Parliament Diary: Rajya Sabha में जम्मू-कश्मीर से संबंधित दो बिल पर चर्चा, Lok Sabha में दिखी नोकझोंक

By अंकित सिंह | Dec 11, 2023

संसद के शीतकालीन सत्र में आज दोनों ही सदनों में समान कामकाज हुआ। हालांकि, दोनों ही सदनों में शुरुआत में नोकझोंक की भी स्थिति देखने को मिली। दरअसल, जब भाजपा सांसदों ने कांग्रेस सांसद के ठिकानों पर छापेमारी में बरामद भारी मात्रा में कैश का मुद्दा उठाया। इसके बाद से कांग्रेस की ओर से भी जवाब देने की कोशिश की गई जिससे दोनों दलों में नोकझोंक की स्थिति पैदा हो गई। वहीं, दूसरी ओर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज राज्यसभा में जम्मू कश्मीर से जुड़े दो बिल चर्चा और पारित होने के लिए रखा गया। इस पर चर्चा हुई। 

 

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लोकसभा की कार्यवाही

- भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद संजय सेठ ने कांग्रेस के एक राज्यसभा सदस्य से संबंधित परिसरों से करोड़ों रुपये की नकदी बरामद किए जाने का विषय सोमवार को लोकसभा में उठाया तथा इस मामले में विपक्षी दल एवं उसके नेता राहुल गांधी से जवाब मांगा। सेठ ने लोकसभा में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाया। इसे लेकर सत्तापक्ष और कांग्रेस के सदस्यों के बीच तीखी नोकझोंक भी देखने को मिली।


- लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने सोमवार को केंद्र सरकार से आग्रह किया कि मौजूदा शीतकालीन सत्र के दौरान सदन में विदेश नीति के विषय पर चर्चा कराई जाए। उन्होंने सदन में शून्यकाल के दौरान यह मांग उठाई और यह आरोप भी लगाया कि मौजूदा समय में विदेश नीति को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। 


- झारखंड समेत राज्यों में आदिवासियों के धर्मांतरण के मुद्दे पर केंद्र सरकार ने सोमवार को कहा कि यह राज्यों का विषय है और राज्य सरकार को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जनजातीय समुदायों के जीवन मूल्य, भाषा, संस्कृति और परंपराएं अक्षुण्ण रहें। केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी के सांसद संजय सेठ के पूरक प्रश्न का उत्तर देते हुए यह बात कही।


- कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि विदेश मंत्रालय चरमपंथी गुरपतवंत सिंह पन्नू से जुड़े मामले में अमेरिका के समक्ष अपना पक्ष मजबूती से रखे। उन्होंने सदन में शून्यकाल के दौरान यह विषय उठाया।


- कांग्रेस ने सोमवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार भले ही देश की अर्थव्यवस्था बढ़ने के दावे करती हो, लेकिन अच्छे दिन करीब दस प्रतिशत बड़े पूंजीपतियों के ही आए हैं, वहीं भाजपा ने कहा कि कांग्रेस के 54 साल के शासन में ‘लाइसेंस परमिट और कोटा राज’ रहा और आज कोई भी व्यवसाय कर सकता है लेकिन विपक्षी दल को यह दिखाई नहीं दे रहा और उसने आंख पर पट्टी बांध रखी है। कांग्रेस सदस्य गौरव गोगोई ने लोकसभा में वर्ष 2023-24 के लिए अनुदानों की अनुपूरक मांगें-प्रथम बैच तथा वर्ष 2020-21 के लिए अतिरिक्त अनुदानों की मांगों पर लोकसभा में चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा, ‘‘हमारी अर्थव्यवस्था बढ़ तो रही है, लेकिन अच्छे दिन करीब दस प्रतिशत लोगों के ही आए हैं। यह सरकार आम उपभोक्ताओं के लिए काम नहीं कर पा रही, चंद कंपनियों के लिए काम कर रही है।’’  भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए दावा किया कि आजादी के बाद 1947 से लेकर 1991 तक लगभग 54 साल इस देश में ‘लाइसेंस परमिट और कोटा राज’ रहा। उन्होंने कहा कि इस दौरान चार पहिया वाहन, दुपहिया वाहन या सीमेंट उत्पादन कांग्रेस के करीबी कुछ औद्योगिक घराने ही करते थे और अन्य किसी को लाइसेंस नहीं दिया जाता था। 

 

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राज्यसभा की कार्यवाही

- सरकार ने सोमवार को राज्यसभा में कहा कि कांग्रेस नीत पूर्ववर्ती सरकार के दौरान पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों पर काबू के लिए 1.41 लाख करोड़ रुपये के तेल बॉंड जारी किए गए थे जिसके लिए मौजूदा सरकार ने 3.50 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में यह जानकारी दी।


- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज राज्यसभा में दो विधेयक - जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 को चर्चा और पारित कराने के लिए रखा। दोनों विधेयक 6 दिसंबर को लोकसभा द्वारा पारित किए गए थे। उन्होंने कहा, ''मैं जो विधेयक यहां लाया हूं, वे उन लोगों को न्याय दिलाने और अधिकार प्रदान करने से संबंधित हैं जिनके खिलाफ अन्याय हुआ, जिनका अपमान किया गया और जिनकी उपेक्षा की गई।'' उन्होंने कहा कि किसी भी समाज में जो लोग वंचित हैं, उन्हें आगे लाना चाहिए और यही भारत के संविधान की मूल भावना है। कांग्रेस के सदस्य विवेक तन्खा ने जम्मू कश्मीर में कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्यायार और उनके पलायन की घटनाओं की जांच के लिए आयोग गठित करने की मांग की। इसके साथ ही उन्होंने विस्थापित कश्मीरी पंडितों के प्रतिनिधियों को जम्मू कश्मीर विधानसभा में मनोनयन के लिए प्रावधान करने का सुझाव दिया।

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