By Anoop Prajapati | Nov 27, 2024
आम आदमी पार्टी से विधायक दिलीप पांडे का जन्म 1 अक्टूबर 1980 को हुआ था। उन्होंने 2020 से दिल्ली विधानसभा के सदस्य के रूप में तिमारपुर का प्रतिनिधित्व किया है। वह जुलाई 2014 से अप्रैल 2017 के बीच आम आदमी पार्टी (आप) की दिल्ली इकाई के संयोजक थे। दिलीप पांडे आम आदमी पार्टी के बड़े नेताओं में से एक हैं। 2014 में वो आम आदमी पार्टी की दिल्ली इकाई के संयोजक बने थे, लेकिन 2017 के नगर निगम चुनाव में पार्टी की बुरी तरह से हार के बाद पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि बाद वे फिर पार्टी में शामिल हो गए।
प्रारम्भिक जीवन
विधायक दिलीप पांडे ने आम आदमी पार्टी में शामिल होने के लिए 2013 में अपनी सॉफ्टवेयर की नौकरी छोड़ दी थी। इससे पहले पांडे ने वित्तीय वर्ष 2011 तक एक बिजनेस कंसल्टेंट की क्षमता में भारतीय आईटी मेजर टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के लिए काम किया और उनके बैंगलोर कार्यालय में तैनात थे।,
राजनीतिक कैरियर
पांडे ने अन्ना आंदोलन में भाग लिया। वे आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता और स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्य हैं। जनवरी 2014 में पांडे को राष्ट्रीय राजधानी में राजनीतिक गतिविधियों के लिए सचिव नियुक्त किया गया। उन्होंने जुलाई 2014 में दिल्ली इकाई के संयोजक का पद संभाला। उनके सह-संयोजकत्व में AAP ने 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में 70 में से 67 सीटें जीतीं। बाद में AAP द्वारा 2017 के एमसीडी चुनावों में बहुमत हासिल करने में विफल रहने के बाद पांडे ने अप्रैल 2017 में अपना इस्तीफा सौंप दिया।
उन्होंने 2014 से आज तक आम आदमी पार्टी के आधिकारिक प्रवक्ता के रूप में कार्य किया। दिलीप को 2019 के आम चुनावों के लिए दिल्ली के उत्तर पूर्व लोकसभा क्षेत्र के लिए आम आदमी पार्टी का प्रभारी नामित किया गया है। उन्होंने 2020 के दिल्ली विधान सभा चुनाव में भाजपा के सुरिंदर पाल सिंह (बिट्टू) को हराकर तिमारपुर (विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र) से जीत हासिल की। विधायक दिलीप पांडे को मार्च 2020 में दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी का मुख्य सचेतक नियुक्त किया गया था।
दिलीप अन्ना आंदोलन के समय से ही अरविंद केजरीवाल से जुड़े रहे हैं। 2012 में जब आम आदमी पार्टी का गठन हुआ तो वे भी इस टीम में शामिल रहे थे। एक अक्टूबर 1980 को पूर्वी उत्तर प्रदेश के जमनिया तहसील में पैदा हुए दिलीप हांगकांग में एक आईटी कंपनी में नौकरी करते थे। 2011 में वे नौकरी छोड़कर स्वदेश लौट आए। भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना आंदोलन में शामिल हुए और केजरीवाल के साथ जुड़ गए।