By अंकित सिंह | Aug 21, 2023
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास साप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इस सप्ताह एनडीए और I.N.D.I.A. गठबंधन से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई। इस दौरान प्रभासाक्षी संपादक ने कहा कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 के लिए भाजपा ने अपने कुछ उम्मीदवारों की सूची घोषित कर अन्य दलों पर मनोवैज्ञानिक बढ़त बना ली है। साथ ही इस कदम से यह भी प्रदर्शित होता है कि पिछले चुनावों से सबक लेते हुए भाजपा इन दोनों राज्यों में कोई ढील नहीं देने जा रही। जिस तरह पूरा भाजपा आलाकमान मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ पर ध्यान केंद्रित कर रहा है उससे यह भी संकेत मिलता है कि चुनाव अभियान को पूरी कमान पार्टी आलाकमान के पास ही रहेगी। पिछली बार राज्य इकाई पर ज्यादा भरोसा करना भारी पड़ा था इसलिए भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व इस बार फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है।
इंडिया गठबंधन में कई गांठ
इंडिया गठबंधन पर बात करते हुए प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे ने कहा कि भले ही नेता एक मंच पर आकर चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं लेकिन उनके भीतर कई ऐसे गांठ हैं जिसका सुलझना बेहद जरूरी है। लेकिन वह इतना आसान नजर नहीं आ रहा है। एक ओर जहां अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी कांग्रेस पर हमलावर तो ही दूसरी ओर कांग्रेस भी दिल्ली और पंजाब में समझौता करने के मूड में नजर नहीं आ रही है। दोनों ही दलों के आलाकमान की ओर से गठबंधन की बात की जा रही है। लेकिन जमीन पर एक कार्यकर्ता जो लगातार एक दूसरे के खिलाफ लड़ाई लड़ते रहे हैं, उनके मन में असमंजस की स्थिति है। किसी भी पार्टी का कार्यकर्ता दूसरी पार्टी के लिए वोट मांगने के लिए राजनीति में नहीं आया है। हर कार्यकर्ता चाहता है कि हम अपनी पार्टी को जीत दिलवाए जिससे कि हमारी तरक्की हो। कांग्रेस का भी रवैया बॉस वाला रहा है। ऐसे में पंजाब और दिल्ली में आम आदमी पार्टी के साथ सीटों का सुलह कैसे निकल पाएगा, यह भी देखने वाली बात होगी। उन्होंने कहा कि अभी कौन कहां से लड़ेगा, इस पर तकरार देखने को मिल रही है। इसके बाद नेतृत्व को लेकर भी टकराव साफ तौर पर देखने को मिलेगा।
नीतीश कुमार नाराज!
नीरज दुबे ने आगे कहा संयोजक पद को लेकर पर भी मंथन चल रहा है। इसको लेकर भी टकराव चल रहा है। नीतीश कुमार इसमें अपनी दावेदारी कर रहे हैं। माना जा रहा है कि नीतीश कुमार नाराज हैं। यही कारण रहा कि वह दिल्ली आए लेकिन किसी भी विपक्षी नेताओं के साथ उनकी बैठक नहीं हुई। हमने नीरज दुबे से सवाल भी पूछा कि जिस तरीके से हाल में ही दिल्ली में राजनीति देखने को मिली उसमें ऐसा लगा कि कांग्रेस बैकफुट पर नजर आ रही है? इसको लेकर नीरज दुबे ने कहा कि बहुत बार ऐसा राजनीति में होता है जो सामने दिखता है वह पर्दे के पीछे नहीं होता। कांग्रेस बड़ी और पुरानी पार्टी है। ऐसे में उसे भी राजनीति में चाल चलने आता है। आने वाले दिनों में हम देखेंगे कि कैसे वे अहम मौकों पर अपने गठबंधन के सहयोगियों को कक्षा देने में कामयाब रहते हैं।
Unacademy वाला बवाल
Prabhasakshi Editor ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि एक ऑनलाइन शिक्षक प्लेटफॉर्म Unacademy चलाने वाली कंपनी ने छात्रों से शिक्षित उम्मीदवार को वोट देने की अपील करने वाले शिक्षक को बर्खास्त कर दिया तो बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया। शिक्षक जहां खुद को बेकसूर बता रहा है तो वहीं कंपनी का कहना है कि कक्षा व्यक्तिगत विचार साझा करने की जगह नहीं है। देखा जाये तो Social Media के इस दौर में जबसे विभिन्न क्षेत्रों के प्रोफेशनल्स राजनीतिक मुद्दों पर टिप्पणियां करने लगे हैं तबसे उन्हें कार्यक्षेत्र में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए कहा जा सकता है कि जिनका मन राजनीति करने का है, उन्हें यह काम पार्ट टाइम की बजाय फुल टाइम करना चाहिए।