By अभिनय आकाश | Apr 22, 2025
कनाडा में 28 अप्रैल को संघीय चुनाव होने वाले हैं। कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की अगुवाई वाली लिबरल पार्टी मौजूदा जनमत सर्वेक्षणों में आगे चल रही है। पीएम ने मतदाताओं से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की टैरिफ धमकी से निपटने के लिए उन्हें एक मजबूत जनादेश देने का आह्वान किया है। 12 फरवरी को पीएम ट्रूडो के इस्तीफा देने से समीकरण बदल गए। कार्नी को लिबरल पार्टी और देश की बागडोर संभालने का मौका मिला। वे एक पूर्व केंद्रीय बैंकर हैं जिनका कोई राजनीतिक अनुभव नहीं है। लेकिन, ट्रम्प के टैरिफ वॉर के बीच उन्होंने जिस तरह मोर्चा संभाला, उससे चलते 26 अंक से पिछड़ रही लिबरल पार्टी 6 अंकों की बढ़त में आ गई। कार्नी ने कहा है कि कनाडा को अमेरिका पर अपनी निर्भरता कम करनी होगी और अपनी अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से सुधारना होगा।
ट्रंप से निपटने के लिए मजबूत जनादेश का आह्नान
प्रिंस एडवर्ड आइलैंड के अटलांटिक प्रांत के शार्लोटटाउन में एक अभियान कार्यक्रम के दौरान, पीएम कार्नी ने कहा हमें एक ऐसी सरकार चाहिए जिसके पास एक मजबूत जनादेश हो, एक स्पष्ट जनादेश हो। हमें एक ऐसी सरकार चाहिए जिसके पास एक ऐसी योजना हो जो इस समय की जरूरतों को पूरा करे। 2025 की शुरुआत में ट्रूडो के इस्तीफे के बाद लिबरल्स का समर्थन कम हो गया और आधिकारिक विपक्षी कंजर्वेटिव 20 अंक आगे हो गए। लेकिन पीएम मार्क कार्नी के नेतृत्व में लिबरल पार्टी के नए नेतृत्व ने हालात बदल दिए हैं।
क्या कह रहे हैं सर्वे
21 अप्रैल को जारी किए गए तीन दिवसीय नैनोस पोल में लिबरल पार्टी 43.7% जन समर्थन के साथ आगे निकल गई है, जबकि कंजरवेटिव 36.3% के साथ पीछे चल रहे हैं। फिर, वामपंथी न्यू डेमोक्रेट्स, जो लिबरल पार्टी के सेंटर-लेफ्ट वोटों के लिए सीधे प्रतिस्पर्धी भी हैं, 10.7% पर पीछे हैं। यदि ये संख्याएं बरकरार रहती हैं, तो मार्क कार्नी प्रधानमंत्री बने रहेंगे क्योंकि लिबरल्स हाउस ऑफ कॉमन्स में 343 सीटों के बहुमत के साथ अपनी सरकार बना लेंगे। सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को कम से कम 172 सीटें चाहिए। मौजूदा चुनावी सर्वे में दावा है कि कार्नी की लिबरल पार्टी 200 सीटें जीत सकती है।
8 लाख भारतीयों के पास वोटिंग का अधिकार
कनाडा में 20 लाख भारतवंशी रहते हैं। इनमें से 8 लाख के पास वोटिंग का अधिकार है, जो किसी भी पार्टी के लिए अहम हैं। भारतीयों के लिए अप्रवासन, आसान वीजा प्रक्रिया और शिक्षा प्रमुख मुद्दे हैं। सत्ताधारी लिबरल पार्टी और पीएम कार्नी ने भारत से मजबूत संबंध, तेज वीजा प्रोसेसिंग और अंतरराष्ट्रीय छात्र कार्यक्रमों का समर्थन किया है, जो भारतीयों के लिए फायदेमंद हैं। ब्रैम्पटन के एक अप्रवासन वकील रोहन सिंघला कहते हैं 'कार्नी ने मौजूदा प्रवासी नीति को जारी रखने का संकेत दिया है। वहीं, विपक्षी कंजरवेटिव नेता पियरे पोइलिवरे अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प की तरह एक सख्त इमिग्रेशन नीति के पक्षधर हैं।