर या मीठी ईद भी कहा जाता है। इस बार 22 अप्रैल को ईद का पजर्व मनाया जा रहा है। पूरी दुनिया में मुसलमान बड़े धूमधाम से ईद का त्योहार मनाते हैं। सुबह की नमाज से इसकी शुरूआत की जाती है। इस दिन लोग एक-दूसरे के गले लग ईद की मुबारकबाद देते हैं। साथ ही ईद के मौके पर सेवई बनाई जाती है। आइए जानते हैं ईद-उल-फितर के इतिहास और इसके महत्व के बारे में...
महत्व
इस्लामिक मान्यता के अनुसार, रमजान के महीने के अंत में कुरान पहली बार आई थी। माना जाता है कि सन् 624 ईस्वी में पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बद्र की लड़ाई में जीत हासिल की थी। इसी खुशी में पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने सभी का मुंह मीठा करवाया था। रमजान माह को मुसलमानों का पवित्र महीना माना जाता है। रमजान में रोजा रखा जाता है। हर दिन अल्लाह की इबादत की जाती है और दुआ मांगी जाती है। रमजान के 29वें या 30वें दिन ईद-उल-फितर का पर्व मनाया जाता है।
क्यों मनाया जाता है यह पर्व
इस्लाम धर्म के अनुयायी बताते हैं कि रमजान के पाक महीने में जो भी मुसलमान सच्चे मन से रोजा रखता है या अल्लाह की इबादत करता है, उस पर अल्लाह मेहरबान रहते हैं। रोजा रखने का मौका देने और शक्ति देने के लिए अल्लाह का शुक्रिया अदा किया जाता है। इस दिन सुबह एक खास नमाज अदा की जाती है। फिर रिश्तेदारों और दोस्तों को ईद की बधाई दी जाती है। बता दें कि न सिर्फ भारत में बल्कि पूरे विश्व में ईद का त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
हिजरी कैलेंडर
बता दें कि मुसलमानों का हिजरी कैलेंडर चांद पर आधारित है। रमजान का पाक महीना चांद के दिखने पर शुरू होता है। वहीं ईद भी चांद दिखने पर ही मनाई जाती है। रमजान के पूरे माह तक रोजा रखने के साथ ही खुदा की इबादत की जाती है। ईद भाईचारे का संदेश देती है। इस दिन जकात भी दी जाती है। जकात का अर्थ है कि अपनी कमाई का कुछ हिस्सा जरूरतमंदों या गरीबों को बांटा जाता है। इस दिन तमाम तरह के स्वादिष्ट पकवान और शीर खुर्मा व सेवईं बनाई जाती है।