By अनुराग गुप्ता | Aug 28, 2020
क्या चाहते हैं छात्र
परीक्षाओं के विरोध में प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने कोरोना वायरस महामारी के बीच में परीक्षाओं को लेकर असहमति जताई। सोशल मीडिया पर तो छात्रों के साथ-साथ उनके परिजनों ने भी कोरोना का हवाला देते हुए परीक्षाओं को टालने का अनुरोध किया। जबकि, 17 लाख से ज्यादा छात्रों ने एडमिट कार्ड डाउनलोड कर लिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एमडिट कार्ड डाउनलोड करने वाले छात्रों का कहना है कि हमें मजबूरन ये काम करना पड़ा है क्योंकि सरकार इस मुद्दे पर कुछ बोल ही नहीं रही है। जबकि 10 राज्य नहीं चाहते हैं कि परीक्षा हो। इसके बावजूद सरकार अड़ी हुई है। बिहार के एक छात्र ने बताया कि हमें परीक्षा से पहले हमें यह भी बताना है कि हम कोरोना पॉजिटिव नहीं है और यदि हम पॉजिटिव निकल गए तो क्या होगा ? इसको लेकर भी स्पष्टता नहीं है।
जबकि सरकार का कहना है कि छात्र परीक्षा में बैठना चाहते हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने गुरुवार को कहा था कि 17 लाख से ज्यादा उम्मीदवारों ने जेईई और नीट परीक्षा के लिए अपना एडमिट कार्ड डाउनलोड कर लिया है और इससे स्पष्ट होता है कि छात्र हर हाल में परीक्षा चाहते हैं। उन्होंने कहा था कि हमें छात्रों और अभिभावकों से परीक्षा आयोजित किये जाने के पक्ष में ई मेल प्राप्त हुए हैं क्योंकि वे इस परीक्षा की तैयारी दो-तीन वर्षो से कर रहे थे।
शुरू की गई ऑनलाइन याचिका
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक नीट और जेईई मेन परीक्षा को स्थगित करने का अनुरोध करने के लिए एक ऑनलाइन याचिका की भी शुरू की गई। इस याचिका पर 1 लाख 20 हजार से अधिक लोगों ने दस्तखत किए हैं। एक छात्र ने कहा, “लाखों छात्र जेईई और नीट की परीक्षा देंगे। मेरी मां की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर है और यदि मैं संक्रमित हो जाता हूं तो मेरी और मेरे परिवार की जिम्मेदारी कौन लेगा। यह देखा गया है कि परीक्षा के दौरान निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है।”
नीट परीक्षा देने के लिए तैयार छात्र दानिश ने कहा कि उनका परीक्षा केंद्र पटना में दिया गया है जहां पर कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसी बीच उन्होंने बताया कि उनके कई सारे मित्र बाढ़ में फंसे हुए हैं, ऐसे में क्या वह पानी में तैर कर परीक्षा केंद्र जाएंगे ?
परीक्षा के समर्थन में 150 शिक्षाविदों ने PM को लिखी चिट्ठी
वहीं, देश-विदेश के विश्वविद्यालयों के तकरीबन 150 शिक्षाविदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर नीट और जेईई मेन परीक्षा कराए जाने का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि यदि इन परीक्षाओं में और देरी हुई तो यह छात्रों के भविष्य से समझौता होगा। इसी बीच विरोध कर रही राजनीतिक पार्टियों को लताड़ते हुए उन्होंने कहा कि कुछ लोग अपने एजेंडे के लिए छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
शिक्षाविदों ने कहा कि हर साल की तरह लाखों छात्रों ने 12वीं की परीक्षाएं दी हैं और वह प्रवेश परीक्षाओं का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने परीक्षाओं की तारीखों का ऐलान कर दिया है। ऐसे में अगर परीक्षा को आयोजित करने में किसी भी प्रकार से देरी हुई तो छात्रों का कीमती साल बर्बाद हो जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखने वाले 150 शिक्षाविदों में दिल्ली विश्वविद्यालय, जेएनयू, आईआईटी दिल्ली, लखनऊ विश्वविद्यालय, इग्नू, बीएचयू, लंदन विश्वविद्याल, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय इत्यादि के भारतीय शिक्षाविद शामिल हैं।
IIT दिल्ली ने गंभीर परिणाम की जताई आशंका
आईआईटी दिल्ली ने कहा कि जेईई मेन और नीट की परीक्षाओं में देरी की वजह से छात्रों के कॅरियर पर गंभीर असर पड़ेगा। हाल ही सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लिखे अपने एक पोस्ट में आईआईटी दिल्ली के निदेशक वी रामगोपाल राव ने कहा था कि इन परीक्षाओं में और देरी करने से आईआईटी के अकादमिक कैलेंडर और अभ्यर्थियों के लिए गंभीर परिणाम हो सकते हैं। लाखों विद्यार्थियों के लिए यह अकादमिक सत्र बेकार चला जाएगा।
उन्होंने आगे कहा था कि हम पहले ही छह महीने गंवा चुके हैं। अगर हम सितंबर में परीक्षाएं कराते हैं तो हम कम से कम दिसंबर में तो आईआईटी में सत्र (ऑनलाइन ही सही) शुरू कर सकते हैं। ऐसे समय में परीक्षा के पैटर्न या प्रवेश प्रक्रिया से छेड़छाड़ भी सभी के लिए नुकसानदेह और अनुचित होगी।