लोगों की लापरवाही की वजह से तेज हुई है कोरोना संक्रमण की रफ्तार

By डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा | Dec 29, 2021

कोरोना के नए वैरियंट ने अपना रूप दिखाना शुरू कर दिया है वह चिंता का बड़ा कारण बनता जा रहा है। ओमिक्रोन से जिस प्रकार शुरुआत में जन हानि नहीं हो रही थी उससे यह आशा बंधी थी कि चलो ले देकर यह अपना मामूली असर दिखा कर चला जाएगा पर जिस तरह से इसने असर दिखाना शुरू कर दिया है उससे विशेषज्ञ हिल गए हैं। लगभग एक माह में ही अफ्रीका से चला ओमिक्रोन दुनिया के 100 से ज्यादा देशों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है। और केवल उपस्थिति ही दर्ज नहीं कराई अपितु तैजी से यह फैलता भी जा रहा है। दुनिया के लगभग सभी देशों में ओमिक्रोन के दिन दूने संक्रमित आने लगे हैं। न्यूयार्क में पहले ही कर्फ्यू लगाया जा चुका है। दुनिया के देशों में अधिकांश जगह हवाई यात्रा खासतौर से अफ्रीका से आने वाली फ्लाईट पर रोक लग चुकी है। यूरोप के अनेक देशों में हालात बिगड़ते जा रहे हैं तो कोरोना की तीसरी लहर जैसे हालातों का डर सताने लगा है। यही कारण है कि दुनिया के कई देश लॉकडाउन जैसे अप्रिय पर जरूरी प्रतिबंध की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। भारत में भी कोरोना के मामलों में तेजी आई है। ओमिक्रोन अब हमारे देश में भी इकाई दहाई की संख्या को पार कर चुका है और सैंकड़ों की संख्या पर पहुंच रहा है।

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दरअसल कोरोना को लेकर जितने कयास लगाए जा रहे थे वे सब निर्मूल सिद्ध हुए हैं। जब 2019 में कोरोना संक्रमण शुरू हुआ तो यह माना जाने लगा कि गर्मियां आते ही यह अपने आप दफन हो जाएगा पर ऐसा हुआ नहीं बल्कि 2020 में तो भयावह दूसरी लहर का हमारे देश सहित दुनिया के देशों ने कहर भुगता है। चिकित्सा विज्ञानी पहले ही तीसरी लहर की आशंका व्यक्त कर चुके हैं। एक ओर सरकारें व्यवस्था को पटरी पर लाने का प्रयास करती हैं तो थोड़ी-सी ढील ही परेशानी का कारण बन जाती है। यूरोपीय देशों में कोरोना प्रोटोकाल प्रतिबंध हटाने की मांग को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं तो अमेरिका जैसे सभ्य देश में सैनिकों के एक वर्ग द्वारा वैक्सीन लगवाने से ही इंकार किया जा रहा है। हालांकि अब अमेरिकी सरकार ऐसे सैनिकों के खिलाफ कार्यवाही करने का मन बना चुकी है। यही हाल लोगों की कोरोना प्रोटोकोल की पालना नहीं करने का हो रहा है। अब बीच राह या बाजार में सही तरीके से मास्क लगाए गिने चुने लोग ही दिखाई देने लगे हैं। दो गज दूरी की पालना की बात तो बेमानी होगी। ऐसे में कोरोना का कोई भी वैरियंट हो उससे बचा पाना मुश्किल भरा काम ही है। मजे की बात यह है कि ओमिक्रोन कोरोना की वैक्सीनेशन की दोनों डोज लेने वालों को भी नहीं बख्श रहा है। ऐसे में बूस्टर डोज की बात की जाने लगी है।


देखा जाए तो कोरोना के नए वैरियंट ओमिक्रोन को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वैरियंट ऑफ कंसर्न घोषित करने से ही इसकी गंभीरता को समझा जा सकता है। विशेषज्ञों द्वारा माना जा रहा है कि कोरोना के डेल्टा अवतार से भी यह सात गुणा तेजी से फैलने वाला वैरियंट है। यह भी साफ हो जाना चाहिए कि वैरियंट की गंभीरता को देखते हुए उसे वैरियंट ऑफ कंसर्न घोषित किया गया है अन्यथा स्थिति में तो सामान्यतः वैरियंट ऑफ इंटरेस्ट की श्रेणी में ही रखा जाता है। एक अनुमान के अनुसार ओमिक्रोन डेल्टा से सात गुणा अधिक तेजी से फैलता है। दरअसल यह माना जा रहा था कि कोरोना का अभिशाप अधिक दिन नहीं चलेगा पर देखते देखते दो सालों में ही दुनिया के देश इसके पांच वैरियंट से रूबरू हो चुके हैं। सितंबर 2020 में इंग्लैण्ड में अल्फा, मई 2020 में दक्षिण अफ्रीका में बीटा, नवंबर 2020 में ब्राजील में गामा, अक्टूबर 2020 में भारत में डेल्टा और अब ओमिक्रोन ने असर दिखाना शुरू कर दिया है। दरअसल वायरस की जीनोमिक संरचना में बदलाव होकर के यह नए वैरियंट का रूप ले लेता है।

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दरअसल यह मौसम कोरोना खासतौर से नए वैरियंट ओमिक्रोन के लिए अधिक अनुकूल हो गया है। देखा जाए तो सर्दी में वायरस अधिक सक्रिय हो जाते हैं। यह तो कोरोना काल है नहीं तो वैसे भी सर्दियों में सर्दी जुखाम का असर सबसे ज्यादा देखा जाता है। यह आज के नहीं हमेशा के हालात रहे हैं। अब सर्दी जुखाम वालों को कोरोना या यों कहें कि ओमिक्रोन जल्दी संक्रमित कर देता है, यही कारण है कि यूरोप में ओमिक्रोन का तेजी से फैलाव हुआ है। अब नये साल का जश्न सामने है तो हमारे यहां अभी शादियों का सीजन चल ही रहा है। हालांकि यात्रा करने वालों से यह वायरस फैल रहा है पर जहां एक बार आ जाता है तो फिर संपर्क में आने वाले व्यक्ति को संक्रमित करने में देरी भी नहीं लगाता। जश्न के चक्कर में भीड़भाड़ होगी, बाजारों में रौनक बढ़ेगी तो लोग खरीदारी या घूमने घामने निकलेंगे, डर तो लोगों का निकल ही चुका है ऐसे में क्या दुकानदार और क्या आम नागरिक, कोरोना प्रोटोकाल की पालना करना तो सब भूलते ही जा रहे हैं।


इन सब हालातों को देखते हुए यह समझना होगा कि एकाध साल तो कोरोना के संग ही जीना है। ऐसे में कोरोना कोई नया अवतार लेकर आए उससे पहले ही सतर्कता ही हमारे जीवन का बचा सकती है। दो गज की दूरी और मास्क जरूरी जीवन में रच बस जाना चाहिए। सेनेटाइजर और बार-बार हाथ धोने की बात तो अब दूर की बात हो गई है। कोरोना के पीक टाइम में जब बाहर से आते ही गरम पानी से नहाने और गरम पानी से कपड़े धोने में लोग जुट जाते थे वह तो अब भूल ही चुके हैं। बहरहाल सावधानी और सतर्कता आज की आवश्यकता है और यह हमें ध्यान रखना ही होगा।


-डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा

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