अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2020: घर में रहते हुए परिवार के साथ ही करें योग, रहें निरोग

By गौतम मोरारका | Jun 20, 2020

योग हमारी काया को निरोग रखती है, यह बात भारतवासी सदियों से जानते, समझते और लाभान्वित होते आएं हैं। लेकिन मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार ने 6 वर्ष पूर्व जो इसे लेकर एक सकारात्मक पहल की, उससे योग का धर्मनिरपेक्ष व पंथनिरपेक्ष स्वरूप देश-दुनिया के सामने आया। 21 जून रविवार को जब दुनिया छठा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाएगी, तब कोरोना प्रकोप काल में भी इसकी प्रासंगिकता दुनिया समझ जाएगी। इस वर्ष का थीम भी कोरोना प्रकोप नियंत्रण उपाय पर ही केंद्रित है। 


बता दें कि साल 2015 से हर साल 21 जून को पूरी दुनिया अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाती है। लिहाजा, हरेक साल की तरह इस वर्ष भी योग दिवस को एक थीम दी गई है, जिस पर कोरोना प्रकोप का स्पष्ट प्रभाव दिखाई दे रहा है। इस वर्ष घर पर रहते हुए ही परिवार के साथ योग करने का आह्वान किया गया है- घर पर योग, परिवार के साथ योग। बहरहाल, कोरोना काल में हम सबने यह महसूस किया है कि इम्युनिटी बढ़ाने के लिए योग बहुत जरूरी है। 

 

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फिलवक्त महामारी संकट से जूझ रही इस दुनिया ने रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने की दिशा में योग के महत्व को भी भली-भांति समझ लिया है। योग गुरु स्वामी रामदेव ने भी आंतरिक और बाहरी तौर पर शरीर को स्वस्थ बनाए रखने और इम्युनिटी को मजबूत बनाने में योग की जरूरत को जिंदगी का अहम हिस्सा बताया है। यह सस्ता, सर्वसुलभ और सर्वहितकारी है, बशर्ते कि कोई इसे मजहबी चश्मे से नहीं देखे। 


आपको पता होना चाहिए कि योग के बूते भारतवर्ष को विश्व गुरू के रूप में दोबारा स्थापित कराने वाली यह व्यवहारिक व नित्य अभ्यासी विधा महर्षि पतंजलि द्वारा रचित है। यदि पिछले पांच वर्षों पर हमलोग नजर डालते हैं तो यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि प्रथम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2015 को संपूर्ण विश्व एवं भारतवर्ष ने जिस उत्साह और उमंग से मनाया, वह पल प्रत्येक भारतवासी को अपनी गरिमा और अपने पूर्वजों द्वारा स्थापित इस पुरातन विधा पर गर्व हुआ। 


योग साधक और गाजियाबाद नगर निगम के नगर आयुक्त दिनेश चंद्र सिंह के मुताबिक, अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस महोत्सव की पहली यादगार सफलता के बाद धीरे-धीरे द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ और पंचम अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में इस आध्यात्मिक और कांतिवर्द्धक उमंग को समेटे हुए हमलोग एक बार फिर छठे अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव को मनाने जा रहे हैं। लेकिन इस बार फर्क सिर्फ इतना है कि इस बार के कार्यक्रम को भारत समेत समस्त विश्व में लाइव कार्यक्रम के रूप में मनाया जा रहा है। क्योंकि चारों तरफ कोरोना महामारी के साथ साथ तमाम प्राकृतिक आपदा व्याप्त हैं। ऐसी स्थिति में हमें बरबस योग के उन पहलुओं को आत्मसात करने की आवश्यकता महसूस हो रही है, जिन्हें योग की भाषा में यम नियम और धारणा के नाम से जाना जाता है। बहरहाल, योग के सभी लौकिक-अलौकिक पहलुओं से समाज को जोड़ने की जरूरत है।


आपको बता दें कि भारतीय संस्कृति के अनुसार, ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाता है, जिसके बाद 21 जून साल का सबसे बड़ा दिन माना जाता है। कहने का तातपर्य यह कि इस दिन सूर्य जल्दी उगता है और देर से डूबता है। इसीलिए 21 जून को ही अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। 


आज से छह साल पहले 2015 में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया था। जिसकी थीम, इतिहास और महत्व पर भी विशेष बल दिया गया। इस साल दुनिया छठा योग दिवस मना रही है।


उल्लेखनीय है कि 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस या विश्व योग दिवस के रूप में मनाए जाने को मान्यता दी थी। इस घोषणा के बाद अगले साल यानी 2015 से अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पूरी दुनिया में मनाया जाने लगा था। जिसमें भारत ने भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। तब से हर साल की तरह इस साल भी 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है, जिसको एक थीम दी गई है। लेकिन इस साल कोरोना वायरस महामारी कोविड 19 के चलते लोगों को एक ऐसी थीम दी गई है, जो जनसेहत और जनस्वास्थ्य को बढ़ावा देगी। 


आपको याद दिला दें कि 2015 की थीम थी सद्भाव और शांति के लिए योग। जबकि 2016 की थीम थी युवाओं को कनेक्ट करें। फिर  2017 की थीम बनी स्वास्थ्य के लिए योग। वहीं, 2018 की थीम थी शांति के लिए योग। गत वर्ष 2019 की थीम थी योगा फॉर हार्ट। और अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2020 की थीम है घर पर योग, परिवार के साथ योग।

 

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सच कहा जाए तो हर साल 21 जून को मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का स्वस्थ जीवन यापन की दिशा में बहुत बड़ा महत्व है। क्योंकि योग को प्राचीन भारतीय कला का एक प्रतीक भी माना जाता है। बहुतेरे लोग भारतीय योग को जीवन में सकारात्मकता व ऊर्जावान बनाए रखने के लि‍ए भी महत्वपूर्ण मानते आये हैं। लिहाजा, इस दिन को मनाने का उद्देश्य योग के प्रति लोगों में जनजागरुकता भाव पैदा करना है। योग दिवस का महत्व अब इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह जीवन को तनावमुक्त बनाने में काफी मददगार हो सकता है।


वास्तव में, योग व्यायाम का ऐसा प्रभावशाली अभ्यास प्रकार है, जिसके माध्यम से हमलोग न केवल शरीर के अंगों बल्कि मन, मस्तिष्क और आत्मा में भी संतुलन बना सकते हैं। यही वजह है कि योग से शा‍रीरिक व्याधियों व मानसिक परेशानियों से भी निजात पाई जा सकती है। दरअसल, योग शब्द की उत्पत्त‍ि ही संस्कृत भाषा के युज से हुई है, जिसका आशय होता है आत्मा का सार्वभौमिक चेतना से मिलन। जानकारों के मुताबिक, योग लगभग दस हजार वर्ष से भी अधिक समय से अपनाया जा रहा है। वैदिक संहिताओं के मुताबिक, इसके सिद्धहस्त तपस्वियों के बारे में प्राचीन काल से ही वेदों में उल्लेख मिलता है। पुरातत्व विज्ञानियों के मुताबिक, सिंधु घाटी सभ्यता में भी योग व समाधि को प्रदर्श‍ित करती हुई विभिन्न मूर्तियां प्राप्त हुईं हैं।  

 

वैसे तो हिन्दू धर्म में साधु, सन्यासियों व योगियों द्वारा योग सभ्यता को शुरु से ही अपनाया गया था, लेकिन आम लोगों में इस विधा का विस्तार हुए अभी ज्यादा समय नहीं बीता है। हमें योग गुरु स्वामी रामदेव का आभारी होना चाहिए कि उन्होंने अपने अथक प्रयास से योग की महिमा और महत्व को जन जन तक पहुंचाया। वहीं, पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा जब से अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत की गई है, तब से इसे स्वस्थ्य जीवनशैली हेतु बड़े पैमाने पर अपनाया जा रहा है। सच कहूं तो व्यस्त, तनावपूर्ण और अस्वस्थ दिनचर्या में इसके सकारात्मक प्रभाव से इंकार नहीं किया जा सकता है।


योग की प्रमाणिक पुस्तकों, यथा- शिवसंहिता व गोरक्षशतक में योग के चार प्रकारों का वर्णन मिलता है- पहला, मंत्रयोग, जिसके अंतर्गत वाचिक, मानसिक, उपांशु आर अणपा आते हैं। दूसरा, हठयोग जो जिद्दी आचार-व्यवहार पर आधारित है। तीसरा, लययोग, जिसमें तारतम्यता को महत्व दिया जाता है। और चतुर्थ, राजयोग, जिसके अंतर्गत ज्ञानयोग और कर्मयोग आदि आते हैं। हालांकि, व्यापक अर्थों में, पतंजलि औपचारिक योग दर्शन के संस्थापक माने जाते हैं। पतंजलि के योग, बुद्धि नियंत्रण के लिए एक प्रणाली है, जिसे राजयोग के रूप में जाना जाता है। 


पतंजलि के अनुसार योग के 8 सूत्र बताए गए हैं, जो निम्न प्रकार से हैं - 

 

पहला, यम- इसके अंतर्गत सत्य बोलना, अहिंसा, लोभ न करना, विषयासक्ति न होना और स्वार्थी न होना शामिल है। दूसरा, नियम- इसके अंतर्गत पवित्रता, संतुष्ट‍ि, तपस्या, अध्ययन और ईश्वर को आत्मसमर्पण शामिल हैं। तीसरा, आसन- इसमें बैठने का आसन महत्वपूर्ण है। चतुर्थ, प्राणायाम- सांस को लेना, छोड़ना और स्थगित रखना इसमें अहम है। पांचवां, प्रत्याहार- बाहरी वस्तुओं से, भावना अंगों से प्रत्याहार। छठा, धारणा- इसमें एकाग्रता अर्थात एक ही लक्ष्य पर ध्यान लगाना महत्वपूर्ण है। सातवां, ध्यान- ध्यान की वस्तु की प्रकृति का गहन चिंतन इसमें शामिल है। आठवां, समाधि- इसमें ध्यान की वस्तु को चैतन्य के साथ विलय करना शामिल है। इसके भी दो प्रकार हैं- सविकल्प और अविकल्प। बता दें कि अविकल्प में संसार में वापस आने का कोई मार्ग नहीं होता। अत: यह योग पद्धति की चरम अवस्था है।  

 

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वहीं, भगवद गीता में योग के जो तीन प्रमुख प्रकार बताए गए हैं, वे हैं- पहला,

कर्मयोग- इसमें व्यक्ति अपने स्थिति के उचित और कर्तव्यों के अनुसार कर्मों का श्रद्धापूर्वक निर्वाह करता है। दूसरा, भक्ति योग- इसमें भगवत कीर्तन प्रमुख है। इसे भावनात्मक आचरण वाले लोगों को सुझाया जाता है। तीसरा, ज्ञाना योग- इसमें ज्ञान प्राप्त करना अर्थात ज्ञानार्जन करना शामिल है। देखा जाए तो वर्तमान में योग को शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य व शांति के लिए बड़े पैमाने पर अपनाया जाता है। 


यही वजह है कि गत 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रत्येक वर्ष 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मान्यता दी और 21 जून 2015 को प्रथम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। यह भी यादगार पहलू है कि जब प्रथम बार विश्व योग दिवस के अवसर पर 192 देशों में योग का आयोजन किया गया तो उनमें 47 मुस्लिम देश भी शामिल थे। 


आपको यह पता होना चाहिए कि इस अवसर पर दिल्ली में एक साथ 35985 लोगों ने योग का प्रदर्शन किया, जिसमें 84 देशों के प्रतिनिधि मौजूद थे और भारत ने दो विश्व रिकॉर्ड बनाकर 'गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स' में अपना नाम दर्ज करा लिया। पहला रिकॉर्ड एक जगह पर सबसे अधिक लोगों के योग करने का बना, तो दूसरा एक साथ सबसे अधिक देशों के लोगों के योग करने का।


भारत में योग का इतिहास बहुत पुराना है। शास्‍त्रों में भी योग की भरपूर चर्चा मिलती है। ऋग्‍वेद में भी योग की संपूर्ण व्‍याख्‍या की गई है। यही वजह है कि 27 सितंबर 2014 को संयुक्‍‍त राष्‍ट्र महासभा के भाषण में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस मनाए जाने की अपील की। इसके पश्चात, अमेरिका ने 123 सदस्‍यों की बैठक में अंतर्राराष्‍ट्रीय योग दिवस का प्रस्‍ताव पास कर दिया। अमेरिका द्वारा अंतर्राष्‍ट्रीय योग दिवस मनाए जाने की अपील करने के बाद, 90 दिनों के अंदर 177 देशों ने अंतर्राराष्‍ट्रीय योग दिवस का प्रस्‍ताव पारित कर दिया। जिसके बाद 21 जून 2015 को पूरे विश्‍व में पहली बार अंतर्राष्‍ट्रीय योग दिवस मनाया गया। 

 

यदि आप नहीं जानते हैं तो यह जान लीजिए कि योग का उद्भव भारत से ही माना जाता है। भारत में योग का इतिहास लगभग 2000 वर्ष पुराना बताया गया है। भार‍त में स्‍वामी विवेकानंद ने योग की शुरुआत बहुत पहले कर दी थी। उन्होंने अपने शिकागो सम्‍मेलन के भाषण में योग का संदेश संपूर्ण विश्‍व को दिया था। इस पर आधारित पुस्‍तकों का संग्रह आज भी भारत के राष्‍ट्रीय संग्राहलयों में मिलता है। 


वास्तव में, योग भारत के पास प्रकृति की एक अमूल्‍य वस्‍तु है। अनुपम उपहार है। आज के समय में सभी के जीवन में योग का बहुत अधिक महत्‍व है। वर्तमान में बढ़ती बीमारियों से निपटने के लिए योग बहुत जरुरी है। जिस प्रकार डायबिटीज के मरीज के लिए दवा जरुरी है, ठीक उसी प्रकार जीवन में योग बहुत आवश्‍यक है।


यूँ तो प्रात: काल का समय, योग करने का सही समय माना जाता है। क्योंकि  सुबह के समय योग करने से व्‍यक्‍ति के मस्‍तिष्‍क की सभी इंद्रियां भलीभंति गतिमान होती हैं, जिससे व्‍यक्‍ति का मन एकाग्र होकर कार्य करता है। दरअसल, योग एक ऐसी साधना पद्धति है, जिसका जीवन में होना बहुत जरुरी है। यह एक ऐसी दवा है, जो बगैर खर्च के रोगियों का इलाज करने में सक्षम है। वहीं, यह शरीर को ऊर्जावान बनाए रखता है। यही वजह है कि युवाओं द्वारा बड़े पैमाने पर जिम और एरो‍बि‍क्‍स को छोड़कर योग अपनाया जा रहा है।


देखा जाए तो नियमित योग के कई फायदे बताए जाते हैं- पहला, मानसिक तनाव से छुटकारा। सुबह के समय योग करने का सबसे ज्‍यादा असर व्‍यक्‍ति की मानसिक स्‍थिति पर होता है। लिहाजा, प्रात: योग करने से दिन भर के मानसिक तनाव से छुटकारा मिल जाता है एवं सभी कार्य आसानी एवं सरलता से हो जाते हैं। दूसरा, वजन कम करने में सहायक- योग वजन घटाने में अत्यधिक सहायक है। सूर्य नमस्‍कार, योग का ऐसा अंग है जो वजन कम करने में अत्यंत सहायक है। प्रतिदिन सूर्य नमस्‍कार करने से व्‍यक्‍ति का 10 ग्राम तक वजन कम होता है। तीसरा, डायबिटीज रोगियों के लिए जरुरी- कहा जाता है कि डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो कभी ठीक नहीं होती। लेकिन ऐसा नहीं है, योग और प्राणायाम से इस बीमारी का इलाज भी संभव है। योग के नि‍यमित अभ्यास से डायबिटीज जैसी बीमारी से राहत पाई जा सकती है।


चतुर्थ, मन प्रसन्‍न- प्रतिदिन सुबह के समय योग करने से मन दिन भर प्रसन्‍न रहता है, साथ ही मानसिक शांति भी मिलती है। मानसिक रोगों को दूर कर प्रसन्न रहने के लिए यह एक बेहतरीन उपाय है। पांचवां, आत्‍मविश्‍वास में बढ़ोत्‍तरी- योग से मस्‍तिष्‍क सक्रिय होता है और शारीरिक ऊर्जा में वृद्धि होती है, जिससे व्‍यक्‍ति का मन किसी भी कार्य में व्यवस्थित रूप से लगा रहता है एवं उसके सभी काम समय पर होने से उसका आत्‍मविश्वास भी बढ़ता है। 

 

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बहुत कम लोग जानते हैं कि योग की क्रिया में कतिपय सावधानियां भी अपेक्षित हैं- पहला, योग सुबह या शाम के समय करना ज्‍यादा बेहतर होगा।


दूसरा, योग हमेशा खाली पेट करें। तीसरा, योग अपने शरीर के हिसाब से करें। जो आसन आप कर सकते हैं वही आसन करें। यूं तो भारत के लिए यह बहुत गर्व की बात है कि संपूर्ण विश्‍व में अंतराष्‍ट्रीय योग दिवस का आयोजन किया जा रहा है। जिसके चलते आज के समय में योग का उज्ज्वल भविष्‍य सामने है। वर्तमान में योग के प्रति लोगों की रुचि जिस तरह से बढ़ती जा रही है, उससे आने वाले समय में योग का स्तर और व्यापक होने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है। भारतीय योग अब विदेशों में भी अपनाया जा चुका है जो यह दर्शाता है कि योग अब अंतराष्‍ट्रीय स्‍तर पर विकसित हो चुका है। इसलिए इसमें छिपे पेशेवर संभावनाओं को भी हमें पहचानना होगा और उसके अनुरूप ही अपनी रणनीति बनानी और बदलनी होगी।


- गौतम मोरारका


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