उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है,सभी दल अपनी पार्टी और गठबंधन को मजबूत करने में जुटे हुए हैं,लेकिन इस बीच खबर यह आ रही है कि अपना दल(एस) की मुखिया और केन्द्रीय राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल और भारतीय जनता पार्टी आलाकमान के बीच एक बार फिर से मनमुटाव बढ़ गया है. इसी के चलते अपना दल (एस) के साथ बीजेपी का गठबंधन अधर में नजर आ रहा है। केंद्र सरकार में राज्य मंत्री और उत्तर प्रदेश में भाजपा की सहयोगी पार्टी अपना दल (सोनेलाल) प्रमुख अनुप्रिया पटेल की नाराजगी की वजह उन्हें कम सीटें दिया जाना है।
अनुप्रिया ने अभी इस बात की तो घोषणा नहीं की है कि वह कितनी सीटें चाहती हैं, लेकिन अंदर खाने चर्चा यह है कि अनुप्रिया पटेल अपनी पार्टी के लिए कम से कम 25 सीटें चाहती हैं,जबकि बीजेपी आलाकमान उन्हें 10-12 से अधिक सीटें देने के मूड में नहीं है। सीटों को लेकर अनुप्रिया और बीजेपी आलाकमान के बीच जारी रस्साकशी जब तक थम नहीं जाती है, तब तक गठबंधन में दरारें नजर आती रहेंगी। सीटों का बंटवारा होने के बाद ही अनुप्रिया पटेल अपना आगे का सियासी सफर तय करेंगी।
अपना दल के इस समय नौ विधायक हैं। अपना दल की पूर्वांचल में अच्छी खासी पकड़ है,पूर्वांचल में करीब पांच प्रतिशत कुर्मी वोटर हैं जिन पर नजर लगाए बीजेपी ने 2014 में अनुप्रिया पटेल से गठबंधन किया था। बहरहाल, अनुप्रिया पटेल के बयान के कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। उन्होंने पिछले दिनों भी यूपी में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए और राजनीतिक प्रतिनिधित्व की मांग करते हुए कहा था कि राजनीतिक इतिहास साफ दिखाता है कि उत्तर प्रदेश में जिस पार्टी या गठबंधन को ओबीसी का समर्थन मिलता है, वही सत्ता में आता है।
मिर्जापुर से सांसद अनुप्रिया पटेल, मोदी सरकार की सबसे युवा मंत्री हैं तथा वह वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में वर्तमान राज्य मंत्री हैं,अनुप्रिया 2016 से 2019 तक भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री थीं, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद पीएम मोदी ने उन्हें अपनी कैबिनेट में जगह नहीं दी थी, जिसको लेकर अपना दल काफी नाराज चल रहा था, अभी पिछले कैबिनेट विस्तार में प्रधानमंत्री मोदी ने अनुप्रिया को अपनी कैबिनेट में शामिल किया था। अनुप्रिया पटेल अपने पति को भी विधान परिषद की सदस्यता दिलाने के साथ उन्हें योगी कैबिनेट में शामिल किए जाने के लिए भी काफी समय से बीजेपी पर दबाव बना रही हैं। चर्चा यह भी चली थी कि अनुप्रिया पटेल समाजवादी पार्टी के साथ जाने वाली हैं, लेकिन बाद में अनुप्रिया ने इसका खंडन कर दिया था।