By नीरज कुमार दुबे | Jul 04, 2024
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में जारी सीमा विवाद के बीच, दोनों देशों के विदेश मंत्री आज एससीओ के वार्षिक शिखर सम्मेलन से इतर मिले और विचारों का आदान-प्रदान किया। हम आपको बता दें कि एससीओ में भारत, ईरान, कजाखस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। कजाखस्तान एससीओ के वर्तमान अध्यक्ष के रूप में सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। एससीओ के वार्षिक शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करने तथा विभिन्न द्विपक्षीय बैठकों में भाग लेने के लिए आए जयशंकर ने आज चीन के विदेश मंत्री से मुलाकात करने से पहले कल बेलारूस के अपने समकक्ष मैक्सिम रेजेनकोव, ताजिकिस्तान के विदेश मंत्री सिराजुद्दीन मुहरिद्दीन और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से भी मुलाकात की थी।
जहां तक चीन के विदेश मंत्री के साथ जयशंकर की मुलाकात की बात है तो आपको बता दें कि बैठक में दोनों नेता पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद संबंधी शेष मुद्दों के हल के लिए कूटनीतिक और सैन्य माध्यमों से प्रयास दोगुना करने पर सहमत हुए। बैठक में जयशंकर ने वांग से कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का सम्मान करना और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति सुनिश्चित करना अहम है। विदेश मंत्री ने भारत के इस दृष्टिकोण को भी दोहराया कि दोनों पक्षों के बीच संबंध आपसी सम्मान, आपसी हित और आपसी संवेदनशीलता पर आधारित होने चाहिए। जयशंकर ने सोशल मीडिस मंच ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘आज सुबह सीपीसी पोलित ब्यूरो के सदस्य एवं विदेश मंत्री वांग यी से अस्ताना में मुलाकात की। सीमा क्षेत्रों में शेष मुद्दों के शीघ्र समाधान पर चर्चा की। कूटनीतिक और सैन्य माध्यमों से प्रयासों को दोगुना करने पर सहमति बनी।'' उन्होंने कहा, ''एलएसी का सम्मान और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति सुनिश्चित करना अहम है। आपसी सम्मान, आपसी संवेदनशीलता और आपसी हित हमारे द्विपक्षीय संबंधों को मार्गदर्शन करेंगे।’’ हम आपको बता दें कि यह मुलाकात इसलिए भी अहम है क्योंकि अभी हाल ही में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पंचशील सिद्धांतों का उल्लेख किया था। गौरतलब है कि भारत का मानना है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता दोनों देशों के बीच सामान्य संबंधों के लिए अहम है।
दूसरी ओर, जयशंकर की अन्य अहम मुलाकातों की बात करें तो आपको बता दें कि उन्होंने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतारेस से मुलाकात की और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार समेत विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की। जयशंकर ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, "संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस से मिलकर हमेशा खुशी होती है। दुनिया की स्थिति के संबंध में उनकी अंतर्दृष्टि की सराहना करता हूं। वैश्विक मुद्दों और उनके व्यापक निहितार्थों पर चर्चा की।" जयशंकर ने कहा कि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार, सितंबर में होने वाले शिखर सम्मेलन की तैयारियों तथा सार्थक भारत-संयुक्त राष्ट्र साझेदारी की भविष्य की संभावनाओं के बारे में बात की।
इससे पहले उन्होंने ताजिकिस्तान, बेलारूस और रूस के अपने समकक्षों के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं। जयशंकर ने बैठक की तस्वीरें साझा करते हुए ‘एक्स’ पर लिखा, "आज अस्ताना में ताजिकिस्तान के विदेश मंत्री सिराजुद्दीन मुहरिद्दीन से मिलकर बहुत खुशी हुई। बहुपक्षीय मंचों पर हमारी द्विपक्षीय साझेदारी और सहयोग की समीक्षा की। क्षेत्रीय स्थिति पर विचार-विमर्श किया गया।” इससे पहले उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, "बेलारूस के विदेश मंत्री मैक्सिम रेजेनकोव से आज मिलकर बहुत खुशी हुई। एससीओ के नए सदस्य के रूप में बेलारूस का स्वागत है। हमारे द्विपक्षीय संबंधों और इसके भविष्य की विकास संभावनाओं पर चर्चा हुई।" हम आपको बता दें कि दोनों विदेश मंत्रियों की यह बैठक 28 जून को मिंस्क में आयोजित पहली भारत-बेलारूस वाणिज्य दूतावास वार्ता के कुछ दिन बाद हुई है।
इसके अलावा, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को रूस के अपने समकक्ष सर्गेई लावरोव के समक्ष युद्ध क्षेत्र में रूसी सेना के लिए लड़ रहे भारतीय नागरिकों का मुद्दा उठाया और उनकी सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने का अनुरोध किया। हम आपको बता दें कि दोनों विदेश मंत्रियों के बीच यह मुलाकात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करने के लिए मॉस्को की प्रस्तावित यात्रा से पहले हुई है। अभी इस यात्रा की आधिकारिक घोषणा नहीं की गयी है लेकिन ऐसी जानकारी है कि मोदी अगले सप्ताह मॉस्को की यात्रा कर सकते हैं। जयशंकर ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात कर खुशी हुई। हमारी द्विपक्षीय साझेदारी और समकालीन मुद्दों पर व्यापक बातचीत हुई। दिसंबर 2023 में हमारी आखिरी मुलाकात के बाद से कई क्षेत्रों में हुई प्रगति पर चर्चा की।’’ जयशंकर ने पोस्ट में कहा, ‘‘भारतीय नागरिकों को लेकर अपनी गंभीर चिंता जतायी जो अभी युद्ध क्षेत्र में हैं। उनकी सुरक्षित तथा जल्द वापसी पर जोर दिया।’’ उन्होंने बैठक की तस्वीरें भी पोस्ट की हैं।
रूस के विदेश मंत्रालय ने भी बैठक की तस्वीरों के साथ ‘एक्स’ पर ऐसा ही पोस्ट किया है। इसमें कहा गया है, ‘‘रूस के विदेश मंत्री सर्गेइ लावरोव और भारत के विदेश मंत्री डॉ. सुब्रमण्यम जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन की बैठक के इतर चर्चा की।’’ हम आपको बता दें कि रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से ही भारत रूस से उसकी सेना द्वारा भर्ती किए भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और देश वापसी पर जोर देता रहा है। उसने ‘‘युद्ध क्षेत्र में भारतीयों’’ के बारे में सूचना मिलने पर फौरन कार्रवाई की है। विदेश मंत्रालय ने बताया कि खबरों के अनुसार, रूसी सेना में सुरक्षा सहायक के तौर पर करीब 200 भारतीय नागरिकों को भर्ती किया गया है। जून मध्य तक यह स्पष्ट हो गया कि युद्ध क्षेत्र में चार भारतीय नागरिकों की मौत हो गयी है। भारत ने यह भी मांग की है कि रूसी सेना द्वारा ‘‘भारतीय नागरिकों की आगे किसी भी भर्ती पर रोक लगायी जाए’’ तथा ऐसी गतिविधियां ‘‘हमारी साझेदारी के अनुरूप’’ नहीं होंगी। जून मध्य तक रूसी सेना के साथ सहायक के रूप में काम करने वाले कुल 10 भारतीयों को मुक्त कर दिया गया है और भारत वापस भेज दिया गया। विदेश मंत्री जयशंकर ने लावरोव के साथ वैश्विक सामरिक परिदृश्य पर भी चर्चा की।