विजया दशमी या दशहरा का पर्व आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। इस पर्व को भगवती के 'विजया' नाम पर विजया दशमी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान श्रीराम ने लंका पर विजय प्राप्त की थी और बुराई के प्रतीक रावण का अंत किया था इसलिए भी इस पर्व को विजया दशमी कहा जाता है। यह त्योहार वर्षा ऋतु की समाप्ति तथा शरद के आरम्भ का सूचक है।
ऐसा माना जाता है कि आश्विन शुक्ल दशमी को तारा उदय होने के साथ 'विजय' नामक काल होता है। यह काल सर्वकार्य सिद्धिदायक होता है। इस बार विजया दशमी पर विजय मुहूर्त दोपहर दो बजकर 4 मिनट से लेकर दो बजकर 51 मिनट तक रहेगा। आप इस समय के दौरान जिस भी क्षेत्र में विजय हासिल करने के लिए कार्य शुरू करेंगे, उसमें आपकी विजय सुनिश्चित होगी। इस बार विजया दशमी के दिन पूजन का सबसे उत्तम समय दोपहर 1 बजकर 18 मिनट से लेकर दोपहर 2 बजकर 37 मिनट तक है। यानि इस दो घंटे 18 मिनटों में पूजन कर आप भगवान को विशेष रूप से प्रसन्न कर सकते हैं।
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असत्य पर सत्य की जीत के रूप में मनाए जाने वाले इस त्योहार पर देश भर में बड़ी धूम देखने को मिलती है और नौ दिनों से चल रही विभिन्न रामलीलाओं में दशहरे के दिन रावण वध के दृश्य का मंचन देखने बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। इस दिन दुर्गा जी की प्रतिमाएँ, जिनको स्थापित कर नौ दिन पूजन किया गया था, उनका विसर्जन किया जाता है। साथ ही भगवान श्रीराम की आरती भी की जाती है। इस दिन शुद्ध घी का दीया जलाएं और भगवान श्रीराम व माता जानकी को मीठी वस्तुओं का भोग लगा कर सपरिवार आरती करें।
कुछ प्राचीन रीति-रिवाज
प्राचीन काल से इस पर्व से जुड़ी कुछ परम्पराएं आज भी जारी हैं। विजया दशमी के दिन क्षत्रिय विशेष रूप से शस्त्र पूजन करते हैं तथा ब्राह्मण सरस्वती पूजन और वैश्व बही पूजन करते हैं। इस बार तो विजया दशमी के दिन भारत को फ्रांस से 'राफेल' विमान भी मिल रहा है और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह राफेल विमान का शस्त्र पूजन भी करेंगे।
दशहरे पर अपनाएँ यह कुछ अचूक उपाय
- दशहरे पर मीठी दही के साथ शमी वृक्ष के काष्ठ की अपराजिता मंत्रों से पूजन करें। इससे आपके घर में समृद्धि का वास रहेगा और परिजनों को यश और कीर्ति मिलेगी। साथ ही देवी-देवता भी प्रसन्न रहेंगे।
- मान्यता है कि दशहरे के दिन गुप्त दान करना चाहिए इससे अभीष्ट फल प्राप्त होता है। इस दिन यदि आप कोई नई झाड़ू खरीद कर किसी मंदिर में ऐसी जगह रख दें जहां इसे कोई नहीं देख सके तो समझिये आपके जीवन से कष्टों का अंत हो जायेगा।
- रावण दहन से पहले माँ दुर्गा की सहायक योगिनीं जया और विजया का पूजन करें। इसके बाद शमी वृक्ष की पूजा करें और फिर वृक्ष के पास की मिट्टी लाकर अपने घर पर पूजा स्थल या तिजोरी में रख देंगे तो घर में वैभव बना रहेगा।
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दशहरे की अनोखी छटाएँ
दशहरे पर देश के विभिन्न भागों में मेले लगते हैं लेकिन मैसूर और कुल्लू के दशहरे की बात ही निराली होती है। बड़ी संख्या में पर्यटक यहां के दशहरा आयोजन को देखने पहुंचते हैं। कर्नाटक के मैसूर शहर में विजयादशमी के दिन दीपमालिका से सज्जा की जाती है। मैसूर में हाथियों का श्रृंगार कर पूरे शहर में एक भव्य जुलूस निकाला जाता है। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में दशहरे से एक सप्ताह पूर्व ही इस पर्व की तैयारी आरंभ हो जाती है। स्त्रियां और पुरुष सभी सुंदर वस्त्रों से सुसज्जित होकर तुरही, बिगुल, ढोल, नगाड़े, बांसुरी आदि लेकर अपने ग्रामीण देवता का धूमधाम से जुलूस निकाल कर पूजन करते हैं। इस दौरान देवताओं की मूर्तियों को बहुत ही आकर्षक पालकी में सुंदर ढंग से सजाया जाता है। पहाड़ी लोग अपने मुख्य देवता रघुनाथ जी की भी पूजा करते हैं। यह जुलूस नगर नगर परिक्रमा करता है और फिर देवता रघुनाथजी की वंदना से दशहरे के उत्सव का आरंभ होता है। पश्चिम बंगाल में यह उत्सव दुर्गा पर्व के रूप में ही धूमधाम से मनाया जाता है।
- शुभा दुबे