ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सूर्य देवता जब धनु राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे खरमास कहा जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर साल मार्गशीर्ष माह और पौष माह के बीच में खरमास लगता है। इस साल खरमास के महीने की शुरुआत 16 दिसंबर से होगी और 14 जनवरी के दिन इसका समापन होगा। इस महीने में किसी भी तरह का कोई शुभ या मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है।
खरमास की पौराणिक कथा
खरमास को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है। भगवान सूर्यदेव सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर लगातार ब्रह्मांड की परिक्रमा करते है। सूर्यदेव को कहीं भी रुकने की इजाजत नहीं है। लेकिन रथ में जुड़े घोड़े लगातार चलने और विश्राम न मिलने के कारण थक जाते हैं। घोड़ों की ऐसी हालत देखकर सूर्यदेव का मन भी एक बार द्रवित हो गया। वह घोड़ों को तालाब के किनारे ले गए। लेकिन सूर्यदेव को तभी यह भी आभास हुआ कि अगर रथ रुका तो अनर्थ हो जाएगा। लेकिन जब वे तालाब के पास पहुंचे तो देखा कि वहां दो खर मौजूद हैं। भगवान सूर्यदेव ने घोड़ों को पानी पीने और विश्राम देने के लिए वहां छोड़ दिया और खर यानी गधों को रथ में जोड़ लिया। गधों को सूर्यदेव का रथ खींचने में काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही थी। इस दौरान रथ की गति हल्की हो जाती है। इस दौरान जैसे-तैसे सूर्यदेव इस दौरान एक मास का चक्र पूरा करते हैं। इस बीच घोड़े भी विश्राम कर चुके होते हैं। इसके बाद सूर्य का रथ फिर से अपनी गति में लौट आता है। इस तरह हर साल ये क्रम चलता रहता है। इसीलिए हर साल खरमास लगता है।
खरमास में कभी न करें ये काम
खरमास के महीने में शादी-विवाह, सगाई, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश नहीं कराना चाहिए। इस महीने में बेटी या बहू की विदाई भी नहीं करनी चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को जीवन में अशुभ प्रभाव झेलना पड़ता है।
खरमास के महीने में कोई भी नया व्यवसाय या कार्य नहीं शुरू करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति को व्यवसाय में आर्थिक नुकसान होता है।
खरमास के महीने में कोई नई वस्तु, घर, जमीन या वाहन नहीं खरीदना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति इन वस्तुओं का सुख नहीं भोग पाता है।
इस महीने मांस-मदिरा, गेहूं, चावल, सफेद धान, मूंग, जो, तिल, कटहल, आम, सौंठ, जीरा, आंवला, सुपारी सेंधा नमक नहीं खाना चाहिए।
इस महीने में किसी देवता, गुरु, गाय, स्त्री की निंदा नहीं करनी चाहिए। इसके साथ ही अगर कोई भिखारी दरवाजे पर आए तो उसे खाली हाथ नहीं भेजना चाहिए और ना ही उसका अपमान करना चाहिए।
- प्रिया मिश्रा