अगस्त 2017 में पहली बार सामने आया था डॉक्टर कफील खान का नाम, हीरो से बन गए थे विलेन !

By अनुराग गुप्ता | Sep 02, 2020

लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के करीब 12 घंटे बाद डॉक्टर कफील खान को रिहा कर दिया गया। रिहाई के तुरंत बाद ही डॉक्टर कफील ने अदालत का शुक्रिया अदा किया। साथ ही साथ तमाम शुभचिंतकों का भी आभार जताया जिन्होंने उनकी रिहाई के लिए आवाज उठाई। लेकिन क्या आपको पता है कि पहली बार डॉक्टर कफील खान का नाम सुर्खियों में कब आया था। तो चलिए आपको बताते हैं अगस्त 2017 की उस घटना के बारे में जिसने डॉक्टर कफील को हीरो भी बनाया और विलेन भी। 

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डॉक्टर कफील हीरो से विलेन तक

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 10 अगस्त 2017 को ऑक्सिजन की कमी की वजह से 63 बच्चों की मौत हो गई थी। जिसके बाद वह पहली बार चर्चा में आए थे। इस दौरान डॉक्टर कफील ने बाहर से ऑक्सीजन सिलेंडर मंगवाकर कई बच्चों की जान बचाई थी। जिसकी वजह से अखबारों और सोशल मीडिया ने उन्हें हीरो की तरह जनता के समक्ष पेश किया था।

प्रशासन ने 22 अगस्त को ड्यूटी में लापरवाही बरतने और भ्रष्टाचार में शामिल होने का आरोप लगाकर डॉक्टर कफील को निलंबित कर दिया और फिर जेल भेज दिया था। नौ महीने जेल में बिताने के बाद डॉ कफील खान को जमानत मिल गई थी। हालांकि, डॉक्टर कफील ने इस घटना को षड्यंत्र करार दिया था। 

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भड़ाकाऊ भाषण देने का आरोप

इसके बाद दिसंबर 2019 में डॉ कफील खान ने सुर्खियां बटोरी थी। जब उन्होंने सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में छात्रों को संबोधित किया था। उस वक्त डॉक्टर कफील पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगा। इस मामले में उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई थी लेकिन वह फरार हो गए। 29 जनवरी को यूपी एटीएस ने उन्हें मुंबई से गिरफ्तार किया।

डॉक्टर कफील पर लगा रासुका

10 फरवरी को अलीगढ़ की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने डॉक्टर कफील को जमानत दे दी और वह रिहा होने वाले थे। लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने उन पर रासुका लगा दिया। जिसके बाद डॉक्टर कफील ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इस दौरान कोर्ट ने आदेश दिया कि हाई कोर्ट में पेंडिंग याचिका पर 15 दिनों के अंदर सुनवाई पूरी की जाए। 

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तत्काल रिहाई के आदेश

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मंगलवार को रासुका के तहत कैद डॉक्टर कफील की हिरासत रद्द करते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से रिहा करने का आदेश दिया। मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल की पीठ ने कफील की मां नुजहत परवीन की याचिका पर यह आदेश पारित किया।

याचिका में आरोप लगाया गया था कि फरवरी की शुरुआत में एक सक्षम अदालत द्वारा डॉक्टर कफील को जमानत दे दी गई थी और उन्हें जमानत पर रिहा किया जाना था। लेकिन उन्हें चार दिनों तक रिहा नहीं किया गया और बाद में उन पर रासुका लगा दिया गया। 

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रिहाई के बाद क्या बोले डॉक्टर कफील

कैद से रिहा होने के बाद डॉक्टर कफील खान ने अदालत का शुक्रिया अदा किया। इस दौरान डॉक्टर कफील ने कहा कि अपने उन सभी शुभचिंतकों का हमेशा शुक्रगुजार रहूंगा जिन्होंने मेरी रिहाई के लिए आवाज बुलंद की। प्रशासन रिहाई के लिए तैयार नहीं था लेकिन लोगों की दुआओं की वजह से मुझे रिहा किया गया। उन्होंने कहा कि रामायण में महर्षि वाल्मीकि ने कहा था कि राजा को 'राज धर्म' के लिए काम करना चाहिए। उत्तर प्रदेश में 'राजा' 'राज धर्म' नहीं निभा रहे बल्कि 'बाल हठ' कर रहे हैं।

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