By अनुराग गुप्ता | Aug 07, 2020
शिवराज सिंह चौहान ने अमरिंदर सिंह द्वारा प्रधानमंत्री को लिखे पत्र की आलोचना करते हुए कहा कि मध्य प्रदेश में पिछल 25 सालों से बासमती चावल का उत्पादन हो रहा है और इसका उल्लेख इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ राइस रिसर्च हैदराबाद की रिपोर्ट में भी है। इतना ही नहीं शिवराज सिंह ने तो अमरिंदर सिंह के इस कदम को राजनीति से भी प्रेरित बता दिया।
दरअसल, अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मध्य प्रदेश के बासमती चावल को जीआई टैग देने पर रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जीआई टैग से कृषि उत्पादों को उनकी भौगोलिक पहचान दी जाती है और भारत से हर साल 33 हजार करोड़ रुपए के बासमती चावल का निर्यात होता है। ऐसे में अगर जीआई टैग से छेड़छाड़ हुई तो भारतीय बासमती के बाजार को काफी नुकसान हो सकता है और इसका सीधा फायदा पाकिस्तान को मिल सकता है।
अमरिंदर की इस आपत्ति पर शिवराज सिंह ने ट्वीट करते हुए पूछा कि आखिर उनकी मध्य प्रदेश के किसान बंधुओं से क्या दुश्मनी है ? यह मध्य प्रदेश या पंजाब का मामला नहीं है। जीआई टैग मिलने से अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बासमती चावल की कीमतों में स्थिरता आएगी और हमारा निर्यात बढ़ेगा।
1908 से MP में हो रहा बासमती का उत्पादन
शिवराज सिंह चौहान ने कैप्टन अमरिंदर को जवाब देते हुए कहा कि मध्य प्रदेश के 13 जिलों में 1908 से बासमती चावल का उत्पादन हो रहा है और इसका उल्लेख इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ राइस रिसर्च हैदराबाद की रिपोर्ट में भी है। हैदराबाद की उत्पादन उन्मुख सर्वेक्षण रिपोर्ट में दर्ज है कि मध्य प्रदेश में पिछले 25 सालों से बासमती चावल का उत्पादन किया जा रहा है। साथ ही पंजाब और हरियाणा के बासमती निर्यातक मध्य प्रदेश से चावल खरीदते हैं।
क्या होता है जीआई टैग
जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) टैग ऐसे उत्पादों के लिए जारी किया जाता है जो किसी क्षेत्र विशेष की खूबियों को दर्शाता है। अगर किसी दूसरे क्षेत्र में इसका उत्पादन होता तो उसे इसके नाम का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं होती है। जैसे दार्जिलिंग चाय, सेलम फैब्रिक, मैसूर सिल्क इत्यादि।
साफ-साफ शब्दों में कहा जाए तो जीआई टैग किसी उत्पाद की गुणवत्ता और उसकी पहचान का सबूत होता है। देश में अभी तक करीब 361 प्रोडक्ट्स को जीआई टैग मिल चुका है।