पिता चाहते थे बने पंडित और नहीं सीखे इंगिलश, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के अनसुने किस्से

By निधि अविनाश | Sep 05, 2022

‘भगवान की पूजा नहीं होती बल्कि उन लोगों की पूजा होती है जो उनके नाम पर बोलने का दावा करते हैं’। डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा बोले इस अनमोल वचन को अगर धारण करें तो आपके जीवन का नजरिया बहुत बदल जाएगा। देश के पहले उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस यानी 5 सितंबर को हर साल शिक्षक दिवस मनाया जाता है।


5 सितंबर को ही क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस

देश में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है और इस दिन सभी छात्र अपने शिक्षको को सम्मान और उपहार देते है। यह एक तरीके से शिक्षको के लिए आभार व्यक्त करने जैसा होता है। यह दिन मुख्य रूप से देश के दूसरे राष्ट्रपति और एक महान शिक्षक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन पर मनाया जाता है। अपने जीवन के 40 साल से भी ज्यादा समय एक शिक्षक के तौर पर गुजारने वाले राधाकृष्णन का जन्म एक ब्राहम्ण परिवार में हुआ था। शिक्षा को लेकर पूर्व राष्ट्रपति के विचार काफी प्रगतिशील थे। जब वह राष्ट्रपति बने तो छात्र-छात्राओं ने उनका जन्मदिन मनाने की इच्छा प्रकट की लेकिन वह इस दिन को एक जन्मदिन की जगह देशभर के शिक्षकों के सम्मान में मनाना चाहते थे और इसलिए 5 सितंबर को उन्होंने शिक्षक दिवस में तब्दील कर दिया। इसी तरह हर साल से शिक्षक दिवस मनाना शुरू हो गया।

इसे भी पढ़ें: ब्रिटेन की संसद में खोल दी थी अंग्रेजों की पोल, देश को स्वराज का नारा देने वाले दादाभाई नौरोजी

शिक्षक दिवस के मौक पर आज हम आपको बताएंगे उनके कुछ अनोखे किस्से

विनम्र स्वभाव के राधाकृष्णन जब राष्ट्रपति बने थे तो वह अपनी सैलरी से केवल ढाई हजार ही लेते थे और बाकी का वो प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में दान कर देते थे। छात्र उन्हें बहुत ज्यादा मानते थे। जब वह मैसूर यूनिवर्सिटी छोड़ कलकत्ता यूनिवर्सिटी में पढाने के लिए जा रहे थे तभी उनके छात्रों ने एक फूलों की बग्गी मंगाई और उसमें बिठाकर उन्हें रेलवे स्टेशन तक ले गए।

 

वह देश के ऐसे राष्ट्रपति थे जिनसे मिलने के लिए हफते में दो दिन कोई भी बिना अपॉइमेंट के उनसे मिल सकता था। राधाकृष्णन देश के पहले ऐसे राषट्रपति रहे जो अमेरिका के वाइट हाउस सीधा हेलिकॉप्टर से पहुंचे थे। 


बता दें कि राधाकृष्णन के पिता की ख्वाहिश थी कि उनका बेटा पंडित बने और वो नहीं चाहते थे कि उनका बेटा इंगलिश पढ़े या शिक्षक बने। लेकिन राधाकृष्णन अपनी बात पर डटे रहे और अपनी पढ़ाई जारी रखी।

 

जब वह चीन के दौरे पर थे तब उनकी मुलाकात प्रसिद्ध क्रांतिकारी, राजनैतिक विचारक और कम्युनिस्ट दल के नेता माओ से हुई थी। मुलाकात के दौरान राधाकृष्णन ने माओ के गाल पर थपकी दे दी थी जिससे वह काफ आशचर्य हो गए थे। 


भारत में पहली बार कब मनाया गया था शिक्षक दिवस

हर साल शिक्षक दिवस 5 सितंबर को मनाया जाता है और यह दिवस डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के समय से ही मनाया जा रहा है। साल 1994 में यूनेस्को ने 5 अक्टूबर को अंतर्राराष्ट्रीय शिक्षक दिवस मनाने की घोषणा की। वहीं भारत में हर साल 5 सितंबर को ही शिक्षक दिवस में मनाया जाता है।


- निधि अविनाश

प्रमुख खबरें

Kailash Gahlot Quits AAP । आम आदमी पार्टी की दिशा और दशा पर कैलाश गहलोत ने उठाए सवाल

Margashirsha Amavasya 2024: कब है मार्गशीर्ष अमावस्या? इस दिन शिवलिंग पर जरुर अर्पित करें ये चीजें, घर में बनीं रहती है सुख-शांति

मधुमेह टाइप एक पीड़ित छात्रों के लिए सीबीएसई परीक्षाओं में अतिरिक्त समय: केरल एसएचआरसी ने रिपोर्ट मांगी

मध्य प्रदेश में दो सड़क दुर्घटनाओं में पांच लोगों की मौत, सात घायल