By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 23, 2024
नयी दिल्ली । प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने मंगलवार को बजट 2024-25 को रोजगार सृजन, मुद्रास्फीति प्रबंधन और राजकोषीय विवेक पर केंद्रित बताते हुए इसे अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत बताया है। नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि यह देखकर अच्छा लगा कि सरकार ने रोजगार और कौशल विकास को पहली प्राथमिकता दी है। कुमार ने कहा, “इससे पता चलता है कि सरकार जमीनी स्तर पर काम कर रही है और वह कुछ अर्थशास्त्रियों की तरह बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन के झूठे दावों से प्रभावित नहीं हो रही है।”
एनआईपीएफपी के प्रोफेसर पिनाकी चक्रवर्ती ने पीटीआई-से कहा कि केंद्र सरकार के ऋण और घाटे को राजकोषीय दायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम के अनुरूप स्तर तक कम करने के लिए राजकोषीय विवेक के एक स्थिर मार्ग पर चलना जारी रखना होगा। उन्होंने कहा, “बजट में आयकर अधिनियम 1961 की व्यापक समीक्षा की घोषणा की गई है।” एनआईपीएफपी के प्रोफेसर एन आर भानुमूर्ति ने पीटीआई-से कहा, “केंद्रीय बजट 2024-25 मोटे तौर पर अंतरिम बजट की ही निरंतरता है जिसमें कुछ बेहतर राजकोषीय गुंजाइश के साथ-साथ नौकरियों की ओर भी ध्यान दिया गया है।”
औद्योगिक विकास अध्ययन संस्थान (आईएसआईडी) के निदेशक नागेश कुमार ने पीटीआई-को बताया कि वित्त मंत्री का बजट व्यापक क्षेत्र को अपने दायरे में लेने वाला है। “प्रमुख विषयों में रोजगार सृजन पर ध्यान केंद्रित करना, विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देना, नवाचार और बुनियादी ढांचे के विकास के माध्यम से अर्थव्यवस्था की स्थिरता और गतिशीलता को बढ़ाना शामिल है।”
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में अर्थशास्त्र के सेवानिवृत्त प्रोफेसर अरुण कुमार ने कहा कि यदि किसी क्षेत्र को प्राथमिकता दी जानी है तो उसके आवंटन को काफी हद तक बढ़ाना होगा, न कि मामूली रूप से। उन्होंने कहा, “रोजगार सृजन के लिए पूंजी गहन क्षेत्रों के बजाय श्रम प्रधान क्षेत्रों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।” पॉलिसी बाजार फिनटेक लिमिटेड के चेयरमैन और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) यशीष दहिया ने कहा कि राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को कम करने का निर्णय एक सकारात्मक कदम है, जो हमारी अर्थव्यवस्था को पटरी पर रखने और स्थिर विकास को बढ़ावा देने में मदद करता है। एंजल टैक्स को खत्म करना स्टार्टअप परिवेश के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय है।