कुछ भी करने से पहले वे ज़रूर कहते हैं, उन्हें उपरवाले का आशीर्वाद प्राप्त है। ‘उपरवाले’ में काफी कुछ शामिल है। वे खासे धार्मिक हैं। अपने प्रिय देवता को रिझाने के लिए धारण किए जाने वाले, साफ़ सुथरे धार्मिक वस्त्र पहनकर, बाअदब हाथ जोड़ते हुए, नकली मुस्कराहट बाकायदा मुफ्त में बांटते हुए पूजालय जाते हैं। नियमानुसार उचित भेंट पेश करते हैं। अनुभवी, कर्मकांडी व्यक्ति से अपने ईष्ट के ख़ास पूजालय में हवन, यज्ञ और अनुष्ठान करवाते हैं। उनकी अधिकांश प्रार्थनाएं लोकहित के लिए होती होंगी ऐसा बिलकुल नहीं है क्यूंकि मानव स्वभाव से स्वार्थी है। मानव जैसी उच्च कोटि की योनी में जन्म लेने की विरलता के कारण, स्वार्थ सिद्धि का हक भी सभी को मिलता है। हमारी समृद्ध संस्कृति में योग निर्माताओं ने स्वार्थ सिद्धि योग भी रच रखा है। सुना है उन ख़ास दिनों में, ख़ास योग में पूजा पाठ करने से स्वार्थ सिद्ध किए जा सकते हैं। कितनी प्रशंसनीय और लुभावनी सुविधा है जी।
समाज के विशिष्ट व्यक्ति पूजन संपन्न होने के बाद यह ज़रूर कहा करते हैं कि उन्हें भगवान् का आशीर्वाद मिल गया है। उनकी पत्नी भी इस सुघटना की पुष्टि करती है कि क्यूंकि ये बहुत पूजा पाठ करते हैं इसलिए इन्होंने आशीर्वाद प्राप्त कर लिया है। स्वार्थ पूर्ण करने के लिए, आशीर्वाद लेने के बाद पहले से तैयार स्वार्थ सिद्धि योजना का क्रियान्वन करते हैं जिसमें भोजन, बहन और मां जैसे प्रभावशाली शब्द डालकर भावनाओं को पलीता लगाने की तैयारी होती है। बात तो सही है जब स्वार्थ, शरीर पर सवार हो तो मानवीय संबंधों की बलि तो चढ़नी ही है। पेट, मां या बहन के नाम पर नकद खैरात बांटने की योजना तो सफल होनी ही है। मुफ्त का माल तो सभी को सदियों से पचता आया है। इस सन्दर्भ में देवीय आशीर्वाद प्राप्त हो जाए तो सोने पर सुहागा। सुहागा तो सभी समझते हैं आजकल भी प्रयोग हो रहा है।
वास्तव में, वे अपने आराध्य के सामने हाथ जोड़कर कहते होंगे, ईमानदारी से मानता हूँ कि पिछली बार भी आपके आशीर्वाद से हमने लोक लुभावन बातें की, स्वार्थपूरक योजनाएं बनाई और आपने हमें सफल बनाया। अब इस बार भी आपके आशीर्वाद से नई कमाऊ योजनाएं, बढ़ा चढ़ाकर क्रियान्वित करने वाला हूं। कृपया इस बार भी पूरा आशीर्वाद दें। हैरानी इस बात की है कि यदि देव आशीर्वाद देते होंगे तो आशीर्वाद प्रेषित करते समय यह परामर्श या आदेश क्यूँ नहीं देते कि आप आम आदमी के सामान्य स्वास्थ्य के लिए चिकित्सक, हस्पताल और दवाइयां उपलब्ध करवाएं। शिक्षा को सुलभ, सस्ता और गुणात्मक बनाने के संजीदा प्रयास करें नहीं तो आशीर्वाद वापिस ले लिया जाएगा। उनके द्वारा आशीर्वाद लेते समय क्या सिर्फ रेवड़ियां बांटने का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। आशीर्वाद देने वाला कुछ नहीं कर सकता क्या। बड़ा गड़बड़झाला है रे।
- संतोष उत्सुक