By अभिनय आकाश | Jan 15, 2024
चीन और ताइवान 75 सालों के इतिहास में इन दो शब्दों ने जियोपॉलिटिक्स के समीकरण को प्रभावित किया है। बयानों से लेकर सैन्य अभियानों के जरिए साउथ चाइना सी में हलचल जारी है। एक दिन पहले ही ताइवान में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे सामने आए हैं और इसके बाद चीन काफी परेशान हो गया है। ताइवान में चीन की हार हुई है लेकिन फिर भी वो स्वाशासित राष्ट्र को अपना बताकर वहां के लोगों को भड़काने की कोशिश कर रहा है। विस्तारवाद के सपनों की नींद सोने वाले ड्रैगन को जोरदार झटका लगा है। आधी रात में ताइवान की सड़कों पर जश्न का माहौल देखने को मिला। विलियम लाई को ताइवान की जनता ने अपना राष्ट्रपति चुना है। अब तक उप राष्ट्रपति की भूमिका में रहे विलियम लाई रिकॉर्ड 50 लाख वोट पाकर राष्ट्रपति बने।
ताइवान के लोगों ने उस शख्स को अपना राष्ट्रपति चुना है जिसे जिनपिंग बिल्कुल भी पसंद नहीं करते। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार चीन ने कसम खाई है कि वो ताइवान में अलगाववादी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि बीजिंग के ताइवान मामलों के कार्यालय के प्रवक्ता चेन बिनहुआ ने कहा कि हम 1992 की आम सहमति का पालन करेंगे, जो एक चीन सिद्धांत का प्रतीक है और ताइवान की स्वतंत्रता के साथ विदेशी दखल अंदाजी व अलगाववादी गतिविधियों का दृढ़ता से विरोध करते हैं।
ताइवान ने स्व-शासित द्वीप में हुए राष्ट्रपति और संसदीय चुनाव के बाद चीन की ओर से की गई भ्रामक टिप्पणी की निंदा की। ये टिप्पणी नवनिर्वाचित राष्ट्रपति लाई चिंग-ते के तहत ताइवान के चीन के साथ संबंधों या अमेरिका के साथ चीन के संबंधों के भविष्य के लिहाज से अच्छा संकेत नहीं थीं। ताइवान के विदेश मंत्रालय के एक बयान में चीन के विदेश मंत्रालय और उसके ताइवान मामलों के कार्यालय पर चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद शनिवार रात जारी किए गए संबंधित बयानों में झूठ बोलने का आरोप लगाया गया। इसने विशेष रूप से चीन द्वारा बार-बार दोहराई जाने वाली बात को मुद्दा बनाया कि ताइवान एक घरेलू चीनी मुद्दा है।