By प्रिया मिश्रा | May 27, 2022
आजकल की बदलती जीवनशैली और खानपान की गलत आदतों की वजह से बड़ी तादाद में लोग दिल की बिमारियों से ग्रस्त हैं। हमारा दिल हमारे शरीर का सबसे महत्पूर्ण अंग है और इसका स्वस्थ रहना बहुत जरुरी है। लेकिन अपनी व्यस्त जीवनशैली में हम अक्सर अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही करते हैं। इसके कारण हमारा दिल कमजोर होने लगता है। हालाँकि, जब भी हमारा दिल बीमार होता है तो हमारा शरीर हमें कुछ संकेत देता है। आजकल साइलेंट हार्ट अटैक की समस्या बढ़ गई है। इसके लक्षण या तो दिखाई नहीं देते हैं या जो प्रारंभिक लक्षण दिखते भी हैं, उन्हें लोग समझ नहीं पाते हैं। इसमें आमतौर पर सीने में हार्ट अटैक जैसा तेज दर्द नहीं होता है। लेकिन साइलेंट हार्ट अटैक के बाद दोबारा अटैक आने पर जान बचने के चांसेज कम होते हैं। यह एक साइलेंट किलर साबित हो सकता है।
साइलेंट हार्ट अटैक के कारण
साइलेंट अटैक के कई कारण हो सकते हैं जैसे ज्यादा ऑयल फैक्ट्री और प्रोसेस्ड फूड खाना, फिजिकल एक्टिविटी ना करना, और सिगरेट का सेवन। इसके अलावा, डायबिटीज और मोटापे से ग्रसित लोगों में भी साइलेंट अटैक की संभावना ज्यादा रहती है। जो लोग ज्यादा टेंशन और स्ट्रेस लेते हैं वह भी साइलेंट अटैक का शिकार हो सकते हैं।
साइलेंट हार्ट अटैक के लक्षण
साइलेंट हार्ट अटैक में सीने के बीच के हिस्से में तेज दर्द और बेचैनी महसूस हो सकती है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक अधिकांश मामलों में छाती के बीच में या बाएं और बेचैनी महसूस होती है। यह कुछ सेकेंड से लेकर कुछ समय तक रह सकती है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक पेट में दर्द, सीने में जलन और मतली जैसी समस्याएं भी साइलेंट हार्ट अटैक के शुरुआती संकेत हो सकते हैं। कई मामलों में पेट के ऊपरी तरफ तेज और चुभने वाला दर्द शुरू हो सकता है।
चक्कर आना या बेहोश होना भी साइलेंट हार्ट अटैक का एक शुरुआती लक्षण हो सकता है। इसके साथ ही ठंडे पसीने, सीने में जकड़न या सांस की तकलीफ भी शामिल हो सकते हैं।
साइलेंट हार्ट अटैक के संकेत सिर्फ छाती ही नहीं, शरीर के अन्य भागों में भी देखे जा सकते हैं। दिल के दौरे का एक प्रारंभिक संकेत हाथ का दर्द हो सकता है जो धीरे धीरे कंधों, पीठ, गर्दन और जबड़ों तक फैल सकता है।
अन्य लक्षण
बहुत ज्यादा थकान होना
किसी भी काम में सांस फूलना
लगातार बेचैनी महसूस होना
अचानक ठंडा पसीना आना
साइलेंट हार्ट अटैक से कैसे बचें
साइलेंट हार्ट अटैक से बचने के लिए पौष्टिक और संतुलित आहार लें। अपनी डाइट में सलाद और सब्जियों को शामिल करें। इसके साथ ही नियमित योगासन और व्यायाम करना भी बहुत जरूरी है। अगर आपको इसके लक्षण महसूस हो रहे हों तो तुरंत किसी डॉक्टर से सलाह लें।