By अंकित सिंह | Jul 15, 2022
राष्ट्रपति चुनाव को लेकर देश में राजनीतिक सरगर्मियां तेज है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि देश का अगला राष्ट्रपति कौन होगा? एनडीए की ओर से द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हैं तो विपक्ष ने यशवंत सिन्हा को भी चुनावी मैदान में उतारा है। कुल मिलाकर देखें तो फिलहाल द्रौपदी मुर्मू का पलड़ा काफी भारी नजर आ रहा है। एनडीए में शामिल दलों के अलावा कई गैर एनडीए दल ने भी द्रौपदी मुर्मू का समर्थन कर दिया है। ऐसे में द्रौपदी मुर्मू के पास बड़ी बढ़त दिखाई दे रही है। द्रौपदी मुर्मू को नवीन पटनायक की बीजू जनता दल, वाईएस चंद्रशेखर रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस, तमिलनाडु की पार्टी एआईएडीएमके, एच डी देवगौड़ा की पार्टी जनता दल सेकुलर, शिरोमणि अकाली दल, शिवसेना, झारखंड मुक्ति मोर्चा और ओमप्रकाश राजभर की पार्टी का समर्थन हासिल है। यह सभी ऐसे दल हैं जो एनडीए में शामिल नहीं हैं। लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार के साथ खड़े हैं।
वर्तमान परिस्थिति में देखें तो दावा किया जा रहा है कि एनडीए के उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में बाजी मार सकती हैं और उनकी वोट हिस्सेदारी दो तिहाई के करीब भी पहुंच सकती है। अगर द्रौपदी मुर्मू चुनाव जीतने में कामयाब रहती हैं तो वह देश के शीर्ष संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली पहली आदिवासी महिला बन सकती हैं। द्रौपदी मुर्मू झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं। इसके अलावा वह ओडिशा सरकार में मंत्री भी रह चुकी हैं। बताया जा रहा है कि मुर्मू की वोट हिस्सेदारी 61 प्रतिशत से ज्यादा हो सकती है, जिसके नामांकन पत्र दाखिल करने के समय करीब 50 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया जा रहा था। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भी गुरुवार को मुर्मू का समर्थन करने की घोषणा की। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की उम्मीदवार के पास अब कुल 10,86,431 मतों में से 6.67 लाख से अधिक वोट हैं। इनमें 3.08 लाख वोट सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके सहयोगी दलों के हैं। बीजू जनता दल (बीजद) के करीब 32,000 वोट हैं, जो कुल मतों का करीब 2.9 प्रतिशत है।
ओडिशा की 147 सदस्यीय विधानसभा में सत्तारूढ़ दल के 114 विधायक हैं, जबकि भाजपा के 22 विधायक हैं। लोकसभा में बीजद के 12 और राज्यसभा में 9 सदस्य हैं। मुर्मू को अन्नाद्रमुक (17,200 वोट), वाईएसआर-कांग्रेस पार्टी (करीब 44,000 वोट), तेलुगु देशम पार्टी (करीब 6,500 वोट), शिवसेना (25,000 वोट) और जनता दल (सेक्युलर) (करीब 5,600 वोट) का भी समर्थन मिल रहा है। हाल में संपन्न राज्यसभा चुनावों के परिणाम के बाद उच्च सदन में भाजपा सदस्यों की संख्या 92 हो गयी है। लोकसभा में उसके कुल 301 सदस्य हैं। उत्तर प्रदेश समेत चार राज्यों में कुछ महीने पहले संपन्न विधानसभा चुनाव में भाजपा की जबरदस्त जीत से इस दिशा में उसे मजबूती मिली है। उत्तर प्रदेश के प्रत्येक विधायक का राष्ट्रपति चुनाव में मत मूल्य अन्य किसी राज्य के विधायक से अधिक है।
राजग में भाजपा और उसके सहयोगी दलों के विधायकों की संख्या 2017 के राष्ट्रपति चुनावों के दौरान रही उनकी संख्या से कम है, लेकिन उनके सांसदों की संख्या तब से बढ़ गयी है। मुर्मू अगर राष्ट्रपति बन जाती हैं, तो स्वतंत्रता के बाद जन्मी इस शीर्ष पद पर पहुंचने वाली पहली नेता होंगी। राष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचक मंडल में करीब आधा मत मूल्य भाजपा के पास है, जिसमें उसके विधायक भी हैं। सहयोगी दलों जनता दल (यूनाइटेड), राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, अपना दल और पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ अन्य दलों के मत जोड़ने से उसकी ताकत और बढ़ जाती है। दूसरी तरफ विपक्षी संप्रग के सांसदों के वोट डेढ़ लाख से कुछ अधिक हैं और राज्यों से उसके विधायकों के मतों की संख्या भी करीब इतनी ही होगी। राष्ट्रपति चुनाव 18 जुलाई को होगा और परिणाम 21 जुलाई को घोषित किये जाएंगे।