By नीरज कुमार दुबे | Jun 29, 2023
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीन, पाकिस्तान, कनाडा, अमेरिका और रूस से भारत के संबंधों को लेकर कई बड़ी बातें कही हैं। एक परिचर्चा सत्र को संबोधित करते हुए जयशंकर ने जहां चीन, पाकिस्तान और कनाडा को आईना दिखाया वहीं रूस और अमेरिका के साथ भारत की दोस्ती के विभिन्न पहलुओं का भी उल्लेख किया।
चीन पर बयान
चीन मुद्दे पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर के बयान की बात करें तो आपको बता दें कि उन्होंने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तीन साल से अधिक समय से जारी सैन्य गतिरोध के बीच कहा है कि सीमा पर स्थिति भारत और चीन के बीच संबंधों की स्थिति तय करेगी। जयशंकर ने एक परिचर्चा सत्र में कहा, ‘‘आज सीमा पर स्थिति अब भी असामान्य है।’’ चीन के साथ भारत के संबंधों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि सीमा के प्रबंधन से जुड़ी व्यवस्था के उल्लंघन के कारण संबंध ‘‘मुश्किल दौर’’ से गुजर रहे हैं। जयशंकर ने कहा, ‘‘हम मानते हैं कि वह (चीन) एक पड़ोसी है, एक बड़ा पड़ोसी देश है। आज वह बहुत प्रमुख अर्थव्यवस्था और बड़ी शक्ति बन गया है।’’ विदेश मंत्री ने कहा कि कोई भी रिश्ता दोनों तरफ से निभाया जाता है और एक-दूसरे के हितों का सम्मान करना होता है। उन्होंने कहा, ‘‘और हमारे बीच हुए समझौतों का पालन किया जाना होता है और हमारे बीच बनी सहमति से मुकरना ही आज मुश्किल दौर की वजह है।’’ जयशंकर ने कहा, ‘‘सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सीमा पर स्थिति ही संबंधों की स्थिति तय करेगी और सीमा पर स्थिति आज भी असामान्य है।’’ हम आपको याद दिला दें कि भारत और चीन की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में गतिरोध बना हुआ है। हालांकि, दोनों पक्षों ने व्यापक कूटनीतिक और सैन्य वार्ता के बाद, टकराव वाले कई स्थानों से अपने-अपने सैनिकों को पीछे हटाया है।
अमेरिका के साथ संबंध
अमेरिका के साथ संबंधों पर जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वाशिंगटन की हालिया यात्रा को किसी प्रधानमंत्री की ‘‘सबसे सार्थक’’ यात्रा बताया और कहा कि दोनों देशों के बीच रिश्ते ‘‘असाधारण रूप से अच्छे’’ हो गए हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दो दशकों में अमेरिका के साथ संबंध मजबूत हुए हैं और उन्होंने भारत के लिए वाशिंगटन के असाधारण कदमों का हवाला दिया, जिसमें परमाणु कानूनों, निर्यात नियंत्रण से छूट और अहम प्रौद्योगिकियों का हस्तांतरण शामिल है। उन्होंने कहा, ‘‘आप देख सकते हैं कि अमेरिका के साथ हमारे संबंध असाधारण रूप से अच्छे हो गए हैं। मुझे लगता है कि किसी प्रधानमंत्री की सबसे सार्थक यात्रा हाल में हुई है।’’
रूस के साथ संबंध
रूस के साथ भारत के संबंधों पर जयशंकर ने कहा कि संबंध बहुत विशिष्ट और स्थायी बने हुए हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि रूस के साथ संबंधों को लेकर भारत पर दबाव के बावजूद नयी दिल्ली ने इस रिश्ते की महत्ता पर अपना खुद का मूल्यांकन किया। उन्होंने कहा कि कई बार रक्षा आपूर्ति पर भारत की निर्भरता जैसी चीजों के कारण यह रिश्ता बौद्धिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो जाता है। जयशंकर ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह इससे कहीं ज्यादा जटिल है। हम रूस के साथ जो भी कर रहे हैं, उसका भू-राजनीतिक महत्व है।’’ उन्होंने कहा कि आज रूस और भारत के बीच रिश्तों के आर्थिक पक्ष पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
कनाडा मुद्दे पर बयान
इसके अलावा, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि खालिस्तान के मुद्दे पर कनाडा की प्रतिक्रिया उसकी ‘वोट बैंक की बाध्यताओं’ से प्रेरित नजर आती है और अगर ऐसी गतिविधियों से राष्ट्रीय सुरक्षा एवं अखंडता पर प्रभाव पड़ता है तो भारत प्रतिक्रिया व्यक्त करेगा। जयशंकर ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में खालिस्तान मुद्दे का दोनों देशों के बीच संबंध कई मायने में प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कनाडा खालिस्तान मुद्दे से किस प्रकार से निपटता है, यह हमारे लिये दीर्घकालिक चिंता का विषय रहा है। क्योंकि स्पष्ट तौर पर यह वोट बैंक की राजनीति से प्रेरित है।’’ विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘मेरी समझ के अनुसार उनकी (कनाडा की) प्रतिक्रिया वास्तव में वोट बैंक की राजनीति की बाध्यताओं से प्रेरित है।’’ जयशंकर ने कहा कि कनाडा को यह स्पष्ट कर दिया गया है कि अगर ऐसी गतिविधियों को वहां (कनाडा में) अनुमति दी जाती है, जिससे हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा, क्षेत्रीय अखंडता और सुरक्षा प्रभावित होती है...तो इसका जवाब दिया जाएगा। पाकिस्तान के साथ संबंधों पर जयशंकर ने कहा कि नयी दिल्ली आतंकवाद को सामान्य बताये जाने की अनुमति नहीं दे सकता।