आजकल की आधुनिक जीवनशैली में हमारा ज़्यादा समय कंप्यूटर और मोबाइल फोन पर बीतता है। इस वजह से नजर का कमजोर होना, आंखों से पानी आना, सिर भारी होना और आंखों में जलन जैसी परेशानियाँ का होना आम बात है। आजकल बच्चों को भी कमजोर नज़र के कारण कम उम्र चश्मा लगाना पड़ता है। अनियमित जीवनशैली, गलत खानपान, आंखों की ठीक से देखभाल न करना, पोषक तत्वों की कमी या फिर आनुवांशिक कारणों के कारण आंखों की रोशनी कम हो जाती है। आँखों को स्वस्थ रखने के लिए नियमित रूप से योग करना बहुत फायदेमंद साबित होगा। आज के इस लेख में हम आपको आँखों की समस्या से निजात पाने के लिए कुछ योगासन बताने जा रहे हैं। इनके नियमित अभ्यास से आपकी आँखों की रोशनी तेज होगी-
चक्रासन
इस आसान को करने के लिए अपनी पीठ के बल लेट जाएं।
अपने पैरों को अपने घुटनों पर मोड़ें और सुनिश्चित करें कि आपके पैर फर्श पर मजबूती से टिके हुए हैं।
अपनी हथेलियों को ऊपर की ओर रखते हुए अपनी बाजुओं को कोहनियों पर मोड़ें। अपनी बाहों को कंधों पर घुमाएं और अपनी हथेलियों को अपने सिर के दोनों ओर फर्श पर रखें।
गहरी सांस लें और अपनी हथेलियों और पैरों पर दबाव डालते हुए अपने पूरे शरीर को एक आर्च बनाने के लिए ऊपर उठाएं।
पीछे देखें और अपनी गर्दन को आराम दें क्योंकि आप अपने सिर को धीरे से पीछे की ओर गिरने देते हैं।
आपके शरीर के वजन को आपके चार अंगों के बीच समान रूप से वितरित किया जाना चाहिए।
सर्वांगासन
इस आसान को करने के लिए जमीन पर पीठ के बल लेट जाएं।
अब अपने हाथों को सीधा पीठ के बगल में रखें, हथेलियां नीचे रहेंगी।
अब सांस अंदर लेते हुए अपनी टांगों को सीधे हवा में ऊपर की तरफ उठाएं।
इसके बाद धीमी गति से टांगों को सिर की तरफ मोड़ें। दोनों कोहनियों को जमीन पर टीकाकार हाथों से कमर को सहारा दें।
अब अपनी टांगों को ऊपर की तरफ खींचकर उठाएं।
कंधे, रीढ़ की हड्डी और हिप्स एक सीध में ले आएं। इस अवस्था में 30 से 60 सेकेंड तक रहें।
इसके बाद सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे पुरानी अवस्था में वापस लौट आएं।
हलासन
इस आसान को करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं और दोनों हाथों को शरीर के साथ सटाकर रखें।
अब सांस लेते हुए धीरे-धीरे अपने पैरों को ऊपर की ओर उठाते हुए 90 डिग्री का कोण बनाएं। फिर सांस छोड़ते हुए पैरों को सिर की तरफ लाते हुए पैरों की उंगलियों को जमीन से स्पर्श कराने का प्रयास करें।
कुछ सेकंड इसी मुद्रा में रहें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें।
अब सांस लेते हुए धीरे-धीरे प्रारंभिक अवस्था में लौट आएं। इस प्रकार एक चक्र पूरा हो जाएगा।
इस आसान के 4-5 चक्र किए जा सकते हैं।
- प्रिया मिश्रा