Domestic Air Fare में बीते पांच साल में हुई 43 फीसदी की बढ़ोतरी, दुनिया में ऐसा करने वाला दूसरा देश

By रितिका कमठान | Nov 07, 2024

घरेलू हवाई किराया भारत में काफी बढ़ गया है। एशिया-प्रशांत (एपीएसी) और पश्चिम एशियाई क्षेत्रों में घरेलू हवाई किराया बढ़ा है। ये हवाई किराए की दूसरी सबसे बड़ी बढ़ोतरी है। इसमें वर्ष 2019 की महामारी के पूर्व स्तर की तुलना में वर्ष 2024 की पिछली छमाही में कीमत में 43 फीसदी का इजाफा देखा गया है। वियतनाम के बाद इतनी बढ़ोतरी करने वाला भारत दूसरा देश है। वियतनाम में हवाई किराए में 63 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है।

 

इस संबंध में बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट की मानें तो इस समयसीमा के दौरान अंतर्राष्ट्रीय हवाई यात्रा के किराए में बढ़ोतरी करने के मामले में भारत के बाद संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और मलेशिया है। बता दें कि घरेलू हवाई किराए में बढ़ोतरी को लेकर एयरपोर्ट काउंसिल इंटरनेशनल (एसीआई) की रिपोर्ट से जानकारी मिली है। ये काउंसिल फ्लेयर एविएशन कंसल्टिंग के सहयोग से कुल 617 हवाई अड्डों का प्रतिनिधित्व करता है।

 

बता दें कि इस बार एसीआई बोर्ड की बैठक सोमवार को ही हुई है जिसमें चर्चा इस रिपोर्ट पर की गई है। इस रिपोर्ट की मानें तो दुनिया के कुल 19 देशों में 60,000 से अधिक मार्गों पर हवाई किराए का विश्लेषण किया गया है। इससे क्षेत्र में महामारी के बाद की स्थिति में सुधार के बारे में भी पता चला है। घरेलू स्तर पर सबसे अधिक किराए में बढ़ोतरी वियतनाम में हुई है। इसके बाद सर्वाधिक वृद्धि भारत में हुई है।

 

अन्य देश जहां घरेलू किराया बढ़ाया गया है उसमें मलेशिया (36 प्रतिशत), थाईलैंड (26 प्रतिशत) और ऑस्ट्रेलिया (21 प्रतिशत) शामिल हैं। किराया बढ़ोतरी अधिकतर उन देशों में हुई है जहां घरेलू मांग अधिक है। अंतरराष्ट्रीय मार्गों पर गौर करें तो भारत और वियतनाम दोनों देशों ने हवाई किराए में 16 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की है। वहीं सबसे अधिक बढ़ोतरी यूएई ने की है जो 22 प्रतिशत है। इसके बाद दूसरे नंबर पर मलेशिया है जिसने 21 फीसदी का इजाफा किया है। वहीं भारत और वियतनाम के बाद ऑस्ट्रेलिया (14 प्रतिशत) और थाईलैंड (7 प्रतिशत) की बढ़ोतरी करने में शामिल है।

 

एसीआई एपीएसी और मध्य पूर्व के महानिदेशक स्टेफानो बैरोनसी की मानें तो इस वर्ष यात्रियों की संख्या महामारी से पहले के स्तर पर लौटती दिख रही है। कई यात्री अधिक भुगतान करने में भी पीछे नहीं है। इससे पता चलता है कि हवाई यात्रा की मांग 2019 की तुलना में अधिक हो सकती है। ऐसे में ये सुनिश्चित करना चाहिए की किराए में होने वाली बढ़ोतरी ग्राहकों के लिए परेशानी ना बने।

बैरोनसी का कहना है कि एयरलाइनों द्वारा निर्धारित जटिल मूल्य निर्धारण प्रणाली से प्रभावित होकर ही हवाई किराया तय होता है। वहीं हवाईअड्डे के शुल्क हवाई किराए में वृद्धि का कारण नहीं हैं। हवाईअड्डे के शुल्क समय के साथ अपेक्षाकृत स्थिर रहे हैं, जो एयरलाइनों की परिचालन लागत का लगभग 4 प्रतिशत है। 

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