By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 14, 2020
नयी दिल्ली। संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शनों और कुछ विश्वविद्यालयों में हिंसा के बाद हालात के बीच नरेंद्र मोदी सरकार को मजबूती से घेरने की कांग्रेस की कोशिश को सोमवार को उस वक्त झटका लगा जब उसकी ओर से बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक में सपा, बसपा और तृणमूल कांग्रेस के साथ ही उसकी प्रमुख सहयोगी द्रमुक भी शामिल नहीं हुई। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि द्रमुक की ओर से इस बैठक में शामिल होने का कोई कारण नहीं बताया गया है।
पहले इस बैठक में समाजवादी पार्टी (सपा) के शामिल होने की खबरें थीं और पार्टी के एक नेता ने भी सोमवार सुबह यह कहा था कि पार्टी बैठक में शामिल होगी, लेकिन अखिलेश यादव की पार्टी बैठक से नदारद रही। राजस्थान में अपने विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने का विरोध करते हुए बसपा इस बैठक में शामिल नहीं हुई तो पश्चिम बंगाल की स्थानीय राजनीति के चलते तृणमूल कांग्रेस ने भी बैठक में मौजूद रहने से मना कर दिया।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक में कुल 20 पार्टियां शामिल हुईं। इस बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें अर्थव्यवस्था, रोजगार एवं किसानों की स्थिति तथा सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की कार्रवाई तथा जेएनयू एवं कुछ अन्य विश्वविद्यालयों में छात्रों पर हमले को लेकर चिंता प्रकट की गई। इसके साथ ही आर्थिक मंदी, बेरोजगारी और जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर भी चर्चा की गई।
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पार्लियामेंट एनेक्सी में हुई बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, राकांपा प्रमुख शरद पवार, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, ए के एंटनी, के सी वेणुगोपाल, गुलाम नबी आजाद और रणदीप सुरजेवाला, माकपा के सीताराम येचुरी, भाकपा के डी राजा, झामुमो के नेता एवं झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, राकांपा के प्रफुल्ल पटेल, राजद के मनोज झा, नेशनल कांफ्रेस के हसनैन मसूदी और रालोद के अजित सिंह मौजूद थे।
इसके साथ ही आईयूएमएल के पी के कुन्हालीकुट्टी, लोकतांत्रिक जनता दल के शरद यादव, पीडीपी के मीर मोहम्मद फैयाज, जद (एस) के डी कुपेंद्र रेड्डी, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के जीतन राम मांझी, रालोसपा के उपेंद्र कुशवाहा तथा कई अन्य दलों के नेता भी बैठक में शामिल हुए।