By दिनेश शुक्ल | Dec 21, 2020
भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह प्रदेश की राजनीति में तो पहले ही अपना वजूद खो चुके हैं, अब वे कांग्रेस की राजनीति में भी हाशिये पर आ गए हैं। ऐसे में वे भाजपा पर आरोप लगाकर अपना वजूद बचाने की जद्दोजहद में लगे हैं और इसके लिए वे अपनी ही पार्टी के दूसरे नेताओं को निपटाने से भी संकोच नहीं कर रहे हैं। यह बात भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने दिग्विजय सिंह की प्रेस कांफ्रेंस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि 2013 के जिस मामले का जिक्र दिग्विजय सिंह ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में किया है, वह मामला पहले ही खत्म हो चुका है और जांच में ऐसे किसी आरोप को सही नहीं पाया गया था। उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह ने जिस अधिकारी पर लेनदेन के आरोप लगाए हैं, वह अधिकारी कमलनाथ सरकार के दौरान भी सेवा में था, अगर उसका ट्रेक रिकॉर्ड इतना खराब था, तो कांग्रेस सरकार ने उस पर कार्रवाई क्यों नहीं की? अग्रवाल ने कहा कि बड़े-बड़े घोटालों की जांच के लिए भी डेढ़ साल का समय पर्याप्त होता है। फिर इतने समय में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने कथित ई-टेंडरिंग घोटाले की जांच करके दोषियों को सजा क्यों नहीं दी? उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि कमलनाथ सरकार में शामिल नेताओं को तबादला उद्योग, रेत और शराब के कारोबार से ही फुरसत नहीं थी और वे दोनों हाथों से पैसे बटोरने में लगे हुए थे।
दिग्विजय को मलाल, रिपोर्ट में कमलनाथ का नाम क्यों नहीं?
अग्रवाल ने कहा कि प्रेस कांफ्रेंस करके दिग्विजय सिंह ने भाजपा सरकार पर निराधार आरोप लगाने की नौटंकी सिर्फ इसलिए की है, क्योंकि उन्हें इस बात का मलाल है कि सीबीडीटी के दस्तावेजों में उनका नाम तो आया है लेकिन कमलनाथ का नाम नहीं आया, जबकि सरकार के मुखिया वही थे और जो भी लेनदेन हुआ है, वह उनके जरिए ही हुआ है। इसलिए वे प्रेस कांफ्रेंस करके कमलनाथ का नाम उछाल रहे हैं, ताकि किसी तरह उनका भी नाम आरोपियों में जुड़ जाए। अग्रवाल ने कहा कि हालांकि दिग्विजय की यह सोच गलत भी नहीं है क्योंकि सरकार के मुखिया के नाते सारी जिम्मेदारी कमलनाथ की थी और इसलिए उन्हें आरोपी बनाया ही जाना चाहिए।